लद्दाख सीमा पर झड़प के 20 दिन, भारत ने चीन को दिए 20 बड़े झटके

15 जून की रात हुई इस खूनी झड़प के बाद 20 दिन में भारत ने ड्रैगन को 20 बड़े झटके दिये हैं. आइए जानते हैं ड्रैगन की फुफकार को भोथरा करने वाले कौन से हैं 20 बड़े फैसले...

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Nihar Saxena
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भारत से पंगा चीन को हर गुजरते दिन महंगा पड़ रहा है. ( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Valley) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प (Border Violence) के बाद दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. मसले को बातचीत के जरिये हल करने के प्रयासों के अलावा किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए भारत (India), चीन (China) के खिलाफ हर मोर्चे पर पुख्ता तैयारी कर रहा है. फिर चाहे वह आर्थिक हो, सामरिक हो या फिर कूटनीतिक. 15 जून की रात हुई इस खूनी झड़प के बाद 20 दिन में भारत ने ड्रैगन को 20 बड़े झटके दिये हैं. आइए जानते हैं ड्रैगन की फुफकार को भोथरा करने वाले कौन से हैं 20 बड़े फैसले...

1- 59 चीनी एप पर प्रतिबंध
चीन के खिलाफ भारत की सबसे बड़ी कार्रवाई 29 जून 2020 की शाम हुई, जब 59 चीनी एप्स को बैन कर दिया गया. इसमें TikTok के अलावा DU Recorder, Likee, Helo, Vigo Video सहित कई प्रचलित एप थे. चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक केवल टिकटॉक और हेलो एप पर बैन से चीन की बाईट डांस (ByteDance) कंपनी को लगभग 45,000 करोड़ रुपये के नुकसान की उम्मीद है.

2. 5जी की रेस से चीन की छुट्टी
भारत में 5जी इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए चीनी कंपनियों के साथ अरबों रुपये के कॉट्रेक्ट हुए थे. सरकारी टेलीकॉम कंपनियों BSNL और MTNL ने भी 5G सेवा विस्तार के लिए चीनी कंपनियों को ठेके दिये थे, जिन्हें रद कर दिया गया है.

3. ड्रैगन को 21,000 करोड़ का करंट
शुक्रवार (03 जुलाई) को भारत सरकार के बिजली मंत्री आरके सिंह ने चीन व पाकिस्तान से बिजली उपकरण आयात बंद करने की घोषणा की है. भारत प्रतिवर्ष 71,000 करोड़ रुपये के बिजली उपकरण आयात करता है, जिसमें से 21,000 करोड़ रुपये के उपकरण अकेले चीन से आते थे.

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4. कानपुर-आगरा मेट्रो ठेके से चीनी कंपनी बाहर
शुक्रवार (03 जुलाई) को उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (UPMRC) ने कानपुर व आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कोच सप्लाई की निविदाएं खुलने पर चीनी कंपनी को बाहर कर दिया. दोनों प्रोजेक्ट में 67 ट्रेनों के लिए कोच की आपूर्ति होनी है. अब ये ठेका गुजरात की बॉम्बार्डियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया है.

5. बिहार में चीनी कंपनियों से छिना 29.26 अरब का ठेका
नीतीश सरकार ने रविवार (28 जून) को पटना में गंगा नदी पर बनने वाले पुल का ठेका निरस्त कर दिया. ये पुल मौजूदा महात्मा गांधी सेतु के बगल में बनना है. इसके साथ लगभग 15 किलोमीटर की सड़क भी बननी है. पूरा ठेका 29.26 अरब रुपये का है. प्रोजेक्ट में चुने गए चार ठेकेदारों में से दो के पार्टनर चाइनीच थे, इसलिए ठेका रद कर दिया गया.

6. रेलवे ने 471 करोड़ का ठेका रद किया
कानपुर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के बीच सिग्नलिंग के लिए वर्ष 2016 में चीनी कंपनी को 471 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था. रेलवे ने मौजूदा तनाव के बीच ये ठेका रद कर दिया है.

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7. दिल्ली सरकार की ई-बस प्रोजेक्ट से भी चीन की छुट्टी
दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने को 1000 ई-बसें उतारने की तैयारी में है. इसके लिए चीन से बस के पार्ट्स खरीदकर भारत में असेंबल करने की योजना थी. अब दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि वह चीन से कोई भी पार्ट्स नहीं खरीदा जाएगा. दिल्ली ने यूरोपीय देशों में संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी हैं.

8. चीनी सामानों पर बढ़ी कस्टम ड्यूटी
पिछले दिनों भारत सरकार ने चीन से आयात होने वाले सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है. इसमें चीन निर्मित खिलौनों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक हर सामान शामिल है. इससे चीन को अरबों डॉलर का नुकसान होगा.

9. भारतीय बाजारों से चीनी उत्पाद गायब
बाजार में चीनी मोबाइल से लेकर अन्य उत्पादों की बिक्री लगभग बंद है. व्यापारियों ने भी चीनी उत्पाद से तौबा कर ली है. बिहार में हर महीने चीन से करीब 600 करोड़ रुपये का कारोबार होता था, जो तेजी से सिमट रहा है. दिल्ली के व्यापारियों ने भी चीनी सामान का बहिष्कार करने का फैसला लिया है. चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अनुसार दीपावली पर केवल दिल्ली में चीन से 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का सामान भारतीय बाजारों में पहुंचता है. पूरे देश में दीपावली पर चीन से तकरीबन 1 लाख करोड़ रुपये का सामान आता है. पंजाब के फेडरेशन ऑफ ऑटो पार्ट्स मेन्युफैक्चरर ने भी ऑटो निर्माण कंपनियों से चाइनीज पार्ट्स की जगह भारतीय पार्ट्स का इस्तेमाल करने को कहा है. अन्य राज्यों में भी ऐसे ही संगठित तरीके से चीन का बहिष्कार हो रहा है.

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10. FDI के जरिये चीनी निवेश पर नियंत्रण
भारत-चीन के बीच 5 मई को शुरू हुई तनातनी के बाद मोदी सरकार ने एफडीआई के जरिये चीनी कंपनियों के निवेश को नियंत्रित करना शुरू कर दिया था. इसके लिए भारत सरकार ने संबंधित नियमों में बदलाव किये हैं. मालूम हो कि वर्ष 2009-10 में चीन का भारतीय कंपनियों में निवेश 4.1 करोड़ डॉलर था. वर्ष 2014-15 में चीन ने भारतीय कंपनियों में सर्वाधिक 49.48 करोड़ डॉलर का निवेश किया था. वर्ष 2018-19 में चीनी निवेश 22.9 करोड़ डॉलर और 2019-20 में 16.38 करोड़ डॉलर का था.

11- दिल्ली मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट से चीनी कंपनी बाहर
रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) यानी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल कॉरिडोर के लिए आनंद विहार में टनल बनाई जाएगी. इस टनल के लिए कुछ समय पहले ग्लोबल टेंडर के तहत कंपनियों को आमंत्रित किया गया. टेंडर की नियम-शर्ते व भारत सरकार की नीति के तहत कोई भी विदेशी कंपनी इसमें प्रतिभाग कर सकती है. चीन की कंपनियां पहले से ही तमाम बड़े प्रोजेक्ट में भागीदारी कर चुकी हैं. यहां तक कि दिल्ली मेट्रो में भी उनका योगदान रहा है. ऐसे में चीन की कंपनी ने भी प्रक्रिया में प्रतिभाग किया. तब चीन से कोई विवाद भी नहीं था और टेंडर में चीन की कंपनी ने सबसे काम बोली लगायी थी, जिसके बाद ये टेंडर चीनी कंपनी को दिया जाना तय माना जा रहा था, पर सीमा पर विवाद के बाद चीनी कंपनी से ये टेंडर कैंसिल कर दिया गया.

12- महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनियों को दिए 5000 करोड़ के ठेके रोके
महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स के साथ पिछले महीने समझौता किया था, जिसमे मैग्नेटिक महाराष्ट्र कैंपेन के तहत राज्य में 16 हज़ार करोड़ रुपये के निवेश के समझौतों की घोषणा की थी. इन्हीं समझौतों में एक समझौता चीनी कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्स के साथ भी हुआ था. समझौते के तहत तीन चीनी कंपनियों को पुणे में परियोजनाएं शुरू करनी थी. इनमें ग्रेट वॉल मोटर्स ने सबसे बड़े निवेश का वादा किया था. कंपनी महाराष्ट्र में 3700 करोड़ रुपये निवेश करने वाली थी.लेकिन मौजूदा सीमा विवाद को देखते हुए इन परियोजनाओं को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है.

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13- पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एप वीबो छोड़ा
भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी गतिरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म वीबो (WEIBO) छोड़ दिया. बताया जा रहा है कि अकाउंट से पीएम मोदी का फोटो और सभी पोस्‍ट डिलीट कर दिए गए हैं.

14- रूस से 33 फाइटर जेट और अन्य हथियारों की खरीद
रक्षा मंत्रालय ने रूस से 33 फाइटर जेट खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. 18 हजार 148 करोड़ रुपए के इस प्रपोजल के तहत रूस से 12 सुखोई-30एमकेआई और 21 मिग-29 खरीदे जाएंगे. इसके अलावा देश में मौजूदा 59 मिग-29 को अपग्रेड भी किया जाएगा. इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने नेवी और एयरफोर्स के लिए 248 अस्त्र एयर टू एयर मिसाइल खरीदने को भी मंजूरी दे दी है. इसके अलावा डीआरडीओ को एक हजार किलोमीटर तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल डेवलप करने को भी मंजूरी दे दी है. रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस के लिए 38 हजार 900 करोड़ रुपए की खरीदारी के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इनमें से 31 हजार 130 करोड़ रुपए की खरीदारी इंडियन इंडस्ट्री से की जाएगी. इसके तहत पिनाका रॉकेट लॉन्चर के एम्युनिशन और बीएमपी कॉम्बैट व्हीकल को अपग्रेड करने की भी मंजूरी दी है. इसके अलावा आर्मी के लिए रेडियो के सॉफ्टवेयर भी खरीदे जाएंगे.

15- हांगकांग को लेकर चीन की संसद में पारित हुए कानून पर भारत ने दिया बयान
चीन के खिलाफ अपनी आक्रामक कूटनीति की धार को और तेज करते हुए भारत ने हांगकांग को लेकर चीन की संसद में पारित हुए कानून को लेकर पहली बार हांगकांग के हालात पर बयान दिया. जेनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद के 44वें सत्र में हिस्सा लेते हुए भारत ने कहा कि हांगकांग में बड़ी संख्या में रहने वाले भारतीयों की स्थिति को देखते हुए वह वहां के हालात पर नजर रखे हुए है. भारत के राजदूत राजीव कुमार चंदर ने उक्त बयान देते हुए यह उम्मीद जताई कि सभी संबंधित पक्ष गंभीरता से व सही तरीके से उचित कदम उठाएंगे. भारत ने अपने बयान से यह जता दिया है कि वह भी द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर अब किसी तरह के लिहाज के मूड में नहीं है. हांगकांग चीन के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा है. संभवत: यही वजह है कि भारत अब तक तनाव होने के बावजूद इस पर टिप्पणी करने से परहेज करता रहा है, लेकिन लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए सैन्य झड़प के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए हैं.

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16- गलवान हिंसा के बाद सैनिकों को मिली हथियारों के इस्तमाल की छूट
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के साथ भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पिछले कई वर्षों से जारी है, ऐसे में दोनों देशों के बीच समझौता है कि विकट परिस्थितियों में भी बॉर्डर पर हथियार का इस्तेमाल नहीं होगा. कोई भी सैनिक गोली नहीं चलाएगा, लेकिन गलवान की घटना में चीनी सैनिकों ने इसका उल्लंघन कर दिया. जो धोखा है. इसके बाद भारत ने सख्त रुख अपना लिया है. सरकार ने सैनिकों को हथियारों के इस्तमाल की छूट देते हुए कहा कि अगर बात सैनिकों की जान पर आ जाती है और जान को खतरा होता है तो सेल्फ डिफेंस में कदम उठाएं और प्रोटोकॉल की चिंता ना करें.

17- सेना को मिली इमरजेंसी फंड की मंजूरी
गलवान घाटी में तनाव के बाद से ही भारत की तीनों सेनाएं सतर्क हैं. लद्दाख के पास लगातार थल सेना को भेजा जा रहा है. बॉर्डर और आसपास के इलाकों में तैनाती बढ़ाई जा रही है. साथ ही वायुसेना ने भी लेह एयरबेस पर अपने पैर जमा लिए हैं. इस बीच सरकार की ओर से सेना को इमरजेंसी फंड दिया गया है. इसके तहत 500 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. साथ ही सेना को अब ये छूट है कि जरूरत के लिए वह किसी भी हथियार की खरीदारी तुरंत कर सकते हैं. ऐसे में किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए सरकार ने सेना का साथ दिया है.

18- केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाईवे व टोल प्रोजेक्ट में भी चीनी कंपनियों पर लगायी रोक.

19- इंडियन नेवी ने हिन्द महासागर में और अमेरिका ने साउथ चीन सागर में उतारा विमानवाहक युद्धपोत.

20- भारत ने दिया चीन को कूटनीतिक झटका अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, जापान, जर्मनी और फ्रांस ने खुलकर दिया भारत का साथ.

PM Narendra Modi Xi Jinping Ladakh India China Border Tension dragon Blows Indo-Sino Disputes
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