Budget 2023: ब्लैक बजट, कैरेट एंड स्टिक बजट, ड्रीम बजट, रोलबैक बजट भी पेश किए जा चुके हैं आजाद भारत में

आजादी से पहले का पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को पेश किया गया था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी के स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनेता जेम्स विल्सन ने इसे ब्रिटिश क्रॉउन के सम्मुख रखा था.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
James Wilson

स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने 1860 में पेश किया था पहला बजट.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

Budget 2023 अब बस कुछ ही हफ्ते दूर है. 2021 की तरह इस बार भी 1 फरवरी 2023 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 5वीं बार बजट पेश करेंगी, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं. बजट दस्तावेज तैयार करने के काम में शामिल अधिकारी एक ही स्थान पर रहते हैं और लगभग 10 दिनों तक अपने परिवार से पूरी तरह कटे रहते हैं. बजट तैयार करने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों से संभावित बजट पर बैठकें भी की हैं. अब जब केंद्रीय बजट 2023-24 (Union Budget 2023) की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है, तो ऐसे में पिछले बजटों से जुड़े कुछ अनोखे तथ्यों को जानना भी काफी रोचक रहेगा. खासकर यह कि किन बजटों को आजाद भारत में कितने रोचक नामों से याद किया जाता है और क्यों...

ब्लैक बजट
इंदिरा गांधी सरकार में यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा प्रस्तुत 1973-74 के बजट को काला बजट कहा गया, क्योंकि उस वर्ष राजकोषीय घाटा 550 करोड़ रुपये था. यह एक ऐसा समय था जब भारत गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहा था.

कैरेट एंड स्टिक बजट
28 फरवरी 1986 को वीपी सिंह द्वारा कांग्रेस सरकार के लिए पेश किया गया केंद्रीय बजट भारत में लाइसेंस राज को खत्म करने की दिशा में पहला कदम था. इसे 'कैरेट एंड स्टिक' बजट कहा गया, क्योंकि इसमें पुरस्कार और दंड दोनों की पेशकश की गई थी. इसने कर के प्रभाव को कम करने के लिए एमओडीवीएटी (संशोधित मूल्य वर्धित कर) क्रेडिट पेश किया जिसका उपभोक्ताओं को भुगतान करना पड़ता था. साथ ही तस्करों, कालाबाजारी करने वालों और कर चोरी करने वालों के खिलाफ एक गहन अभियान शुरू किया था.

एपोकल बजट
पीवी नरसिम्हा राव सरकार के तहत मनमोहन सिंह के 1991 के ऐतिहासिक बजट ने लाइसेंस राज को समाप्त किया और आर्थिक उदारीकरण के युग की शुरुआत की. इसे एपोकल बजट के रूप में जाना जाता है. यह बजट ऐसे समय में पेश किया गया था जब भारत आर्थिक स्तर पर ढहने की कगार पर था. इस बजट में अन्य महत्वपूर्ण कदमों के साथ सीमा शुल्क को 220 प्रतिशत से घटाकर 150 प्रतिशत कर दिया गया और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए गए.

यह भी पढ़ेंः Modi Government की दो टूक... बीजिंग को LAC पर भारतीय सड़कों, रेलों को स्वीकारना सीखना होगा: रिपोर्ट

ड्रीम बजट
पी चिदंबरम ने 1997-98 के बजट में संग्रह बढ़ाने के लिए कर की दरों को कम करने के लिए लाफर कर्व सिद्धांत का इस्तेमाल किया था. उन्होंने भारतीयों के लिए अधिकतम आयकर दर की सीमा को 40 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया और घरेलू कंपनियों के लिए 35 प्रतिशत कर दिया. 'ड्रीम बजट' के रूप में याद किए जाने वाले इस बजट में सीमा शुल्क को घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया और उत्पाद शुल्क संरचना को सरल बनाया. साथ ही करों के लिहाज से महत्वपूर्ण सुधार भी लागू किए गए. इनमें भी प्रमुख था काला धन बाहर निकालने के लिए आय को खुद से घोषित करना.

मिलेनियम बजट
2000 में यशवंत सिन्हा के मिलेनियम बजट ने भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के विकास के लिए रोड मैप तैयार किया, क्योंकि इसने सॉफ्टवेयर निर्यातकों को मिलने वाले प्रोत्साहन को समाप्त कर दिया. साथ ही कंप्यूटर और कंप्यूटर ऐसेसरीज से जुड़ी 21 वस्तुओं पर सीमा शुल्क कम कर दिया गया.

रोलबैक बजट
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लिए यशवंत सिन्हा के 2002-03 के बजट को लोकप्रिय रूप से रोलबैक बजट के रूप में याद किया जाता है क्योंकि इसमें कई प्रस्ताव वापस ले लिए गए थे.

मिलेनियम बजट
निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को 'मिलेनियम बजट' पेश किया. इस बजट के प्रावधान एक आक्रामक निजीकरण रणनीति और मजबूत कर संग्रह पर भरोसा कर बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा में निवेश के माध्यम से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना चाहते थे.

भारत का पहला बजट
आजादी से पहले का पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को पेश किया गया था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी के स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनेता जेम्स विल्सन ने इसे ब्रिटिश क्रॉउन के सम्मुख रखा था. स्वतंत्रता के बाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आर के शनमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था.

सबसे लंबा बजट भाषण 
अब तक चार बार केंद्रीय बजट पेश कर चुकी निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को 2020-21 का बजट पेश करते हुए दो घंटे 42 मिनट तक सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया. उनके बजटीय भाषण के दो पृष्ठ बाकी थे, लेकिन उन्हें समय की कमी के कारण अपना भाषण रोकना पड़ा. इससे पहले भी लंबा बजटीय भाषण देने का रिकॉर्ड निर्मला सीतारमण के ही नाम है. 2020 में उन्होंने जुलाई 2019 के अपने पहल बजटीय भाषण का रिकॉर्ड तोड़ा था. 2019 में उन्होंने दो घंटे 17 मिनट तक भाषण दिया था.

यह भी पढ़ेंः Brazil बना अमेरिका का कैपिटल हिल, पूर्व प्रेसिडेंट बोलसोनारो समर्थकों का संसद पर धावा

सबसे अधिक शब्दों का बजटीय भाषण
पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह कम बोलने वाले व्यक्ति हो सकते हैं, लेकिन वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 1991 में सबसे अधिक शब्दों  18,650 के साथ बजटीय भाषण दिया था. मोदी सरकार में वित्त मंत्री बतौर अपने पहले कार्यकाल में अरुण जेटली 18,604 शब्दों के भाषण के साथ दूसरे स्थान पर आते हैं. जेटली बजट पेश करते हुए एक घंटे 49 मिनट तक बोलते रहे थे.

सबसे छोटा बजट भाषण
1977 में तत्कालीन वित्त मंत्री हिरुभाई मुलजीभाई पटेल का बजट भाषण केवल 800 शब्दों में था.

बजट से जुड़े कुछ अनोखे तथ्य

    • 1955 तक केंद्रीय बजट अंग्रेजी में पेश किया जाता था. हालांकि बाद में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने बजट को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छापने का फैसला किया. तब से बजट में कई बदलाव आए हैं. 2021-22 संस्करण ने इसे कागज रहित बना दिया है, जिसका श्रेय COVID-19 महामारी को जाता है.
    • 2017 तक रेलवे और केंद्रीय बजट अलग-अलग दिन पेश किया जाता था. 92 साल तक अलग  पेश किए जाने के बाद 2017 में रेल बजट को केंद्रीय बजट में मिलाकर एक साथ पेश किया गया.
    • लीक होने से पहले 1950 तक बजट राष्ट्रपति भवन में छपता था. बजट लीक होने के बाद उसकी छपाई नई दिल्ली में मिंटो रोड स्थित एक प्रेस में शुरू हुई. 1980 में नॉर्थ ब्लॉक में एक सरकारी प्रेस स्थापित किया गया, जहां वित्त मंत्रालय विभाग है.
    • पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने 10 बार बजट पेश किया है, जिसे भारत में किसी वित्त मंत्री द्वारा केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने की सबसे बड़ी संख्या माना जाता है.. इसके बाद पी. चिदंबरम के 9 बार बजट पेश करने का नंबर आता है.
    • 1999 तक केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस को शाम 5 बजे पेश किया जाता था. हालांकि बाद में परंपराएं बदल गईं.
    • 1999 में पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने शाम 5 बजे बजट घोषणा परंपरा को बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया.
    • क्षितिज चंद्र नियोगी भारत के एकमात्र वित्त मंत्री हैं जिन्होंने एक भी केंद्रीय बजट पेश नहीं किया है.
    • बदलती परंपराओं की बात करें तो पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर बजट पेश करने की परंपरा को बदल दिया. 2017 में केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया गया था और तब से इस तारीख और समय का पालन किया जा रहा है.
    • पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी केंद्रीय बजट पेश करने वाली पहली महिला थीं. 1970 में मोरारजी देसाई के वित्त मंत्री का पदभार छोड़ने के बाद उन्होंने ऐसा किया.
      वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट पेश करने वाली केवल दूसरी महिला हैं. हालांकि वह इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से बजट पेश करने वाली पहली शख्सियत हैं.

HIGHLIGHTS

  • 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी अपना 5वां बजट
  • लोकसभा चुनाव से पहले आ रहे इस बजट से लोगों को हैं खासी उम्मीदें
  • भारत का पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को जेम्स विल्सन ने पेश किया था
INDIA nirmala-sitharaman भारत यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 निर्मला सीतारमण Budget 2023 Union Budget 2023 Budget 2023-2024 बजट 2023-24 James Wilson जेम्स विल्सन
Advertisment
Advertisment
Advertisment