पहले जनसंघ और फिर भाजपा के लिए मुस्लिम वोट हमेशा से एक ऐसा तिलिस्म रहा है, जिसे आज तक यह संगठन सफलतापूर्वक तोड़ कर हासिल नहीं कर पाया है. बदलते दौर के साथ अब भाजपा ने भी अपनी छवि को बदलने की कवायद करनी शुरू कर दी है. हालांकि 2014 से ही पीएम मोदी लगातार सबका साथ-सबका विकास की बात कर रहे हैं. एक दौर वो भी था जब भाजपा यह मान कर चला करती थी कि मुस्लिमों का वोट उसे नहीं मिलेगा. एक दौर ये भी आ गया है जब सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास की बात करते हुए भाजपा ने मुस्लिम मतदाताओं के तिलिस्म को भेदना शुरू कर दिया है.
आबादी 17 फीसदी, लाभ कहीं ज्यादा को
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि भाजपा एक राजनीतिक दल है और समाज के सभी वर्गों का विश्वास हासिल करने और विश्वास के साथ-साथ समाज के सभी वर्ग हमें वोट भी करें. इसके लिए हम लगातार प्रयास करते रहते हैं. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा के लिए विकास का मसौदा वोट का सौदा नहीं है. दरअसल, तीन तलाक और अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुसलमानों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं के लाभ का मामला हो या फिर देश के सभी समुदाय के लिए चलाई जा रही आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, सौभाग्य योजना, शौचालय, उज्जवला, खाद्यान्न, सहित अनगिनत योजनाओं का मामला हो. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधान परिषद में यह कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों की आबादी 17 से 19 प्रतिशत है. इसके बावजूद मुस्लिम समुदाय को योजनाओं का लाभ 30 से 35 प्रतिशत तक प्राप्त हो रहा है.
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सरकारी योजनाओं का दोगुना लाभ मिल रहा मुस्लिमों को
भाजपा के एक बड़े राष्ट्रीय नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे हालात भाजपा शासित लगभग सभी राज्यों में है यानि मुसलमानों को आबादी की तुलना में दोगुना लाभ मिल रहा है. भाजपा की छवि और सरकार के विकास कार्यों को लेकर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ लोगों ने आजादी से लेकर आज तक सेकुलरिज्म को सियासी सुविधाओं का साधन बनाया है, लेकिन बीजेपी के लिए पंथनिरपेक्षता संवैधानिक प्रतिबद्धिता रही है. मोदी सरकार के लगभग साढ़े सात सालों या इससे पहले अटल सरकार के कार्यकाल के मामले में भी कोई यह नहीं कह सकता कि विकास के मामले में किसी तरह का भेदभाव हुआ है. हमने समावेशी विकास और सर्वस्पर्शी सशक्तिकरण का रास्ता अपनाया है. इसी रास्ते पर सरकार भी चल रही है और पार्टी भी.
निजी स्तर पर मुस्लिमों से संपर्क साधने की मुहिम
तो क्या वाकई मुस्लिमों के मन मे भाजपा को लेकर जो धारणा बैठी हुई थी वो बदल रही है? क्या वाकई हिंदुत्ववादी छवि, राम मंदिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों की वजह से दशकों तक मुस्लिम विरोधी टैग के साथ चिपकी रहने वाली भाजपा का यह नया चेहरा मुस्लिम मतदाताओं के तिलिस्म को तोड़ने में कारगर साबित हो पायेगा? भाजपा को भी इस चुनौती का अहसास बखूबी है इसलिए उसने मुस्लिम समुदाय को रिझाने के लिए बड़ा अभियान चलाने की बजाय व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क साध कर लुभाने की रणनीति बनाई है. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दकी ने कहा कि मोर्चा ने पांचों चुनावी राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में उन बूथों की लिस्ट बनाई है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 70 फीसदी से ज्यादा है. इन बूथों पर भाजपा के मुस्लिम कार्यकर्ता जाकर मुस्लिम वोटरों से सीधा संवाद करेंगे. उनकी मदद करेंगे और केंद्र एवं राज्य सरकारों की उपलब्धियों की जानकारी देंगे.
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विपक्ष बोलता है झूठ, बीजेपी बताएगी सच्चाई
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे विरोधी दल भाजपा के बारे में उन लोगों से जाकर झूठ बोलते हैं और उनका झूठ बिक भी जाता है क्योंकि हमारा सच वहां तक पहुंच ही नहीं पाता था. इसलिए हमने तय किया है कि हर अल्पसंख्यक बूथ पर हमारा कार्यकर्ता होना चाहिए जो इनके झूठ का जवाब दे. मोदी सरकार और भाजपा की राज्य सरकार की उपलब्धियों की जानकारी दे और विरोधी दलों के झूठ का पदार्फाश करे. जमाल सिद्दकी ने यह भी बताया कि हमने अगले साल होने जा विधान सभा चुनाव वाले हर राज्य की प्रत्येक विधान सभा सीट पर 100 ऐसे लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है जो या तो अब ज्यादा सक्रिय नहीं है या पार्टी के साथ सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं.
बूथ स्तर पर मुस्लिम वोटर जोड़ों अभियान
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक मोर्चा के अलावा हर प्रदेश संगठन का राज्य अल्पसंख्यक मोर्चा भी अपने-अपने स्तर पर बूथ वाइज मुस्लिम एवं अन्य अल्पसंख्यक मतदाताओं को लुभाने की रणनीति पर काम कर रहा है. अल्पसंख्यक मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दकी ने उम्मीदवारों को लेकर जो खुलासा किया वह सबसे ज्यादा चौकाने वाला था. भाजपा पर यह आरोप भी लगता रहता है कि यह मुसलमानों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं देती, लेकिन इस बार मोर्चा एक अभियान के तहत ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों को चुनाव लड़ने के लिए आगे आने को कह रहा है. मतलब साफ है कि अगर आप मुस्लिम बहुल सीट पर कमल खिला सकते हैं तो चुनाव लड़ने के लिए भी आपका स्वागत है. मोर्चा अपने मुस्लिम कार्यकर्ताओं और नेताओं को चुनाव लड़ने की तैयारी करने का निर्देश भी दे रहा है.
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पसमांदा पर है संगठन की निगाहें
भाजपा के एक अन्य बड़े नेता ने बताया कि हमारी कोशिश सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने वाले हर व्यक्ति तक पहुंचने की है और इसी अभियान के तहत हम मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के दरवाजे पर भी दस्तक देंगे जिन्हें केंद्र या राज्य सरकार की किसी भी योजना का लाभ मिला हो. तीन तलाक को संसद के जरिए खत्म करने वाली भाजपा की विशेष निगाहें मुस्लिम समुदाय की महिलाओं और मुस्लिम समुदाय की पिछड़ी जातियों (पसमांदा) पर है. जाहिर तौर पर पसमांदा मुस्लिम महिलाओं और लाभान्वित होने वाले मुस्लिम परिवारों के समर्थन और संगठन के मजबूत तंत्र के बल पर भाजपा यह मान कर चल रही है कि मुस्लिम वोटों के तिलिस्म को तोड़ने में इस बार उसे सफलता जरूर मिलेगी. हालांकि भाजपा के लिए मुसलमानों को अपने साथ जोड़ना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं. मुस्लिम वोटरों का समर्थन हासिल करने की कोशिशों में जुटी भाजपा सिर्फ मुस्लिम मतदाताओं को ही लुभाने की रणनीति पर काम नहीं कर रही है, बल्कि अल्पसंख्यक बहुल सीटों पर मजबूत मुस्लिम उम्मीदवारों की भी तलाश कर रही है.
HIGHLIGHTS
- जनसंघ और फिर भाजपा के लिए मुस्लिम वोट हमेशा से एक तिलिस्म
- बदलते दौर के साथ भाजपा ने भी छवि को बदलने की कवायद शुरू की
- विधान सभा चुनाव वाले राज्यों के लिए बीजेपी ने बनाई खास रणनीति