भारत के प्रत्येक नागरिक को उसकी पसंद के मुताबिक रोजी-रोटी कमाने का हक है। संविधान में इसे 'काम के अधिकार' के तहत परिभाषित किया गया है।
भारत के संविधान में अनुच्छेद 41-43 में राज्य को सभी नागरिकों के लिए काम का अधिकार, न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, मातृत्व राहत और एक शालीन जीवन स्तर सुरक्षित करने के प्रयास करने के अधिकार दिए गए हैं।
रोजी-रोटी कमाने का हक भारतीय संविधान में मूल अधिकारों के रूप में लोगों को दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों में भी आर्थिक, समाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के साथ रोजी-रोटी कमाने के हक को सुरक्षित किया गया है।
मानवाधिकार पर घोषित सार्वभौम प्रस्ताव (UDHR) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को काम करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
4 अगस्त 2005 में महाराष्ट्र सरकार और शोभा विट्ठल के केस में सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि 'काम करने का हक' आर्टिकल 21 में निहित 'जीवन के अधिकार' के तहत सुरक्षित है।
संविधान के अनुच्छेद 41 में लिखा है, बेरोजगारी में, बुढ़ापे में, बीमारी में, विकलांगता की स्थिति में लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक काम करने का हक, शिक्षा का हक और सामाजिक सहायता का हक दिया जाता है।
काम करने के हक को संविधान में मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा गया है, जिसमें इसे कानूनी मान्यता दी गई है।
HIGHLIGHTS
- भारत के प्रत्येक नागरिक को उसकी पसंद के मुताबिक रोजी-रोटी कमाने का हक है
- भारतीय संविधान में इसे 'काम के अधिकार' के तहत परिभाषित किया गया है
Source : News Nation Bureau