समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव राज्यसभा के जरिए 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के समीकरण साधने में जुट गए है. इसलिए राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, रालोद मुखिया जयंत चौधरी और जावेद अली खान को भेज रहे. इससे एक तीर से कई निशाने साध जाएंगे. दरअसल इन दिनों सपा से नाराज चल रहे आजम खान को मनाने के लिए उनके वकील रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को सपा ने अपने समर्थन से प्रत्याशी बनाया. दूसरी ओर जयंत चौधरी को प्रत्याशी बनाकर गठबंधन धर्म निभाने का संदेश दिया है. संभल के जावेद अली खां पर पार्टी ने दोबारा भरोसा जताया है. साथ ही पार्टी ने आजम से बढ़ती दूरियों के बीच मुस्लिम मतदाताओं को भी साधने का प्रयास किया है.
दिल्ली की राजनीति के लिहाज से सिब्बल उपयुक्त
राजनीतिक जानकारों की मानें तो कपिल सिब्बल को समर्थन देनें के पीछे अखिलेश के इस फैसले से पार्टी को राज्यसभा में एक बुलंद आवाज मिलेगी, तो वहीं पार्टी के अंदर चल रही अंदरूनी राजनीति भी खत्म हो सकेगी. इसके साथ ही मुलायम सिंह यादव की बढ़ती उम्र व स्वास्थ्य तथा खुद की यूपी में सक्रिय मौजूदगी की मजबूरी के चलते अखिलेश के लिए दिल्ली की सियासत में अपने लिए किसी ऐसे प्रभावी पैरोकार की जरूरत थी, जिसका न सिर्फ दिल्ली के महत्वपूर्ण स्थानों पर बैठना हो बल्कि सक्रिय और दूसरे राज्यों के प्रमुख दलों के नेताओं से भी संपर्क व संवाद हो. इसके लिए सिब्बल उपयुक्त होंगे.
जावेद-जयंत भी रणनीति के केंद्र में
सपा आजम और शिवपाल के बगावती रूख से खासी परेशान है. ऐसे में माना जा रहा है कि आजम को मनाने में कपिल सिब्बल बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. विधानसभा चुनाव में जिस तरह अल्पसंख्यक समुदाय ने एकतरफा सपा का साथ दिया उससे यह तय माना जा रहा था कि राज्यसभा चुनाव में सपा किसी मुस्लिम चेहरे को मौका देंगे. उम्मीद के मुताबिक जावेद अली खान को सपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है. जयंत से गठबंधन करने से सपा मुखिया को विधानसभा में कुछ लाभ हुआ था. आगे लोकसभा पश्चिमी यूपी में और बेहतर हो गठबंधन की गांठ और मजबूत हो इसके लिए अखिलेश ने जयंत को राज्यसभा भेजकर उदारता दिखाई है. विधानसभा चुनाव में अखिलेश और जयंत की जोड़ी ने भाजपा का गढ़ बन चुके पश्चिमी यूपी में चुनौती बढ़ा दी थी.
आजम खां और मुसलमानों को साधने की कोशिश
कपिल सिब्बल एक जाने माने वकील हैं आजम खां को खुश करने के लिए सपा ने उन्हें राज्यसभा में समर्थन किया है, क्योंकि आजम खां के बहाने मुस्लिम वोटों सपा सहेजना चाहती है. विधानसभा चुनाव के बाद मुस्लिम के नाराजगी की खबरें आ रही थीं. लोकसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं है. ऐसे में जो मुस्लिम वोट एक साथ विधानसभा में सपा को मिला था व छिटके नहीं. आजम खान का दबाव था कि कपिल सिब्बल को समर्थन दिया जाए. इसलिए उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है. लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के खिलाफ थर्ड फ्रंट तैयार करने की कोशिश हो रही है. इसलिए अखिलेश केसीआर और केजरीवाल से मिल रहे हैं. उस कोशिश को कहीं यूपी से झटका न लगे इसलिए जयंत और राजभर को संभाला जा रहा है. इसी कारण से जयंत को राज्यसभा भेजा गया है. सपा लोकसभा चुनाव के लिए छोटे दलों को बांधे रखना चाहती है. इसलिए उसने कई नेताओं की दावेदारी को नकारते हुए यह निर्णय लिया है.
HIGHLIGHTS
- जयतं-जावेद को मौका देकर गठबंधन धर्म निभाया
- कपिल सिब्बल के जरिये दिल्ली में कद बढ़ाया
- राज्यसभा के रास्ते लोकसभा चुनाव की रणनीति