चीन (China) विश्व स्तर पर अमेरिका, रूस, फ्रांस और जर्मनी के बाद हथियारों का पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक है, लेकिन विभिन्न देशों को बेचे जाने वाले उसके ज्यादातर उपकरण खराब हैं. 2015-19 में दुनिया के पांचवें सबसे बड़े हथियार निर्यातक चीन की अपने शीर्ष ग्राहकों के साथ अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव भागीदारों सहित कुल वैश्विक हथियारों के निर्यात की 5.5 प्रतिशत हिस्सादारी है. चीन अब खुद को रूस (Russia) के विकल्प के रूप में प्रस्तुत करता है.
53 देशों को बेच रहा हथियार
2015-19 में एशिया और ओशिनिया में चीनी हथियारों के निर्यात का 74 प्रतिशत, अफ्रीका में 16 प्रतिशत और मध्य पूर्व में 6.7 प्रतिशत था. इसके अलावा 2010-14 से 2015-19 के बीच ही चीन जिन देशों को हथियार भेजता है, उनकी संख्या में काफी वृद्धि हुई है. 2010-14 के बीच जहां चीन 40 देशों में हथियार बेचता था, वहीं 2015-19 के बीच इनकी संख्या बढ़कर 53 हो गई.
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पाकिस्तान को ही 35 फीसदी हथियार
पाकिस्तान चीन से प्रमुख तौर पर हथियार खरीदता है. 2015-19 के बीच चीन ने अपने निर्यात के 35 प्रतिशत अकेले पाकिस्तान को हथियार बेचे हैं. खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें यह बताया गया है कि बीजिंग ने एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका में मित्र राष्ट्रों को दोषपूर्ण उपकरण किस प्रकार से धकेले हैं.
बांग्लादेश को बेकार मिंग क्लास पनडुब्बी
अगर बांग्लादेश की बात करें तो चीन ने 1970 युग के दो अप्रचलित और बेकार मिंग क्लास टाइप 035जी पनडुब्बियों को 2017 में बांग्लादेश को बेच डाला. चीन ने प्रत्येक पनडुब्बी को 10 करोड़ में धकेल दिया. चीन ने बांग्लादेश को बीएनएस नोबोजात्रा और बीएनएस जॉयजात्रा के रूप में वे उपकरण बेचे, जिन्हें मूल रूप से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के लिए प्रशिक्षण जहाजों के रूप में उपयोग किया जाता था.
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म्यांमार भी नाखुश
खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इन पनडुब्बियों की हालत इतनी खराब है कि वे कथित तौर पर काफी समय तक बेकार पड़ी रहती हैं. अप्रैल 2003 में पीएलए नेवी मिंग क्लास पनडुब्बी-361 को में खराबी आ गई थी, जिससे इसके सभी 70 चालक दल के सदस्य मारे गए थे. इसके अलावा म्यांमार का वरिष्ठ नेतृत्व उन्हें आपूर्ति किए जाने वाले चीनी उपकरणों की गुणवत्ता पर नाखुश है, लेकिन वह संसाधनों की कमी के कारण असहाय है. हालांकि म्यांमार ने अब भारत की ओर देखते हुए अपने आयात में विविधता लाने की शुरूआत की है.
नेपाल को बेचे खराब प्लेन
पहले से ही बांग्लादेश द्वारा अस्वीकार किए गए छह चीन निर्मित वाई12ई और एमए60 विमान नेपाल की ओर से उसकी राष्ट्रीय एयरलाइनों के लिए खरीदे गए थे, लेकिन अब वे बेकार पड़े हैं, क्योंकि वे न तो नेपाल के इलाके के लिए अनुकूल हैं और न ही उनके लिए स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल इन्हें बदलने की मांग की थी, जिसे चीन ने इससे इनकार कर दिया.
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पाकिस्तान ने भी खाया धोखा
चीन की चालबाजी का शिकार अन्य देशों के साथ ही उसके तथाकथित सबसे अच्छे दोस्तों में से एक पाकिस्तान भी हुआ है. पाकिस्तान को चीन की तथाकथित दोस्ती का खामियाजा उठाना पड़ा है, क्योंकि चीन की ओर से उसे सभी प्रकार के अप्रचलित, त्याग दिए गए और बेकार व अप्रासंगिक हो चुके उपकरण धकेल दिए जाते हैं. पाकिस्तान खुद आर्थिक और कूटनीतिक तौर पर चीन के इतने एहसानों के नीचे दबा रहता है कि वह इसके लिए कुछ बोल भी नहीं पाता है.
पाक नौसेना को दिए एक-तिहाई सिस्टम बेकार
पाक नौसेना के लिए बनाए गए चीनी निर्मित एफ22पी युद्ध-पोत विभिन्न तकनीकी खराबी से घिरे हुए हैं. इसके अलावा पाकिस्तानी सेना ने चीन से एलवाई-80 लोमैड्स की नौ प्रणालियों की खरीद की है और इन्होंने आईबीआईएस-150 रडार के साथ वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति के लिए दो अलग-अलग अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं. सभी नौ प्रणालियों की डिलीवरी 2019 में पूरी हुई थी. हालांकि विभिन्न प्रकार की खामियों के कारण नौ में से तीन सिस्टम फिलहाल गैर-कार्यात्मक हैं.
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दक्षिणी अफ्रीका देशों को ठगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना ने मेसर्स ऐरोस्पेस लॉन्ग-मार्च इंटरनेशनल को लिमिटेड (एएलआईटी) को अवगत कराया है कि इन्हें प्राथमिकता पर सही किया जाना चाहिए. इसके अलावा हथियार और सुरक्षा उपकरणों के नाम पर चीन ने केन्या, अल्जीरिया, जॉर्डन जैसे देशों को भी कथित तौर पर ठगा है और उन्हें दोषपूर्ण हथियारों की आपूर्ति की है.