बतौर मुख्यमंत्री जब 2021 में विजय रूपाणी (Vijay Rupani) के स्थान पर भूपेंद्र पटेल के नाम की घोषणा की गई, तो यह पार्टी नेताओं के लिए भी आश्चर्य की बात थी. यह अलग बात है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ऐतिहासिक जीत के बाद जब घाटलोडिया से विधायक भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) को भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया, तो किसी को कतई आश्चर्य नहीं हुआ. वजह यह रही कि भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात बीजेपी ने तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी की 2002 में रिकॉर्ड जीत के आंकड़े को भी पार कर लिया है. भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में इस चुनाव में (Gujatrat Assembly Election) केसरिया पार्टी ने 156 सीटें जीती हैं, जिसने मुख्यमंत्री के रूप में उनके लिए बतौर सीएम दूसरे कार्यकाल का रास्ता साफ कर दिया.
आरएसएस से जुड़ाव, इंजीनियर से बने राजनेता
भूपेंद्र पटेल का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव युवावस्था से ही रहा है. इंजीनियरिंग में डिप्लोमाधारी भूपेंद्र पटेल 1990 के दशक में आनंदीबेन पटेल के संपर्क में आने के बाद मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हुए. 2017 में विधानसभा के लिए चुनावी मैदान में उतरने से पहले से वह राजनीति में सक्रिय रहे.
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बगैर प्रचार काम करने की शैली
भूपेंद्र पटेल गुजरात में भाजपा के संकटमोचक के रूप में जाने जाते हैं. वह सभी लोगों को साथ लेकर चलते हैं, जो उन्हें कतार में अलग खड़ा करता है. इसके अलावा 60 वर्षीय यह नेता अपनी प्रभावशाली निर्णय लेने की शक्ति के लिए भी लोकप्रिय है. बीजेपी के एक पदाधिकारी मुकेश दीक्षित के मुताबिक, 'सिर्फ एक साल में उन्होंने बिना कोई प्रचार हासिल किए राज्य ईकाई की कई समस्याओं को हल किया है.'
गुजरात में 5वें पाटीदार मुख्यमंत्री
भूपेंद्र पटेल का राज्य के पाटीदार समुदाय पर गहरा प्रभाव है. पाटीदार समुदाय से गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के क्रम में उनका पांचवां नंबर है. उनके पहले पाटीदार समुदाय से आनंदीबेन पटेल, केशुभाई पटेल, बाबूभाई पटेल और चिमनभाई पटेल मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हालाांकि भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री बनने वाले पहले कड़वा पटेल हैं.
अक्रम विज्ञान आंदोलन के अनुयायी
दादा भगवान के अक्रम विज्ञान आंदोलन के अनुयायी होने की वजह से लोग भूपेंद्र पटेल को प्यार से 'दादा' भी कहते हैं. यह एक धार्मिक आंदोलन था, जो जैन धर्म से प्रेरित था.
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बेदाग छवि, कोई आपराधिक मामला नहीं
भूपेंद्र पटेल को उनके स्वच्छ रिकॉर्ड के लिए भी सराहा जाता है. राजनीति में पदार्पण के बाद से उनके खिलाफ कभी कोई आपराधिक मामला नहीं बना. उनका कंस्ट्रक्शन का कारोबार है और 2017 में विधायक बनने तक वे अपने साइट ऑफिस से ही काम करते थे.
HIGHLIGHTS
- कड़वा पटेल समुदाय से आने वाले भूपेंद्र 12 दिसंबर को लेंगे शपथ
- पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन के बेहद करीबी माने जाते हैं भूपेंद्र पटेल
- राजनीति में सक्रिय रहते हुए भी छवि बेदाग, कोई आपराधिक केस नहीं