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Explainer: जासूसी दुनिया का रियल जेम्स बॉन्ड ‘रिटर्न्स’, मोदी सरकार ने डोभाल को फिर बनाया NSA, जानिए क्यों?

मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को एक बार फिर नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) बनाया है. बतौर एनएसए यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा. उनकी नियुक्त पीएम मोदी के कार्यकाल के अंत तक रहेगी. इस बार डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य मामलों और खुफिया मामलों को संभालेंगे.

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Ajay Bhartia
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Ajit Doval

अजीत डोभाल( Photo Credit : Social Media)

Centre reappoints Ajit Doval as NSA: मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को एक बार फिर नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) बनाया है. बतौर एनएसए यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा. इसके साथ ही एक और रिकॉर्ड उनके नाम के साथ जुड़ गया है. वो प्रधानमंत्री के लिए सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधान सलाहकार बन गए हैं. एनएसए की रूप में उनकी नियुक्त पीएम मोदी के कार्यकाल के अंत तक रहेगी. इस बार डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य मामलों और खुफिया मामलों को संभालेंगे.

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अजीत डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी ऑफिसर हैं. उनको आतंकवाद विरोधी मामलों और परमाणु मुद्दों के एक्सपर्ट के रूप में जाना जाता है. ऐसे में उनका एक बार फिर एनएसए बनना आतंकवादियों के खात्मे के रूप में देखा जा रहा है. आइए जानते हैं कि मोदी सरकार ने एक बार फिर अजीत डोभाल को एनएसए क्यों बनाया.

1. पीएम मोदी के भरोसेमंद

अजीत डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भरोसेमंद बताया जाता है. अजीत डोभाल और पीएम मोदी की रणनीतिक सोच में अच्छा तालमेल बैठता है. यही वजह है कि डोभाल 2014 में एनडीए के प्रधानमंत्री बनने से पहले से ही मोदी के साथ जुड़े हुए हैं. अपनी विशेषज्ञता के बावजूद एनएसए डोभाल बहुत कम चर्चा में रहते हैं. वो मीडिया और इंटरव्यूज से भी पूरी तरह दूर रहते हैं. एनएसए डोभाव भारत के पड़ौसी देशों के साथ संबंधों और पी5 के साथ पीएम मोदी के प्रमुख वार्ताकार हैं.

2. जासूसी का लंबा अनुभव

वर्तमान में डोभाल पीएम के लिए भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ एंड डब्ल्यू (RA&W) को भी संभालते हैं. डोभाल एक दिग्गज जासूस हैं, जिन्हें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मध्य पूर्व में करीबी संबंधों का अनुभव है. जासूसी की दुनिया में 37 साल का तजुर्बा रखने वाले डोभाल 31 मई, 2014 को पहली बार देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने. खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर डोभाल 7 साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रहे थे. उन्होंने बतौर खुफिया जासूस नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में कई साल बिताए हैं. अपनी हिम्मत और जज्बे के बूते उन्होंने जासूसों की दुनिया में ऐसी कई मिसालें कायम की हैं, जिनकी वजह से उनको भारत का जेम्स बॉन्ड या जासूसों की दुनिया का रियल जेम्स बॉन्ड कहा जाता है.

3. टेररिज्म के मुद्दे पर मजबूत पकड़

अजीत डोभाल को आतंकवाद विरोधी मामलों और परमाणु मुद्दों के एक्सपर्ट के रूप में जाना जाता है. मोदी सरकार ने उनको ऐसे समय पर एनएसए बनाया है जब जम्मू-कश्मीर के रियासी में आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों की बस पर हमला किया है. सुरक्षा बलों के कठुआ और डोडा में भी आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन जारी है. ऐसे में काउंटर टेररिज्म का एक्सपर्ट होने के नाते डोभाल की भूमिका काफी अहम हो जाती है.

पीएम मोदी भी इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं. यही वजह है कि उन्होंने विदेश जाने से पहले गुरुवार को डोभाल से जम्मू-कश्मीर की स्थित पर चर्चा की. पीएम मोदी जी7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए इटली जाएंगे. एनएसए के पद पर डोभाल की नियुक्त कर उन्होंने साफ कर दिया है कि आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा.

4. विदेशी मामलों की अच्छी समझ

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मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को एक बार फिर एनएसए बनाया है, इसके पीछे की एक वजह यह भी दिखती है कि उनको विदेशी मामलों की अच्छी समझ हैं. उन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार समेत कई देशों में खुफिया ऑपरेशंस को अंजाम दिया है. उनकी क्षमता को देश कई मौकों पर देख चुका है. साथ ही उनकों आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशंस को अंजाम देने का अच्छा अनुभव है.

5. एयर-सर्जिकल स्ट्राइक में भूमिका

अजीत डोभाल 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे. उन्होंने जनवरी 2016 में हुए पठानकोट आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन को सफलतापूर्वक लीड किया था. वह जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे (अनुच्छेद 370) को रद्द करने में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं. 2020 को म्यांयार के सैन्य बलों ने असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय 22 उग्रवादियों के एक ग्रुप को भारत सरकार को सौंप दिया. डोभाल की अध्यक्षता में हुई बातचीत के जरिए ही यह संभव हो पाया था.   

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Source : News Nation Bureau

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