उत्तराखंड में चमोली जिले में बीते रविवार को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में टूटे हिमखंड से बाढ़ आ गई है और इस कारण धौलगंगा घाटी और अलकनन्दा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. इससे ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर स्थित रैणी गांव के समीप स्थित एक निजी कम्पनी की ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है. इस प्राकृतिक आपदा में लगभग 150 लोगों की मृत्यु की आशंका है और यहां काम करने वाले कई मजदूर लापता हैं.
इस क्षेत्र में एनडीआरएफए आईटीबीपीए थल सेना और वायु सेना का राहत एवं बचाव कार्य जारी है. इस हादसे में सबसे अधिक नुकसान ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को हुआ है. खबरें हैं कि प्रोजेक्ट से जुड़े किसी बांध के टूटने की वजह से यह त्रासदी आई हैं हालांकि, अभी तक आधिकारिक जानकारी आनी बाकी है.जोशीमठ की एसडीएम के अनुसार तपोवन की एनटीपीसी और ऋषि गंगा प्रोजेक्ट मलबे में तब्दील हो गया है. ऋषि गंगा प्रोजेक्ट के साथ ही तपोवन ;520 मेगावॉटद्धए पीपल कोटी ;4’111 मेगावॉटद्ध और विष्णुप्रयाग ;400 मेगावॉटद्ध प्रोजेक्ट्स को भी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है.
शुरुआती जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड के जोशीमठ में एक ग्लेशियर गिरने से एक बांध टूट गया है. इससे पानी का प्रवाह काफी तेज हो गया है और पानी नीचे आ रहा है. इस पानी में ही कई लोगों के बह जाने की खबर आ रही है. यह हादसा तपोवन के ऊपर नदी में हुआ है. पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसारए तपोवन रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर आने के कारण ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट को काफी क्षति पहुंची है, जिससे नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. एनटीपीसी ने एक ट्वीट में कहाए ष्उत्तराखंड में तपोवन के पास जलप्रलय में हमारे निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना के एक हिस्से को नुकसान पहुंचा है. बचाव कार्य जारी है. जिला प्रशासन और पुलिस की मदद से स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है.
क्या है ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट?
उत्तराखंड के चमोली जिले में बिजली उत्पादन की एक परियोजना चल रही है.,जिसका नाम ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट ह. यह सरकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजना है. यह करीब 10 वर्ष से अधिक समय से काम कर रही है. ऋषि गंगा नदी पर यह प्रोजेक्ट चल रहा है. ऋषि गंगा नदी धौली गंगा में मिलती है.
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के जरिए 63520 एमडब्ल्यूएच बिजली बनाने का लक्ष्य है. हालांकि अभी कितना उत्पादन हो रहा है, इसकी आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. जब यह प्रोजेक्ट अपनी पूरी क्षमता पर काम करने लगेगा तो इससे बनने वाली बिजली को दिल्लीए हरियाणा समेत अन्य राज्यों में सप्लाई करने की योजना है. ऋषि गंगा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का प्रमुख कायर्क्षेत्र रैणी गांव है. इससे इतनी बिजली बनाए जाने का लक्ष्य है, जिससे उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान समेत उत्तर भारत में बिजली देने की योजना थी. सैलाब के बाद गांव के तटीय क्षेत्रों में लोगों को अलर्ट किया गया है. नदी किनारे बसे लोगों को क्षेत्र से हटाया जा रहा है.
खास तरीके से बिजली बनाई जा रही है
गौरतलब है कि ऋषिगंगा प्रोजेक्ट एक बिजली उत्पादन का प्रोजेक्ट है, जिसमें पानी के प्रवाह के जरिए बिजली बनाने का काम चल रहा था. साथ ही, अभी इस प्रोजेक्ट को विस्तार देने का काम भी चल रहा है. प्रोजेक्ट में खास तरीके से बिजली बनाई जा रही है. दरअसलए कई पन बिजली परियोजनाओं में पहले बांध बनाया जाता है और वहां पानी रोककर पानी का प्रवाह बढ़ाकर बिजली बनाई जाती है. वहीं, इस प्रोजेक्ट में तो लगातार पानी के प्रवाह में टरबाइन लगाकर बिजली बनाई जा रही थी.
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विवादों के केंद्र मे रहा है प्रोजेक्ट
पहले भी इस प्रोजेक्ट का काफी विरोध हुआ और पर्यावरण के लिए काम करने वाले कायर्कतार्ओं ने इसे बंद कराने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था. सूत्रों के मुतािबक स्थानीय लोग पहले भी इसका विरोध करते रहे हैं. हालांकि यह प्रोजेक्ट बंद नहीं हुआ. लोगों को कहना था कि इससे क्षेत्र के जंगल और जमीन पर काफी असर पड़ रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस प्रोजेक्ट का विरोध करने वालों में वे लोग भी थे जिनके पूर्वज चिपको आंदोलन में शामिल रहे थे. चिपको आंदोलन के लिए विख्यात चमोली के गौरा देवी के गांव रैणी के लोगों ने प्रोजेक्ट के विरोध में 2019 में चिपको आंदोलन की वर्षगांठ भी नहीं मनाई थी.
रिपोर्ट के मुताबिकए 15 जुलाई 2019 को हाईकोर्ट ने पावर प्रोजेक्ट के लिए विस्फोटक के प्रयोग पर रोक के संबंध में चमोली के जिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा था. फिलहाल ये मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
प्रोजेक्ट के निर्माण से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है
रिपोर्ट के मुताबिक़ रैणी गांव के कुंदन सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि प्रोजेक्ट के नाम पर सरकार ने उनकी जमीनें ले लीं. उस वक्त गांव के लोगों को रोजगार का वादा किया गया था लेकिन न तो उन लोगों के पास रोजगार हैए न ही जमीन के लिए मुआवजा दिया गया. प्रोजेक्ट के लिए क्षेत्र में की जा रही ब्लास्टिंग से गांवों के अस्तित्व पर भी खतरा आ गया है.ब्लास्टिंग की वजह से वन्य जीव परेशान हैं. वे भागकर गांवों की ओर आ रहे हैं प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय लोगों का आरोप था कि इसके निर्माण की वजह से नंदा देवी बायो स्फियर रिजर्व एरिया को नुकसान पहुंच रहा है.
HIGHLIGHTS
- हाईकोर्ट ने विस्फोटक के प्रयोग पर रोक के संबंध में चमोली के जिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जवाब मांगा था. फिलहाल ये मामला कोर्ट में विचाराधीन है.
- प्रोजेक्ट में खास तरीके से बिजली बनाई जा रही है.
- यह सरकारी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजना है.
Source : News Nation Bureau