सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन मैसूर (Mysuru) जिले के 11 विधानसभा क्षेत्रों ने ढाई दशक से एक भी लिंगायत विधायक नहीं चुना है. चामुदेश्वरी से एएस गुरुस्वामी और पेरियापटना से एचसी बसवाराजू 1999 में विधानसभा के लिए चुने जाने वाले समुदाय के अंतिम दो विधायक थे. हालांकि इस बार भाजपा ने कुरुबा, वरुणा निर्वाचन (Karnataka Assembly Elections 2023) क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) के खिलाफ एक प्रमुख लिंगायत नेता वी सोमन्ना (V Somanna) को मैदान में उतारा है. सोमन्ना के रूप में एक मजबूत लिंगायत (Lingayat) चेहरे की उपस्थिति समुदाय के लिए एक प्रमुख प्रोत्साहन के रूप में आई है जो वरुणा और कृष्णराजा निर्वाचन क्षेत्रों में एक निर्णायक कारक है.
जद (एस) ने भी दिया लिंगायत केवी मल्लेश को टिकट
जद (एस) ने कृष्णराजा में भी एक लिंगायत केवी मल्लेश को मैदान में उतारा है. इस क्षेत्र में लिंगायतों के बीच लगातार शिकायत रही है कि पिछले कई वर्षों से मैसूर जिलों में राजनीतिक दलों ने समुदाय के सदस्यों को टिकट नहीं दिया है. अब हालांकि सोमन्ना दो निर्वाचन क्षेत्रों क्रमशः मैसूर और चामराजनगर जिलों से चुनाव लड़ रहे हैं, दो क्षेत्र के लिंगायत समुदाय के लिए राहत लेकर आया है. अखिल भारत वीरशैव महासभा की राष्ट्रीय समिति के कार्यकारी सदस्य टीएस लोकेश के मुताबिक महासभा के अनुरोध के बावजूद केवल दो लिंगायतों को प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा टिकट दिया गया है.
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मैसूर में 3.5 लाख से अधिक लिंगायत मतदाता
लोकेश ने दावा किया कि 2006 में सिद्धारमैया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से लिंगायत नेताओं को मैसूर क्षेत्र में दरकिनार कर दिया गया है. लोकेश ने अफसोस जताते हुए कहा कि मैसूर में 3.5 लाख से अधिक लिंगायत मतदाता हैं, जिनमें वरुणा में 68,000 और कृष्णराज में 45,000 हैं. फिर भी विधानसभा में लिंगायत समुदाय के एक भी नेता द्वारा जिले का प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा, सोमन्ना की जीत सुनिश्चित करके हम लिंगायत प्रतिनिधित्व के सूखे को खत्म कर देंगे. गौरतलब है कि बीजेपी ने वोक्कालिगा को पांच और लिंगायत, ब्राह्मण और कुरुबा को एक-एक टिकट दिया है.
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कांग्रेस पर लिंगायतों से पूर्वाग्रह रखने का आरोप
कांग्रेस ने तीन वोक्कालिगा, तीन कुरुबा और एक-एक मुस्लिम और पिछड़े वर्ग को टिकट दिया है, जबकि जद (एस) ने वोक्कालिगा को पांच और लिंगायत और मुस्लिम को एक-एक सीट आवंटित की है. इस क्षेत्र की 11 में से तीन सीटें आरक्षित हैं, दो अनुसूचित जाति (एससी) के लिए और एक अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवार के लिए. जद (एस) के उम्मीदवार मल्लेश के अनुसार, इस बार कृष्णराज में अनुकूल माहौल है, क्योंकि लिंगायत समुदाय के मतदाता समुदाय से एक नेता चुनने के लिए एकजुट हैं. उन्होंने कहा कि लिंगायतों के साथ-साथ अन्य सभी समुदाय के मतदाता भी उनका समर्थन करेंगे. कांग्रेस पार्टी के लिंगायतों के खिलाफ किसी भी पूर्वाग्रह को नकारते हुए, मैसूर जिला कांग्रेस प्रमुख बीजे विजयकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी ने इस बार कर्नाटक में कुल 56 लिंगायत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
HIGHLIGHTS
- 11 विधानसभा क्षेत्रों ने ढाई दशक से एक भी लिंगायत विधायक नहीं चुना
- भाजपा ने कुरुबा से प्रमुख लिंगायत नेता वी सोमन्ना को मैदान में उतारा
- विधानसभा में लिंगायत समुदाय के एक भी नेता द्वारा प्रतिनिधित्व नहीं
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