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जानें अपने अधिकार: पीएम और प्रेसिडेंट ऑफिस भी हैं 'सूचना का अधिकार' कानून के दायरे में

'सूचना का अधिकार' के तहत आप सरकार के कार्यों, दस्तावेजों, टैक्स और खर्च संबंधी किसी भी तरह के रिकॉर्ड्स को हासिल करने या उसका निरीक्षण करने का अधिकार रखते हैं।

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saketanand gyan
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जानें अपने अधिकार: पीएम और प्रेसिडेंट ऑफिस भी हैं 'सूचना का अधिकार' कानून के दायरे में
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देश का कोई भी आम नागरिक अपनी शासन व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार से मुक्त देखने की आकांक्षा रखता है। इसी मांग को देखते हुए साल 2005 में भारत सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम संसद में पारित किया।

अक्टूबर 2005 से इस कानून के लागू होने के बाद देश में सभी नागरिकों को किसी भी सरकारी विभाग से सूचना लेने का अधिकार प्राप्त हो गया।

इस अधिकार के तहत आप सरकार के कार्यों, दस्तावेजों, टैक्स और खर्च संबंधी किसी भी तरह के रिकॉर्ड्स को हासिल करने या उसका निरीक्षण करने का अधिकार रखते हैं।

जम्मू-कश्मीर को छोड़कर यह कानून पूरे देश में लागू होता है लेकिन सिर्फ भारतीय नागरिक ही इस कानून का उपयोग कर सकते हैं। इसकी देखरेख के लिए सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग का गठन किया है।

जानकारी मांगने वाले को डिस्क, टेप, वीडियो कैसेट या किसी इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंटआउट के रूप में सूचना मांगने का हक है। हालांकि वह सूचना पहले से उसी रूप में मौजूद होनी चाहिए।

किसी व्यक्ति द्वारा मांगी गई जानकारी को संबंधित विभाग का जनसूचना अधिकारी (पीआईओ) 30 दिन के भीतर उसे उपलब्ध कराएगा, अगर तय समय में नहीं मिल पाती है, तो व्यक्ति फिर से अपील कर सकता है।

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अपील के बाद भी व्यक्ति को सूचना नहीं मिलती है, तो राज्य के मामलों के लिए राज्य सूचना आयोग और केंद्र के मामलों के लिए केंद्रीय सूचना आयोग में दूसरी अपील कर सकता है।

इन विभागों पर नहीं होता लागू

  • खुफिया एजेंसियों की ऐसी जानकारियां, जिनके सार्वजनिक होने पर देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा पैदा हो।
  • दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले
  • थर्ड पार्टी यानी निजी संस्थानों संबंधी जानकारी लेकिन सरकार के पास उपलब्ध इन संस्थाओं की जानकारी को संबंधित सरकारी विभाग के जरिए हासिल कर सकते हैं

नोट- इन विभागों के अलावा राष्ट्रपति ऑफिस, प्रधानमंत्री ऑफिस समेत सभी सरकारी या सरकार द्वारा पोषित संस्थाओं से जानकारी हासिल की जा सकती है।

कैसे करें अप्लाई

सादे कागज पर हाथ से लिखी हुई या टाइप की गई आवेदन के जरिए संबंधित विभाग से जानकारी मांगी जा सकती है। आवेदन के साथ 10 रुपये की फीस भी जमा करानी होती है। बता दें कि आरटीआई एक्ट कुछ खास मामलों में जानकारी न देने की छूट भी देता है।

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HIGHLIGHTS

  • अक्टूबर 2005 से इस कानून के लागू होने के बाद देश में सभी नागरिकों को किसी भी सरकारी विभाग से सूचना लेने का अधिकार
  • सादे कागज पर हाथ से लिखी हुई या टाइप की गई ऐप्लिकेशन के जरिए संबंधित विभाग से जानकारी मांगी जा सकती है

Source : Narendra Hazari

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