उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय ने नोएडा अथॉरिटी के सीईओ रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. रितु माहेश्वरी को कस्टडी में लेकर पुलिस को इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश करना होगा. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि हाईकोर्ट ने रितु महेश्वरी को 4 मई की सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया था. अदालत ने विगत 28 अप्रैल को सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 4 मई को होगी. उस दिन नोएडा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी खुद अदालत में मौजूद रहेंगी. दरअसल, 28 अप्रैल को हुई सुनवाई के दिन भी रितु महेश्वरी अदालत में हाजिर नहीं हुई थीं. इसके बाद ही जस्टिस सरल न्यायमूर्ति ने ये आदेश दिया.
हाई कोर्ट में समय से नहीं पहुंचीं रितु माहेश्वरी, जस्टिस हुए खफा
नोएडा प्राधिकरण के वकील रविंद्र श्रीवास्तव ने न्यायालय को बताया कि रितु महेश्वरी (Ritu Maheshwari) हवाई जहाज से आ रही हैं. उनकी फ्लाइट 10:30 बजे दिल्ली से उड़ान भरेगी. अदालत ने कहा कि उन्हें 10:00 बजे न्यायालय में हाजिर हो जाना चाहिए था. यह नोएडा की सीईओ का अनुचित कामकाज और व्यवहार है. यह अदालत की अवमानना के दायरे में आता है. उनके खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू करने का अदालत ने आदेश दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने गौतमबुद्ध नगर के CJM को आदेश का अनुपालन करवाने की जिम्मेदारी सौंपी है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि 'जब सुनवाई का समय सुबह 10 बजे का है और आप साढ़े दस बजे की फ्लाईट पकड़ रही है. ये कोर्ट आपकी सहूलियत के हिसाब से नहीं चलता.'
हाईकोर्ट के आदेश का नहीं हुआ पालन
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के इस आदेश के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में भी नोएडा प्राधिकरण मुकदमा हार गई. इसके बावजूद इलाहाबाद हाईकोर्ट के पुराने आदेश का पालन नहीं किया. लिहाजा, मनोरमा कुच्छल ने नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी. इस अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 अप्रैल 2022 को अदालत ने आदेश पारित किए. इसी मामले में रितु महेश्वरी को हाईकोर्ट ने 4 मई की सुनवाई में हाजिर रहने का आदेश दिया था. अदालत ने विगत 28 अप्रैल को सुनवाई करते हुए निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई 4 मई को होगी. उस दिन नोएडा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी खुद अदालत में मौजूद रहेंगी. दरअसल, 28 अप्रैल को हुई सुनवाई के दिन भी रितु महेश्वरी अदालत में हाजिर नहीं हुई थीं.
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पूरा मामला: साल 1989 से चल रहा था पूरा खेल
नोएडा के सेक्टर-82 में प्राधिकरण ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को अर्जेंसी क्लोज के तहत भूमि अधिग्रहण किया था, जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी. वर्ष 1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने अर्जेंसी क्लॉज के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. मनोरमा कुछ को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश प्राधिकरण को सुनाया था.
नोएडा और गाजियाबाद अथॉरिटी में अधिकारियों का चलता रहा है खेल
बता दें कि नोएडा (Noida) और गाजियाबाद (Ghaziabad) में तैनात अधिकारियों ने जमीन से जमकर धन की कमाई की है. कई अधिकारियों ने लंबे समय तक ताकत का भरपूत दोहन करते हुए जमकर धन कमाए हैं. ऐसे अधिकारियों में नीरा यादव और यादव सिंह जाटव जैसे अधिकारियों के नाम हैं, जिन्हें जेल की सजा से लेकर सैकड़ों करोड़ की संपत्ति अर्जित करने जैसे मामलों में गिरफ्तार तक किया गया. ऐसे ही एक अधिकारी राजीव कुमार का भी नाम शामिल है, जो नीरा यादव के साथ मिल कर करोड़ों के घोटाले में लिप्त रहे थे. नीरा यादव और राजीव कुमार को तीन-तीन साल जेल की सजा भी हुई थी.
HIGHLIGHTS
- रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट
- साल 1989 से जमीन अधिग्रहण का मामला
- पुलिस कस्टडी में जाना होगा कोर्ट