Advertisment

World Consumer Rights Day: अपने हक को समझें, बनें जागरूक उपभोक्ता

खरीदी गई किसी वस्तु, उत्पाद अथवा सेवा में कमी या उसके कारण होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के बदले उपभोक्ताओं को मिला कानूनी संरक्षण ही उपभोक्ता अधिकार है.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
World Consumer Rights Day: अपने हक को समझें, बनें जागरूक उपभोक्ता

World Consumer Rights Day

Advertisment

रमेश ने बाजार से बिजली का पंखा खरीदा, लेकिन एक वर्ष की गारंटी होने के बावजूद मात्र दो महीने बाद ही पंखा खराब होने पर भी दुकानदार उसे ठीक कराने या बदलने में आनाकानी कर रहा है. रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए रोमा ने आवेदन भेजने की अंतिम तिथि से 4 दिन पूर्व ही स्पीड पोस्ट द्वारा आवेदन भेज दिया था लेकिन आवेदन सही समय पर न पहुंचने के कारण रोमा परीक्षा में नहीं बैठ सकी और डाक विभाग इसके लिए अपनी गलती मानने को तैयार नहीं.

एस.आर. मेहता ने ट्रेन में रिजर्वेशन कराया, लेकिन आरक्षण के बाद भी बर्थ नहीं मिली. सीमा चोपड़ा का लैंडलाइन फोन कई महीनों से खराब पड़ा है पर विभाग फोन ठीक कराने के बजाय बिल लगातार भेज रहा है और बिलों के भुगतान के लिए बाध्य करता है.

अनिल ने सही समय पर बिजली का बिल जमा करा दिया, फिर भी विभाग ने बिजली कनेक्शन काट दिया. राकेश के साथ जोखिम अवधि के दौरान ही दुर्घटना होने पर भी बीमा कंपनी क्लेम का भुगतान नहीं कर रही. संगीता ने बाजार से मिर्च का पैकेट खरीदा, पैकेट खोला तो मिर्च में फफूंद लगी थी, लेकिन दुकानदार पैकेट बदलने को तैयार नहीं.

और पढ़ें: जानें अपने अधिकार: कानून आपको देता है रोजी-रोटी कमाने का अधिकार

इस प्रकार की छोटी-बड़ी समस्याओं का सामना जीवन में कभी न कभी हम सभी को करना ही पड़ता है लेकिन अधिकांश लोग ऐसे मामलों में मन ही मन कुढ़ते तो रहते हैं और दूसरों के सामने बड़बड़ाकर अपने दिल की भड़ास भी निकाल लेते हैं पर अपने अधिकारों की लड़ाई नहीं लड़ते. इसका एक कारण यह भी है कि हमारे देश की बहुत बड़ी आबादी अशिक्षित है, जो अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ है. लेकिन जो शिक्षित लोग हैं, वे भी प्राय: अपने उपभोक्ता अधिकारों के प्रति उदासीन नजर आते हैं.

अब जमाना बदल गया है. यदि आप एक उपभोक्ता हैं और किसी भी प्रकार के शोषण के शिकार हुए हैं तो अपने अधिकारों की लड़ाई लड़कर न्याय पा सकते हैं. प्राय: कोई वस्तु अथवा सेवा लेते समय हम धन का भुगतान तो करते हैं पर बदले में उसकी रसीद नहीं लेते, जबकि शोषण से मुक्ति पाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप जो भी वस्तु, सेवा अथवा उत्पाद खरीदें, उसकी रसीद अवश्य लें. यदि आपके पास रसीद के तौर पर कोई सबूत ही नहीं है तो आप अपने मामले की पैरवी सही ढंग से नहीं कर पाएंगे.

ये भी पढ़ें: जानें अपने अधिकार: हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना सरकार की है ज़िम्मेदारी

पिछले कुछ वर्षों में ऐसे अनेक मामले सामने आ चुके हैं जिनमें उपभोक्ता अदालतों से उपभोक्ताओं को पूरा न्याय मिला है, लेकिन आपसे यह अपेक्षा तो होती ही है कि आप अपनी बात अथवा दावे के समर्थन में पर्याप्त सबूत तो पेश करें.

स्पीड पोस्ट द्वारा आवेदन भेजने के बाद भी सही समय पर आवेदन न पहुंचने पर डाक विभाग की लापरवाही को लेकर रोमा ने उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया और उसे न्याय भी मिला. चूंकि स्पीड पोस्ट को डाक अधिनियम में एक आवश्यक सेवा माना गया है, अत: उपभोक्ता अदालत ने डाक विभाग को सेवा शर्तों में कमी का दोषी पाया और डाक विभाग को रोमा को मुआवजे के तौर पर एक हजार रुपये देने का आदेश दिया गया.

ये भी पढ़ें: जानें अपने अधिकार: यात्रियों को बेहतर सुविधा और सुरक्षा देना रेलवे की ज़िम्मेदारी

बाजार में उपभोक्ताओं का शोषण होना कोई नई बात नहीं है, बल्कि उपभोक्ताओं के शोषण की जड़ें आज बहुत गहरी हो चुकी हैं. उपभोक्ताओं को इस शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए कई कानून भी बनाए गए, लेकिन जब से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 अस्तित्व में आया है, तब से न केवल उपभोक्ताओं को शीघ्र, त्वरित व कम खर्च पर न्याय दिलाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है बल्कि उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां व प्रतिष्ठान भी अपनी सेवाओं अथवा उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने के प्रति सचेत हुए हैं.

और पढ़ें: जानें अपने अधिकार: मकान मालिक नहीं काट सकता है किराएदार के घर की बिजली और पानी

उपभोक्ता अदालतों की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इनमें लंबी-चौड़ी अदालती कार्रवाई में पड़े बिना ही आसानी से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. यही नहीं, उपभोक्ता अदालतों से न्याय पाने के लिए न तो किसी प्रकार के अदालती शुल्क की आवश्यकता पड़ती है और मामलों का निपटारा भी शीघ्र होता है. उपभोक्ता संरक्षण कानून का मुख्य उद्देश्य ही यही है कि उपभोक्ताओं को उनकी इच्छा के अनुरूप उचित मूल्य, गुणवत्ता, शुद्धता, मात्रा एवं मानकों में वस्तुएं उपलब्ध हों.

उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए इस समय देशभर में 500 से भी अधिक जिला उपभोक्ता फोरम हैं और प्रत्येक राज्य में एक राज्य उपभोक्ता आयोग है. देशभर में समस्त राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य उपभोक्ता आयोग हैं, जबकि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली में है.

कौन है उपभोक्ता और क्या हैं उपभोक्ता अधिकार?

अब प्रश्न यह है कि उपभोक्ता कौन है? इस बारे में उपभोक्ता संरक्षण कानून में स्पष्ट किया गया है कि हर वो व्यक्ति उपभोक्ता है, जिसने किसी वस्तु या सेवा के क्रय के बदले धन का भुगतान किया है या भुगतान करने का आश्वासन दिया है और ऐसे में किसी भी प्रकार के शोषण या उत्पीड़न के खिलाफ वह अपनी आवाज उठा सकता है तथा क्षतिपूर्ति की मांग कर सकता है.

खरीदी गई किसी वस्तु, उत्पाद अथवा सेवा में कमी या उसके कारण होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के बदले उपभोक्ताओं को मिला कानूनी संरक्षण ही उपभोक्ता अधिकार है. यदि खरीदी गई किसी वस्तु या सेवा में कोई कमी है या उससे आपको कोई नुकसान हुआ है तो आप उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: जानें अपने अधिकार: न्यूनतम मज़दूरी और सप्ताह में एक दिन अवकाश हर कर्मचारी का हक़

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 14 में स्पष्ट किया गया है कि यदि मामले की सुनवाई के दौरान यह साबित हो जाता है कि वस्तु अथवा सेवा किसी भी प्रकार से दोषपूर्ण है तो उपभोक्ता मंच द्वारा विक्रेता, सेवादाता या निर्माता को यह आदेश दिया जा सकता है कि वह खराब वस्तु को बदले और उसके बदले दूसरी वस्तु दे तथा क्षतिपूर्ति का भी भुगतान करे या फिर ब्याज सहित पूरी कीमत वापस करे.

Source : IANS

Know Your Rights customer rights world consumer rights day Consumer consumer rights
Advertisment
Advertisment
Advertisment