हमारे समाज में महिलाओं के खिलाफ हो रही अपराध की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। हर रोज महिलाओं से जुड़ी अपराध की खबरें सुनाई देती है लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब महिलाएं जानकारी के अभाव में शिकायत दर्ज़ नहीं करा पाती।
लोगों के पास एक ऐसा अधिकार है जिसका इस्तेमाल कर वो अपने साथ हुई सभी तरह की घटना की रिपोर्ट किसी भी थाने में लिखवा सकते हैं। इसे ज़ीरो एफआईआर कहते हैं।
शिकायतकर्ता 'ज़ीरो एफआईआर' के तहत किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
'ज़ीरो एफआईआर ' महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हुई है, क्योंकि कई बार डर या किसी अन्य कारणों से वो अपनी शिकायत संबंधित थाने में दर्ज़ नहीं करा पाती थीं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कोई भी शिकायतकर्ता/ महिला किसी भी पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज करवा सकती है और पुलिस स्टेशन इसके लिए मना नहीं कर सकता।
पुलिस को अपराध की सूचना देने में देरी न हो इसलिए ज़रूरी है कि जल्द-से-जल्द शिकायत दर्ज करवाई जाए।
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एफआईआर दर्ज़ करने के बाद पुलिस बिना जांच किए मामले को संबंधित थाने में नहीं भेज सकती।
'ज़ीरो एफआईआर' इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि इस पर मामले की जांच आगे बढ़ेगी और सबूत नष्ट होने का ख़तरा नहीं रहेगा।
ऐसे दर्ज़ होती है ज़ीरो एफआईआर...
- 'एफआईआर' की तरह ही इसमें भी शिकायतकर्ता का बयान दर्ज़ किया जाता है।
- घटना को पुलिस के पास लिखित रूप में दर्ज़ करवाना होता है।
- शिकायत दर्ज़ करवाने के बाद पेपर/रजिस्टर पर हस्ताक्षर करना ज़रूरी होता है।
- पीड़िता को अपने पास शिकायत पेपर की एक कॉपी रखने का भी अधिकार है।
2012 में निर्भया के साथ हुए जघन्य अपराध के बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 में 'ज़ीरो एफआईआर' का प्रावधान किया गया था। एफआईआर न लेने की स्थिति में शिकायतकर्ता अपने इलाके के मजिस्ट्रेट के पास पुलिस को निर्देशित करने के लिए कम्प्लेंट पेटिशन दायर करवा सकते हैं।
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HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कोई भी शिकायतकर्ता/ महिला किसी भी पुलिस स्टेशन पर शिकायत दर्ज करवा सकती है
- 2012 में निर्भया मामले के बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 में 'ज़ीरो एफआईआर' का प्रावधान किया गया था
Source : Vineeta Mandal