अगर पंजाब (Punjab) के स्थानीय निकाय चुनाव परिणामों को एक बार नजरंदाज कर दें तो बीते साल गोवा (Goa) पंचायत चुनाव समेत गुजरात (Gujarat) के हालिया निकाय चुनावों के परिणाम बता रहे हैं कि आम आदमी पार्टी जमीनी स्तर पर कांग्रेस का विकल्प बनकर उभर रही है. इस बात का अंदेशा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल भी बिहार विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद व्यक्त कर चुके हैं. जब उन्होंने एक अंग्रेजी दैनिक को दिए साक्षात्कार में दो टूक कहा था कि कांग्रेस (Congress) को अब आम जनता ने बतौर विकल्प देखना भी बंद कर दिया है. पंजाब में स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता का श्रेय दिल्ली के हाईकमान को नहीं, बल्कि सूबे के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को देना ज्यादा मुनासिब होगा. गुजरात निकाय चुनाव तो कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि उसके वोट बैंक ने आम आदमी पार्टी (AAP) समेत एआईएमआईएम को अपना विकल्प चुना. सूरत में तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही और यहीं से जीत का परचम फहराकर आप पार्टी ने गुजरात की राजनीति में दमदार उपस्थिति दर्ज कराई. यही वजह है कि आम आदमी पार्टी आधा दर्जन राज्यों में विधानसभा चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ने की हुंकार भर रही है.
हीरा नगरी सुरत में आप ने किया कांग्रेस को बड़ा झटका
गुजरात निकाय चुनाव तो आम आदमी पार्टी के लिए पॉवर बूस्टअप की तरह रहे. निकाय चुनावों के प्रचार से ही आम आदमी पार्टी ने खुद को बीजेपी और कांग्रेस के विकल्प बतौर प्रस्तुत किया था. छह नगर निगम के लिए आम आदमी पार्टी ने विभिन्न सीटों पर 470 उम्मीदवार खड़े किए थे. आप ने सूरत में खासा जोर लगाया था. इसकी वजह यही थी कि सूरत पाटीदार समुदाय का आधार है. इसे देखते हुए आप ने पार्टी की कमान गोपाल इटालिया को सौंपी और पाटीदार समुदाय के प्रभावशाली चेहरों को टिकट भी दिया. गोपाल इटालिया एक समय पाटीदार आंदोलन के खास चेहरा थे. पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है और उसने आप को अपना पूरा समर्थन दिया. इसके अलापा आप ने सूरत में जमीन तलाशने की मुहिम 2017-18 से ही शुरू कर दी थी. आप ने अब तक स्थानीय स्तर के 170 से अधिक भ्रष्टाचार के मामलों को सार्वजनिक किया. फिर आप ने अपने प्रचार में दिल्ली मॉडल की बात की. नजीते पक्ष में आए. 120 सीटों में से बीजेपी को 93 तो आप को 27 सीटों पर विजय मिली. कांग्रेस को 2015 निकाय चुनाव में 36 सीटें मिली थी और वह इस कदर निराश कर गई.
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कांग्रेस के नीचे खिसक रही जमीन
हालांकि समग्र गुजरात की बात करें तो कुल आधा दर्जन नगर निगमों में आम आदमी पार्टी ने 575 सीटों पर ही उम्मीदवार खड़े किए थे. इनमें से 5 निकायों में आप का स्कोर शून्य ही रही, लेकिन हर जगह आप ने कांग्रेस के वोटबैंक में जबर्दस्त सेंध लगाई. बची खुची कसर एआईएआईएम ने पूरी कर दी. इस तरह कांग्रेस को आम आदमी पार्टी और बची खुची कसर एआईएमआईएम ने पूरी कर दी. अन्य नगर निगमों में भी बीजेपी का परचम फहराया, लेकिन कांग्रेस कोसों दूर रही. अगर बीते निकाय चुनावों की परिणामों के आधार पर बात करें तो 2015 में बीजेपी ने 572 में से 389 पर जीत दर्ज की थी, जबकि कांग्रेस ने 174 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2021 के निकाय चुनाव में बीजेपी 483 सीटें अपने नाम करने में सफल रही और कांग्रेस महज 55 पर आ टिकी. कई जगहों पर कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन आप का रहा.
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गोवा में आप के लिए आशा की एक किरण
गुजरात निकाय चुनाव से पहले गोवा में पंचायत चुनाव के परिणामों ने आम आदमी पार्टी को एक नई शुरुआत देने का काम किया था. भले ही आप वहां एक सीट ही जीत सकी, लेकिन परंपरागत गढ़ का दावा करने वाली बीजेपी और कांग्रेस के सामने यह उपलब्धि कम नहीं है. पेशे से इंजीनियर 26 वर्षीय हेंजेल फर्नांडिस ने इस चुनाव में कई राजनीतिक धुरंधरों को पछाड़ा. गोवा जिला पंचायत चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सिर्फ एक ही सीट जीती, लेकिन ये जीत प्रत्याशी और पार्टी दोनों के लिए खास है. इस जीत के बाद अब आप को भी गोवा में एक आशा की किरण दिख रही है. हेंजेल फर्नांडिस लंबे वक्त से आम आदमी पार्टी के समर्थक थे. उन्होंने गोवा के कई इलाकों में जाकर पार्टी का प्रचार किया. इसी दौरान पंचायत चुनाव में उन्हें बैनुलिम से टिकट मिला. 2017 में हुए चुनाव में आप के खाते में एक भी सीट नहीं गई थी. अब पार्टी 2022 के चुनावों की तैयारी कर रही है.
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छह राज्यों में ठोकेगी आप ताल
संभवतः इन्हीं संकेतों को समझ कर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल गुजरात में 26 फरवरी को रोड शो करने जा रहे हैं. इसके अलावा वह छह राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर चुके हैं. इनमें उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड, गोवा, गुजरात, पंजाब और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं. उत्तर प्रदेश में तो आप नेताओं की किसान महापंचायत भी शुरू हो चुकी है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी आप सक्रिय हो चुकी है औऱ जमीनी मुद्दों को उठाकर बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ माहौल बना रही है. जाहिर है कांग्रेस के लिए पंजाब निकाय चुनाव में सफलता मनाने का जश्न कतई नहीं है. वहां अमरिंदर सिंह के नाम का जोर है. खासकर पुडुचेरी में सरकार गंवाने के बाद तो कांग्रेस के लिए और भी जरूरी है कि वह समस्या की तह तक जाकर उचित रास्ता अख्तियार करे. वर्ना आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल तो नारा दे ही चुके हैं... एक नई राजनीति की शुरुआत. यह संकेत कांग्रेस के लिए खासकर है.
HIGHLIGHTS
- सूरत निकाय चुनाव में आप ने कांग्रेस की छीनी जमीन
- गुजरात में आप ने दर्ज कराई दमदार उपस्थिति
- अब छह राज्यों में कांग्रेस को देगी चुनौती
Source : News Nation Bureau