गृहमंत्री अमित शाह ने प्रतीकों के जरिए चला बंगाली अस्मिता का दांव

अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे के पहले दिन शनिवार को प्रतीकों के जरिए बंगाली अस्मिता का दांव चला है.

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Nihar Saxena
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दीदी के गढ़ में 'ममतामयी' चालों से शह-मात का खेल खेल गए अमित शाह.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे के पहले दिन शनिवार को प्रतीकों के जरिए बंगाली अस्मिता का दांव चला है. उनके दौरे का पहला दिन एक प्रकार से स्वामी विवेकानंद और खुदीराम बोस के नाम रहा. दोनों महापुरुषों को बंगाली सपूत बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने जहां बंगाली अस्मिता की राजनीति को हवा दी, वहीं उन्होंने सियासी चतुराई दिखाते हुए यह भी कह दिया कि खुदीराम बोस जितने बंगाल के थे, उतने ही पूरे भारत के थे. जबकि स्वामी विवेकानंद के पैतृक घर जाने को अपना सौभाग्य बताते हुए अमित शाह ने उन्हें भारत की आकाशगंगा का सबसे तेजस्वी तारा बताया.

विवेकानंद के हिंदुत्व पर चर्चा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से भाजपा के हिंदुत्व कार्ड के जवाब में स्वामी विवेकानंद के हिंदुत्व पर चर्चा कर नई बहस छेड़े जाने पर गृहमंत्री अमित शाह ने विवेकानंद के राष्ट्रवाद के मुद्दे को उठाया है. गृहमंत्री अमित शाह ने स्वामी विवेकानंद का गृहस्थान का दौरा करने के बाद कहा, 'स्वामी जी वो शख्सियत थे, जिन्होंने देश का आह्वान किया था कि 50 साल तक सब लोग सब कुछ भूल कर भारत माता की यदि आराधना करें तो भारतवर्ष जागृत हो जाएगा. उनके आह्वान के ठीक 50 वर्ष बाद भारत को आजादी मिली थी.'

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बंगाली अस्मिता का गुणगान
पश्चिम बंगाल के चुनावी हो चुके माहौल में ममता बनर्जी ने बंगाली अस्मिता कार्ड को तेजी से चला है. ममता बनर्जी भाजपा नेताओं को बाहरी बताकर एक माहौल बनाने में जुटी हैं, जिसके जवाब में भाजपा ने भी बंगाली महापुरुषों के गौरवगान के जरिए काउंटर शुरू कर दिया है. बंगाल के हर उन महापुरुषों को पार्टी याद करने में जुटी है, जिन्होंने बंगाल से राष्ट्रवाद की अलख जगाई. इससे पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने दौरे के दौरान ममता बनर्जी के बाहरी होने के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी बाहरी थे क्या?

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खुदीराम बोस का भारत
गृहमंत्री अमित शाह ने सिर्फ 18 वर्ष की उम्र में देश की आजादी के लिए जान देने वाले खुदीराम बोस को देश का महान सपूत बताते हुए राज्य के युवाओं में एक संदेश देने की कोशिश की. गृहमंत्री ने सभी से मिलजुलकर खुदीराम बोस के सपने का भारत बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक मजबूत, सशक्त और सुरक्षित भारत का निर्माण हो रहा है. पश्चिम बंगाल के महापुरुषों ने पूरे देश को हमेशा दिशा दिखाई है. भाजपा बंगाल के गौरव का परचम विश्व पटल पर फहराना चाहती है. टीएमसी सरकार ने अपने महापुरुषों को जो सम्मान नहीं दिया, वो सम्मान भाजपा दे रही है.

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किसान के घर लंच कर दिया संदेश
यही नहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने किसान आंदोलन के बीच भी प्रतीकात्मक संदेश दिया. उन्होंने दौरे के पहले दिन मिदनापुर में किसान सनातन सिंह के घर खाना खाया. किसान आंदोलन के बीच देश के गृहमंत्री अमित शाह के एक किसान नेता के घर जमीन पर बैठकर खाना खाने के काफी मायने हैं. एक तरह से उन्होंने किसानों को लेकर सरकार और संगठन के शुभचिंतक होने का संदेश देने की कोशिश की. काबिलेगौर है कि मोदी सरकार के सितंबर में बनाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 26 नवंबर से हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं. अब तक हुई पांच दौर की वार्ता के बाद भी किसान आंदोलन का कोई हल नहीं निकल सका है.

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