भारतीय वायु सेना ने एक ऐसा ब्लूप्रिंट बनाया है जिसके जरिए चीन के साथ पाकिस्तान के ऐसे तमाम टारगेट को युद्ध की स्थिति में पहले कुछ घंटों में ही प्रोसीजर गाइडेड बम के जरिए तबाह कर दिया जाएगा, जिसके बाद भारत की सुरक्षा को भेदना असंभव होगा. राजधानी दिल्ली के नजदीक न्यूज़ नेशन की टीम एक ऐसी ही अत्याधुनिक खुफिया ऑपरेशन सेंटर पहुंची जहां भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान और चीन के हजारों टारगेट को पहले से ही लॉक किया हुआ है. जिसमें बड़े बांध, पावर प्रोजेक्ट, पुल, हाईवे मिलिट्री इंस्टॉलेशन, रनवे और सैन्य ठिकानों के साथ ऐसे रेडार शामिल हैं, जिससे पहले कुछ घंटों की लड़ाई में शत्रु देश की कमर तोड़ी जा सकती है.
इलेक्ट्रॉनिक वार फेयर के लिए ऐसे कई सेंटर भारत में मौजूद हैं. जल्द ही इन्हें 60 मीटर जमीन के अंदर तहखाने में शिफ्ट कर दिया जाएगा. ऐसी किसी भी एक सेंटर से न सिर्फ भारत की वायुसेना बल्कि देश के सभी नागरिक और सैनिक रेडार, हवा में उड़कर शत्रु देशों की स्थिति बताने वाले एवैक्स्, सैनिक ड्रोन को कंट्रोल करके दुश्मन के लड़ाकू हवाई जहाजों और मिसाइलों की सटीक सूचना ली जा सकती है. इससे पहले कुछ घंटों में ही युद्ध का रुख बदलने के लिए आफंसिव एयर स्ट्राइक भी संभव है.
परमाणु प्रक्षेपास्त्र को निशाना बनाया जाएगा
इस एयर स्ट्राइक में खास तौर पर दुश्मन देश की रडार सिस्टम, एयर डिफेंस बैटरी और परमाणु प्रक्षेपास्त्र को निशाना बनाया जाएगा. ऐसी ऑपरेशनल कमांड सेंटर से भारत की हवाई सुरक्षा को भी अभेद बनाया जा सकता है, जिसमें हाल ही में रूस से मिले s-400 एयर डिफेंस सिस्टम के साथ आकाश और पृथ्वी स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम को भी एकरूपता दे दी गई है, यानी मिसाइल भले ही अमेरिका की हो युरोप की या इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम भारत का स्वदेशी हो या रूसी डिफेंस सिस्टम को इस तरह से एकरूपता दी गई है. इससे इसरो के स्वदेशी सेटेलाइट पोजिशनिंग सिस्टम से अमेरिका की जीपीएस सटीकता के साथ हमला और बचाव दोनों किया जा सके.
मंजूरी एयर ट्रेफिक कंट्रोलर के जरिए मिल चुकी है
न्यूज़ नेशन की टीम को ऐसे ऑपरेशन सेंटर में जाने की विशेष अनुमति मिली थी, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए इसकी तमाम डिटेल नहीं बताई जा सकती, लेकिन यह कमांड एंड कंट्रोल सेंटर किसी हॉलीवुड की फिल्म से भी ज्यादा टेक्नोलॉजिकल एडवांस है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हवा में उड़ रहे तमाम हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर की कलर कोडिंग की जाती है. अगर कोई जहाज हरे रंग का है तो या तो सिविलियन एयरक्राफ्ट है या उसकी रूट की मंजूरी एयर ट्रेफिक कंट्रोलर के जरिए मिल चुकी है. अगर किसी हवाई जहाज के रेडार सिग्नेचर का रंग पिंक है, तो वह शत्रु देश का हो सकता है. अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने से पहले ही इस बात का अलर्ट भारतीय वायु सेना के पास पहुंच जाता है. जिसके बाद वायु सेना का एयर डिफेंस सिस्टम हाई अलर्ट पर एक्टिवेट हो जाता है और शत्रु मिसाइल या लड़ाकू हवाई जहाज को गिराने के लिए भारतीय लड़ाकू हवाई जहाज तैनात कर दिए जाते हैं. कुल मिलाकर स्टेट ऑफ द आर्ट यह फैसिलिटी 21वीं सदी के लिहाज से बनाई गई है, जिसमें अति आधुनिक तकनीक एल्गोरिदम,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सभी तरह के रडार को एकरूपता देकर भारतीय हवाई सुरक्षा को अभेद बना दिया गया है.
HIGHLIGHTS
- इलेक्ट्रॉनिक वार फेयर के लिए ऐसे कई सेंटर भारत में मौजूद हैं
- पाकिस्तान और चीन के हजारों टारगेट को पहले से ही लॉक किया हुआ है