Budget 2023 को पेश किए जाने की घड़ी हर गुजरते दिन के साथ और करीब आती जा रही है. बीता साल कोविड 19 (COVID-19) के कहर के लिहाज से राहत देने वाला रहा है. ऐसे में अब सभी की निगाहें आगामी केंद्रीय बजट (Union Budget 2023) पर हैं. बजट अनुमानों को लेकर विशेषज्ञों के बीच दो अलग-अलग मत देखे जा सकते हैं. एक को लगता है कि मौजूदा मंदी (Economic Slowdown) और मुद्रास्फीति (Inflation) के बीच बजट 2023 से सामान्य समान उपायों के अलावा कुछ भी अपेक्षित नहीं है. दूसरे समूह का विशिष्ट कर राहतों को लेकर केंद्रीय बजट 2023 पर सकारात्मक दृष्टिकोण है. कॉरपोरेट घराने विशेष रूप से फिनटेक उद्योग स्टार्टअप (Startup) से जुड़े करों समेत आयकर (Income Tax) अधिनियम की धारा 80 के तहत एमएसएमई के लिए करों में कटौती की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही कॉरपोरेट घराने चाहते हैं कि केंद्रीय बजट 2023 में एम्प्लॉई स्टॉक ओनरशिप (ESOPs) मानदंड को और आसान बनाए जाए, जिसे कर्मचारियों से जुड़े दोहरे कराधान के मुद्दों को हल करने के लिए शुरू किया गया था. कोई आश्चर्य नहीं कि वर्तमान नवाचार लक्ष्य उन्मुख मोदी सरकार (Modi Government) इन मांगों को वास्तविकता के धरातल पर भी उतार दे.
करों में छूट और कटौती
केंद्रीय बजट 2023-24 को अंतिम रूप देने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. वित्त मंत्रालय के अधिकारी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बजट 2023 में आमूलचूल परिवर्तन और सुधारों को लागू करने की कोशिश नहीं की जाएगी. हालांकि करदाताओं की विभिन्न श्रेणियों से कर छूट और कटौती की उम्मीदें हैं, जिन्हें बजट पूर्व चर्चाओं में समय की जरूरत के रूप में रेखांकित किया गया है. करदाताओं को पर्सनल फाइनेंस क्षेत्र से जुड़ी कुछ प्रमुख उम्मीदें हैं जैसे 80 सी के तहत छूट हासिल करने के लिए सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) की सीमा को 1.5 लाख रुपये रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करना. व्यक्तिगत और शिक्षा ऋण के लिए कर छूट समेत आवास, सेवानिवृत्ति योजनाओं और अन्य मदों में राहत की उम्मीद करदाताओं को है. कॉरपोरेट घराने विशेष रूप से फिनटेक उद्योग स्टार्टअप से जुड़े करों समेत आयकर अधिनियम की धारा 80 के तहत एमएसएमई के लिए करों में कटौती की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही कॉरपोरेट घराने चाहते हैं कि केंद्रीय बजट 2023 में एम्प्लॉई स्टॉक ओनरशिप मानदंड को और आसान बनाए जाए, जिसे कर्मचारियों से जुड़े दोहरे कराधान के मुद्दों को हल करने के लिए शुरू किया गया था. कोई आश्चर्य नहीं कि वर्तमान नवाचार लक्ष्य उन्मुख मोदी सरकार इन मांगों को वास्तविकता के धरातल पर भी उतार दे.
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पूंजीगत लाभ
पूंजीगत लाभ के क्रम में मुख्य अपेक्षा कर संरचना को सरल बनाना है. वर्तमान में यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान जैसी अन्य अचल संपत्ति वर्गों की तुलना में म्युचुअल फंड के कराधान में अंतर देखा जा सकता है, जो योजनाओं के विकास में बाधा बनता है. इसी तरह पूंजीगत लाभ के परिसंपत्ति वर्गों के बीच कर असमानताओं को इंगित किया गया है. इस संदर्भ में तर्कसंगत स्तर पर पूंजीगत लाभ के सभी परिसंपत्ति वर्गों के लिए एक समान कर की अपेक्षा की जा रही है.
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पूंजीगत व्यय
यह केंद्रीय बजट के सबसे विवादास्पद कर खंडों में से एक है, जहां अक्सर इसके दुरुपयोग के लिए सरकार को दोषी ठहराया जाता है. बजट की कुछ अपेक्षाओं में अविकसित बांड और सरकारी प्रतिभूति बाजार की प्रगति शामिल है, जिसमें इक्विटी के बराबर बांड पर कर लगाया जाता है. मौजूदा वैश्विक बाजार के रुझानों के आलोक में यह अपेक्षा की जा रही है कि सरकार मुद्रास्फीति के दबाव को कम बनाए रखने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूंजीगत व्यय को गंभीरता से लेगी. ऊर्जा के अलावा सड़कों और रेलवे में निवेश की उम्मीद है. कई अन्य नई उम्मीदें भी इस केंद्रीय बजट 2023 से जुड़ी हुई हैं. मसलन ईज ऑफ डूइंग चैरिटी के क्रम में कर के बोझ को कम करने समेत धर्मार्थ संस्थानों पर विनियमन के साथ-साथ व्यापार करने में आसानी के साथ-साथ धर्मार्थ कार्य को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रावधान किए जा सकते हैं. अस्थिर क्रिप्टो और एनएफटी बाजार के लिए सुधार लाया जा सकता है. स्वास्थ्य-शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाएं और निवेश के जरिये उपलब्ध बाजारों को बढ़ाने और बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया जा सकता है. यह उम्मीद की जाती है कि उक्त बातों समेत बुनियादी बातों पर इस बजट में खासा ध्यान दिया जा सकता है. आगामी बजट महामारी के बाद आर्थिक विकास को नए सिरे से पटरी पर लाने और चलाने के लिए उद्योगों के बीच खासा महत्व रख रहा है. बहरहाल पर्सनल फाइनेंस और आयकर उपायों को लेकर एक बहस भी जारी है, क्योंकि ऐसी कई अपेक्षित कल्याणकारी नीतियां वर्षों से उपेक्षित रही हैं.
HIGHLIGHTS
- सालों से उपेक्षित कर नीतियों को लेकर इस बार हैं भारी उम्मीदें
- ऊर्जा के अलावा सड़कों और रेलवे सेक्टर में निवेश की उम्मीद
- पर्सनल फाइनेंस और आयकर उपायों को लेकर बहस भी जारी