इस वक्त देश कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी से जूझ रहा है. सरकार का पूरा ध्यान इस वक्त इस महामारी से निपटने पर है. ऐसे में फिलहाल जनगणना एनपीआर जैसे अहम मुद्दे सरकार की प्राथमिकता में शामिल नहीं है. घातक वायरस ने हर किसी की जिंदगी पर ब्रेक लगाने का काम किया है तो सरकार के कामकाज पर भी इसका बुरी तरह से असर पड़ा है. नतीजा यह है कि कोरोना दौर में आर्थिक गतिविधियां बंद होने से अर्थव्यवस्था गिर चुकी है. लोगों के रोजगार छिन गए. देश की जनता को ऐसी ही कई और परेशानियां झेलनी पड़ रही है. मसलन सरकार इस वक्त कोरोना महामारी से निपटने की पुरजोर कोशिश कर रही है और बाकी के काम अभी ठंडे बस्ते में रख दिए गए हैं.
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इस महामारी की वजह से जनगणना और एनपीआर का काम भी रुक चुका है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि फिलहाल जनगणना का काम महत्वपूर्ण नहीं है. अब तक जनगणना के पहले चरण पर ही कोई निर्णय नहीं हुआ. मगर यह लगभग तय माना जा रहा है कि अब 2020 में इसका काम शुरू नहीं हो पाएगा. बता दें कि जनगणना के पहले चरण और एनपीआर को अपडेट करने का काम इस साल 1 अप्रैल से 30 सितंबर के बीच पूरा करने का लक्ष्य था.
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सरकारी अधिकारी की मानें तो इस पूरी प्रक्रिया में लाखों कर्मचारियों को काम पर लगाना पड़ता, लेकिन ऐसे में कोरोना वायरस संक्रमण बहुत ज्यादा फैल जाने का खतरा था. यही वजह है कि इस पूरी प्रक्रिया को टाल दिया गया. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर हम कोई रिस्क नहीं ले सकते हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि संभव है कि जनगणना में अब एक साल से ज्यादा की देर हो जाए, क्योंकि फिलहाल कोरोनावायरस के प्रकोप में कोई कमी आती नहीं दिख रही है.
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क्या है एनपीआर?
एनपीआर की फुल फॉर्म नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर है. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, जैसा कि नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह देश की जनसंख्या से जुड़ा हुआ है. जनसंख्या रजिस्टर में पूरे देश के हर नागरिक का विवरण शामिल होगा. हालांकि एनपीआर की घोषणा के बाद इसको लेकर देश में काफी हंगामा हुआ था. राजनीतिक दलों से लेकर कुछ समुदाय के लोग एनपीआर को एनआरसी और सीएए से जोड़ कर देख रहे थे. अगर आपको यह भी बता दें कि सरकार के मुताबिक एनपीआर और एनआरसी पूरी तरह अलग हैं.