भारतीय जनता पार्टी (BJP) को उपचुनावों के नतीजों में एक लोकसभा सीट मिली और चार विधानसभा क्षेत्रों में करारी हार का सामना करना पड़ा. पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) ने 3 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की. आसनसोल लोकसभा और बालीगंज विधानसभा सीटों के लिए हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बीच इन दोनों सीटों पर बीजेपी के वोट शेयर में भारी गिरावट ने भगवा खेमे को चिंता में डाल दिया है. चुनीव नतीजे ऐसे समय पर सामने आए हैं, जब 2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में दो साल बाकी हैं.
बालीगंज में 12.8 फीसद वोट के साथ तीसरा स्थान
बालीगंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार कीया घोष कुल मतों का केवल 12.8 प्रतिशत प्राप्त करके तीसरे स्थान पर रहीं. 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लोकनाथ चटर्जी न सिर्फ दूसरे स्थान पर रहे थे, बल्कि उन्होंने 20.50 फीसदी वोट भी हासिल किए थे. हालांकि बालीगंज से तृणमूल के बाबुल सुप्रियो के जीतने के बावजूद पार्टी वहां अपने घटते वोट शेयर पर विचार करेगी. इस बार तृणमूल का वोट प्रतिशत घटकर 49.7 प्रतिशत रह गया, जो 2021 में 70.60 प्रतिशत था. बालीगंज उपचुनाव में मिले वोटों को देखते हुए माकपा के लिए खुशी की बात है. माकपा उम्मीदवार, सायरा शाह हलीम न केवल दूसरे स्थान पर रहीं, बल्कि उनकी पार्टी के वोट शेयर में भी सुधार हुआ, जो 2021 में मिले केवल 5.51 प्रतिशत वोट से बढ़कर 30.1 प्रतिशत हो गया है.
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आसनसोल में भी डोल गया गणित
बालीगंज विधानसभा सीट से ज्यादा, भाजपा के लिए असली निराशा आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के परिणामों से आई है, जहां से भाजपा उम्मीदवार ने 2014 और 2019 में दो बार जीत हासिल की थी. इस बार तृणमूल के शत्रुघ्न सिन्हा ने 3,03,209 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल कर अपनी पार्टी की ओर से दो रिकॉर्ड बनाए. सिन्हा इस लोकसभा क्षेत्र के निर्माण के बाद से न केवल आसनसोल से जीतने वाले पहले तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, बल्कि इस मामले में आसनसोल से उनके अंतर ने पिछले सभी रिकॉर्डों को पीछे छोड़ दिया है. सिन्हा की जीत का अंतर और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों में तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो ने आसनसोल से 1.97 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
शत्रुघ्न सिन्हा ने बनाया रिकॉर्ड
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछले लगभग 2 लाख वोटों के पिछले बैकलॉग को कवर करने के बाद 3 लाख से अधिक वोटों का अंतर हासिल करना काफी दुर्लभ है. आसनसोल के नतीजे बीजेपी के वोट शेयर में भारी गिरावट के मुकाबले तृणमूल के वोट शेयर में काफी सुधार दिखाते हैं. आसनसोल में तृणमूल ने 2019 में प्राप्त अपने वोट शेयर को 35.19 प्रतिशत से बढ़ाकर 56 प्रतिशत कर दिया है. दूसरी ओर, भाजपा का वोट शेयर 2019 में मिले 51.16 प्रतिशत से घटकर इस बार केवल 30 प्रतिशत रह गया है. सीपीआई (एम) ने इस बार आसनसोल से 7.8 फीसदी वोट शेयर हासिल किया, जो कमोबेश 2019 में पार्टी को मिले 7 फीसदी के बराबर है.
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बीजेपी के लिए चिंता की बात है घटता वोट शेयर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद से बीजेपी के वोट शेयर में गिरावट और बढ़ गई है और उपचुनावों में गिरावट भगवा खेमे को एक खतरनाक संकेत देगी. ऐसा लगता है कि भाजपा के पक्ष में कोई रणनीति या प्रचार अभियान काम नहीं कर रहा है. याद रखें, उपचुनाव कई मुद्दों की पृष्ठभूमि में हुए थे, जैसे कि बोगतुई नरसंहार और हंसखाली नाबालिग दुष्कर्म-हत्या मामला, लेकिन भाजपा के लिए कुछ भी काम नहीं किया, जो अब आधिकारिक तौर पर राज्य में प्रमुख विपक्षी दल है.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा सीट पर उपचुनाव जीता, लेकिन विधानसभा में हारी
- सबसे बड़ी बात बीजेपी के वोट शेयर में आई है भारी गिरावट
- लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर भगवा खेमे के लिए चिंता