15 अगस्त 2018 को भारत अपनी आजादी की 72वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस दिन हमारी जुबा पर देश भक्ति से ओतप्रोत गाने ही रहते है। वो गाने जो ना सिर्फ हमारी देशभक्ति की अलख को जगाते है बल्कि भारत का गुणगान करते है। इन गानों में भारत की उपलब्धियों से लेकर देश के वीर सपूतों की गाथा भी सुनने को मिलती है। आज हम आपको देश की आजादी के बाद के उन गीतों को सुनाते है जिन्हें बचपन से गाते-गुनगुनाते हुए आप बड़े हो गए।
'वंदे मातरम'
पृथ्वी राज कपूर, गीता बाली, भारत भूषण की बंकिम चंद्र चटर्जी के नॉवल पर आधारित फिल्म 'आनंद मठ' में अंग्रेजो के खिलाफ संन्यासी क्रांतिकारियों के 18वीं सदी की लड़ाई को दिखाया गया था। फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थी। हालांकि इसके गीतों ने धूम मचा दी थी। फिल्म में शामिल 'वंदे मातरम' और जय जगदीश हरे जैसे गाने आज भी संगीत की दुनिया में अलग पहचान रखते है।
'मेरा रंग से बंसती चोला'
देश की आजादी पर आधारित 'शहीद' फिल्म की कहानी भगत सिंह के साथी बटुकेश्वर सिंह ने लिखी थी और गीत राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने लिखे थे। इसका गाना 'मेरा रंग से बंसती चोला' आज भी लोगों को बीच बहुत पापुलर है। इस गीत को संगीकार प्रेम धवन ने अपने संगीत से सजाया है।
'ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का'
जमीदारों के जुल्मों के खिलाफ क्रांति को दिखाने वाली दिलीप कुमार की फिल्म 'नया दौर' का गाना 'ये देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का' लोगों में देशभक्ति के अलख को जलाता है।
है प्रीत जहां की रीत सदा
1970 में आई मनोज कुमार की फिल्म 'पूरब और पश्चिम' का गाना 'है प्रीत जहां की रीत सदा' में भारत के संस्कृति और सभ्यता का गुणगान किया गया है।
फिल्म जागृति का गाना 'दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल' महात्मा गांधी को समर्पित है। इस गाने को आवाज लता मंगेशकर ने दी। और लिखा प्रदीप ने है। इस गाने को हमने अपने बचपन में बहुत गाया है।