केबलगेट कांड इमरान खान के गले की बना हड्डी, सेना भी समर्थन से पीछे हटी

कुर्सी में मंडराते खतरे को देख उन्होंने एक अमेरिकी-विरोधी कहानी को भुनाने का विकल्प चुना, जिसमें उनकी पार्टी के सदस्यों ने 'अमेरिका को मौत' के नारे लगाए.

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Nihar Saxena
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Imran Khan

अमेरिका के खिलाफ भावनाओं का दोहन कर रहे इमरान.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) 2018 में नए पाकिस्तान का नारा देकर सत्ता में आए थे. उनके सत्तासीन होने के पीछ पाकिस्तान (Pakistan) के शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान का बड़ा हाथ था. विपक्ष ने भी इसी आरोप को हवा दी थी, लेकिन मजबूत सैन्य बैकिंग के चलते वह पीएम की कुर्सी अभी तक संभालने में सफल रहे. उस वक्त विपक्षी दलों ने खान को 'सलेक्टेड' करार दिया था और उनकी सत्तारूढ़ सरकार को 'हाइब्रिड शासन' कहा. सेलिब्रिटी छवि और प्रतिष्ठा होने की वजह से आवाम को उनसे बहुत उम्मीदें थीं. यह भी माना गया था कि वह पश्चिम के साथ तनाव को कम करने और देश की छवि को दुरुस्त करने की दिशा में काम करेंगे, क्योंकि पश्चिमी दुनिया की नजर में पाकिस्तान की छवि आतंकवादियों (Terrorism) को पनाह देने वाले देश की बन गई थी.

इमरान ने लिया यू-टर्न
हालांकि बीते कुछ दिनों के घटनाक्रम देख ऐसा लग रहा है कि नियाजी खान ने अपने शासन के 3.5 साल पूरे होने के साथ अपने निर्धारित लक्ष्य से यू-टर्न ले लिया है. कुर्सी में मंडराते खतरे को देख उन्होंने एक अमेरिकी-विरोधी कहानी को भुनाने का विकल्प चुना, जिसमें उनकी पार्टी के सदस्यों ने 'अमेरिका को मौत' के नारे लगाए. जिस दिन उन्होंने मॉस्को की धरती पर कदम ऱखा, उसी दिन रूस ने यूक्रेन पर अपना पहला हवाई हमला किया. उस वक्त खान ने कहा था कि उनकी रूस यात्रा ने अमेरिकियों को परेशान किया और इसीलिए बाद वाले ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए विपक्षी दलों का इस्तेमाल करने का फैसला किया.

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बाहर से आए सरकार गिराने के पैसे
खान ने कहा, 'इन विपक्षी दलों के माध्यम से हमारी पार्टी के सदस्यों और गठबंधन सहयोगियों की वफादारी खरीदने के लिए पाकिस्तान में पैसे की बाढ़ आ गई है. क्या हम किसी दूसरे देश को अपने देश के राष्ट्रीय हित में हस्तक्षेप करने और सरकार को गिराने की साजिश रचने की अनुमति दे सकते हैं, केवल इसलिए कि मैंने रूस के खिलाफ उनके ब्लॉक में शामिल होने से इनकार कर दिया और मेरा दौरा आगे बढ़ा.' खान की राजनीतिक पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थकों के साथ अमेरिकी विरोधी कथा अच्छी तरह से काम कर रही है, लेकिन यही कारण है कि सैन्य प्रतिष्ठान ने खान का समर्थन करने से खुद को दूर कर लिया है.

अमेरिका के केबल में तख्तापलट का आदेश
खान का दावा है कि 'धमकी देने वाले पत्र', जो एक राजनयिक केबल संचार का हिस्सा है, ने इस तथ्य को उजागर कर दिया कि विपक्षी दल उनकी सरकार को हटाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय साजिश के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. खान इसी साजिश के चलते विपक्ष को देशद्रोही घोषित करने की हद तक चले गए. हालांकि खान के दावों को न तो देश से और न ही उनके अपने सैन्य प्रतिष्ठान से मंजूरी मिली. जाहिर है कि अमेरिका ने आरोपों को निराधार करार दे खंडन कर दिया है. अब सैन्य प्रतिष्ठान के अधिकारियों ने यह भी खुलासा किया है कि उन्हें पत्र में एक विदेशी साजिश स्थापित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला.

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इमरान का अमेरिकी विरोधी रुख जारी
चूंकि सैन्य प्रतिष्ठान देश में चल रही राजनीतिक अराजकता से खुद को दूर रखता हुआ प्रतीत होता है, खान अमेरिकी विरोधी आख्यानों से भावनाओं को भड़काना जारी रखे हुए हैं और अपने समर्थकों से शासन परिवर्तन के लिए एक विदेशी हस्तक्षेप के विरोध में देश के लोगों को सड़कों पर उतरने का आह्वान करते रहे हैं. यह देश के अन्य हलकों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है, जो समझते हैं कि न केवल अमेरिका और पश्चिम पाकिस्तान के लिए सबसे बड़े व्यापार स्थल हैं, बल्कि वे पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण भागीदार भी हैं, खासकर युद्धग्रस्त अफगानिस्तान की स्थिति के मद्देनजर क्षेत्रीय सुरक्षा, प्रगति और विकासशील देशों के संदर्भ में.

HIGHLIGHTS

  • इमरान खान ने राजनयिक केबल का इस्तेमाल अपने लिए किया
  • अमेरिका के सामने किरकिरी देख सैन्य प्रतिष्ठान ने किया किनारा
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