अजीत डोभाल (Ajit Doval) वो नाम है जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. मौजूदा समय में अगर किसी को भारत का जेम्स बांड कहा जाए तो इसमें सबसे ऊपर अजीत डोभाल का ही नाम होगा. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) के बारे में कम ही लोग जानते होंगे कि वह पाकिस्तान (Pakistan) में अंडर कवर (undercover agent) एजेंट रह चुके हैं. उनके जन्मदिन (Birthday) पर जानते हैं अजीत डोभाल से जुड़े किस्से
पाकिस्तान में सालों तक रहे अंडरकवर एजेंट
अजित डोभाल पाकिस्तान में कई सालों तक अंडरकवर एजेंट (खुफिया जासूस) रह चुके हैं. उन्होंने एक इंटेलिजेंस से रिटायर होने के बाद एक समारोह में किस्सा सुनाया था जासूसी के दौरान उन्हें लगभग पहचान लिया गया था. किसी तरह वह बचकर निकले. अजित डोभाल ने पाकिस्तान में सात साल तक जासूसी की. उन्हें ही सर्जिकल स्ट्राइक का मास्टर माइंड माना जाता है.
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आगरा से ली अर्थशास्त्र की डिग्री
अजित डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को जन्मे डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई के बाद आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली. उन्हें बचपन से ही पढ़ाकू माना जाता है. 1968 केरल बैच के आईपीएस (IPS) अफसर चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गया. इसके बाद से वे एक के बाद एक कई अहम खुफिया ऑपरेशन्स का हिस्सा बनते चले गए.
जासूसी करते लगभग पकड़े गए थे
अजित डोभाल जब पाकिस्तान में जासूसी कर रहे थे तब एक बार उन्हें लगभग पहचान लिया गया था. उन्होंने खुद इस किस्से का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान में उन्हें एक शख्स ने कान के छिदे होने पर हिंदू की तरह पहचान लिया था. डोभाल के मुताबिक, वो शख्स उन्हें अलग से एक कमरे में ले जाकर सवाल कर रहा था. बाद में पड़ताल कर रहे शख्स ने बताया कि वो भी एक हिंदू ही है. साथ ही साथ उसने भारतीय खुफिया तंत्र के इस बेहद ताकतवर शख्स को कई सलाहें भी दे डालीं थीं, जैसे सर्जरी करवाकर कान के छेद बंद करवाना.
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कीर्ति चक्र पाने वाले पहले पुलिस अफसर
अजित डोभाल देश के इकलौते ऐसे पुलिस अधिकारी हैं जिन्हें कीर्ति चक्र से नवाजा गया है. आम तौर पर यह पुरस्कार सेना के अधिकारी को ही दिया जाता है लेकिन अजित डोभाल के कई ऐसे कारनामे हैं जो उनके अलावा कोई और नहीं कर सकता था. 1989 में अजित डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर का नेतृत्व किया था. तब भी वे एक रिक्शावाला बनकर ये काम करते रहे और किसी को कानोंकान भनक दिए बगैर स्वर्ण मंदिर से नक्शे, हथियारों और लड़ाकों की सारी जानकारियां लेकर बाहर भी चले आए थे. वहीं पाकिस्तान में जासूसी से पहले उन्होंने जूते बनाने का काम भी सीखा जिससे खुफिया काम के दौरान किसी को शक न हो.
सर्किकल स्ट्राइक के मास्टर माइंड
उरी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की तो उसके मास्टर माइंड अजीत डोभाल ही थे. उन्हीं की देखरेख में पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. म्यांमार पर भी भारत ने एक सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उसे भी अजीत डोभाल की देखरेख में ही अंजाम दिया गया. अजीत डोभाल के निर्देशन में भारत कश्मीर से आतंकवाद का सफाया करने के लिए कई अभियान चला चुका है.
Source : News Nation Bureau