चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारत एक और बड़ा प्लान बना रहा है. ये प्लान है सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में झंडे गाड़ने का. इसके लिए सरकार ने 10 अरब डॉलर का भारी भरकम बजट भी तय कर दिया है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रोद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि भारत अगले 10 साल में वो हासिल कर लेगा जिसे हासिल करने में चीन को 25 से 30 साल लगे हैं. देश में कई प्लांट लगेंगे और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा. यानी भारत का प्लान सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन को पछाड़ने का है. ग्लोबल सप्लाई चेन में शीर्ष मकाम हासिल करने का है. लेकिन भारत की इस योजना ने चीन में खलबली मचा दी है. अब चीन सीक्रेट सेमीकंडक्टर प्लांट तैयार करने लगा है. लेकिन आखिर चीन ऐसा क्यों कर रहा है और क्या भारत को इससे परेशान होना चाहिए? चलिए समझने की कोशिश करते हैं.
पहली बात तो ये समझिए कि आखिर ये सेमीकंडक्टर होता क्या है? सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल तकरीबन हर इलेक्ट्रॉनिक चीज में होता है... मोबाइल से लेकर टीवी तक और कारों से लेकर हवाईजहाज तक में सेमीकंडक्टर तक का इस्तेमाल होता है. दुनिया में सबसे अधिक सेमीकंडक्टर ताईवान में बनते हैं. चीन भी इस क्षेत्र का बहुत बड़ा खिलाड़ी है. दक्षिण कोरिया और अमेरिका में भी सेमीकंडक्टर बनते हैं. महामारी के दौरान चिप बनने यानी सेमीकंडक्टर बनने करीब-करीब बंद हो गए थे. ऐसे में हर चीज पर फर्क पड़ने लगा था... मोबाइल कम बनने लगे थे... कारें भी बाजार में कम आ पा रही थीं क्योंकि चिप शॉर्टेज ने हर इंडस्ट्री का हाल बेहाल कर दिया था. ऐसे में भारत ने ये समझ लिया था कि अब आने वाला वक्त सेमीकंडक्टर और इससे जुड़े उद्योगों का है.
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सेमीकंडक्टर से क्या होगा फायदा
इससे दो फायदे होंगे. पहला फायदा ये कि भारत की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा. अभी भारत इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर है. दूसरा फायदा ये कि ग्लोबल सप्लाई चेन में अगर भारत की भूमिका बड़ी होती है तो वो चीन को पीछे छोड़ सकता है. अगर दुनिया की बड़ी कंपनियां भारत में सेटअप लगाती हैं तो भारत को आर्थिक फायदा भी होगा और तमाम नौकरियां भी पैदा होंगी. इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं को देखते हुए भारत ने बड़ा प्लान तैयार किया है. 10 अरब डॉलर का ये जो प्रोत्साहन प्लान तैयार किया गया है, उसने दुनिया की तमाम कंपनियों को ध्यान खींचा है. अब फॉक्सकॉन और माइक्रोन समेत कई बड़ी कंपनियां भारत में अपना सेटअप लगाने का प्लान तैयार कर रही हैं.
चीन का अब क्या होगा कदम
अब इन खबरों के सामने आने से चीन में खलबली की स्थिति है. आनन फानन में चीन की कंपनी हुवावे टेक्नोलॉजीज ने चिप प्रोडक्शन के काम में एंट्री ले ली है. चीन की सरकार से 30 अरब डॉलर की फंडिंग भी उसे मिल रही है. इस पैसे से हुवावे ने दो प्लांट्स का अधिग्रहण कर लिया है और कुछ नए प्लांट्स बनाने की तैयारी भी शुरु कर दी है. लेकिन चीन की ये कंपनी अमेरिका में बैन है और भारत में भी इसकी एंट्री की फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. ऐसे में चीन की इस कंपनी ने सीक्रेट तरीकों से सेमीकंडक्टर निर्माण शुरु कर दिया है. चीन का प्लान भी सेमीकंडक्टर बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने का है. इसके लिए चीन पूरा जोर भी लगाता दिख रहा है.
हुवावे कंपनी को चिप बनाने के लिए दुनिया से सामान भी चाहिए और साथ ही दुनिया भर के बाजार भी... जहां वो अपने चिप बेच सके... लेकिन चीन के चिप, कोई जासूसी तो नहीं कर रहे? यही वो सवाल है जो दुनिया के तमाम देशों को परेशान कर रहा है. और दुनिया इसीलिए भारत के सेमीकंडक्टर्स का इंतजार कर रही है. अब देखना ये होगा कि भारत में चिप निर्माण कब तक शुरु हो जाएगा और कब भारत ग्लोबल सप्लाई का हिस्सा बन पाएगा.
वरुण कुमार की रिपोर्ट
Source : News Nation Bureau