हमारे देश में स्त्री-पुरुष के बीच भेदभाव अब भी जारी है। हालांकि क़ानून ने स्त्रियों को सबल बनाने के लिए वो सारे अधिकार दिए हैं। इसके बावजूद बहुत सारी महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरुक नहीं होने की वजह से परेशानी झेलती हैं।
देश में पिता की संपत्ति पर बेटे के बराबर ही बेटियों का अधिकार भी है।
हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के अधिनियम की नई धारा 6 के मुताबिक बेटे और बेटियों को संपत्ति पर बराबरी का अधिकार है।
अक्टूबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट में गंडूरी कोटेश्वरम्मा की तरफ से दायर की गई याचिका पर फ़ैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और जगदीश सिंह खेहर ने इसी अधिनियम का हवाला देते हुए कहा था कि बेटियां भी अपने अन्य सहोदर भाई-बहनों की तरह ही संपत्ति का अधिकार रखती हैं।
इस फैसले में यह भी कहा गया कि अगर बेटियों को बेटों के बराबर उत्तराधिकार का अधिकार नहीं दिया जाता है तो यह संविधान के द्वारा दिए गए समानता के मौलिक अधिकारों का हनन होगा।
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बेटियों को पिता की संपत्ति में हक़ नहीं देना एक ओर समानता के मौलिक अधिकारों का हनन है तो दूसरी ओर यह सामाजिक न्याय की भावना के भी विरुद्ध है।
हालंकि कोर्ट ने ये भी बताया कि बेटी को संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार तभी माना जाएगा, जब पिता 9 सितंबर 2005 के बाद जीवित हों।
गौरतलब है कि हिंदू उत्तराधिकार क़ानून 1956 में बेटी के लिए पिता की संपत्ति में किसी तरह के क़ानूनी अधिकार की बात नहीं कही गई थी।
बाद में 9 सितंबर 2005 को इसमें संशोधन लाकर पिता की संपत्ति में बेटी को भी बेटे के बराबर का अधिकार दिया गया।
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HIGHLIGHTS
- देश में पिता की संपत्ति पर बेटे के बराबर ही बेटियों का अधिकार भी है
- हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के अधिनियम में है बराबरी का हक
Source : Deepak Singh Svaroci