चीन बना रहा परमाणु मिसाइल फील्ड Silo, पूरा भारत है इसकी रेंज में

सबसे खतरनाक बात यह है कि किलर मिसाइल साइलो भारत (India) से महज 2000 किमी की दूरी पर स्थित है. चीन के पास ऐसी कई मिसाइलें हैं जिनकी रेंज में पूरा भारत आता है.

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Nihar Saxena
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यहां रखेगा लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें.( Photo Credit : एफएएस से साभार)

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चीन (China) की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों से अब विश्व के तमाम देश अच्छे से परिचित हो चुके हैं. भारत से सीमा विवाद के बीच यह खबर वास्तव में चौंकाने वाली है कि चीन परमाणु मिसाइलों (Missile) को सुरक्षित तरीके से रखने और वक्त आने पर लांच करने की अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) ने सेटेलाइट तस्वीरों के आधार पर दावा किया है कि ड्रैगन शिनजियांग प्रांत में हामी शहर के पास रेगिस्तान में एक नई परमाणु मिसाइल फील्ड बना रहा है. यहां वह परमाणु मिसाइलों को सुरक्षित तरीके से रखेगा. सबसे खतरनाक बात यह है कि किलर मिसाइल साइलो भारत (India) से महज 2000 किमी की दूरी पर स्थित है. चीन के पास ऐसी कई मिसाइलें हैं जिनकी रेंज में पूरा भारत आता है. जानकार बताते हैं कि चीन की यह साइलो फील्ड भारत समेत रूस और अमेरिका से संभावित युद्ध को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है. हालांकि चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसे अफवाह करार देते हुए कहा है कि यह गड्ढे पवन ऊर्जा संयत्र के हैं.

यूमेन में बना चुका है स्टोरेज फील्ड
साइलो एक तरह से स्टोरेज कंटेनर होते हैं, जिनके अंदर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं. इससे पहले चीन के उत्तर-पश्चिमी शहर युमेन के पास रेगिस्तान में इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 100 नए साइलो का निर्माण करने का खुलासा हुआ था. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्‍ट्स ने ताजा तस्‍वीरों के आधार पर बताया कि चीन ने दूसरे मिसाइल साइलो के लिए खुदाई शुरू कर दी है. एफ़एएस ने ये भी कहा है कि अब तक कम से कम 14 साइलो पर गुंबदनुमा कवर बनाए गए हैं और अन्य 19 साइलो के निर्माण की तैयारी में मिट्टी को साफ़ किया गया है. एफ़एएस का कहना है कि पूरे परिसर की ग्रिड जैसी रूपरेखा बताती है कि इसमें अंततः लगभग 110 साइलो बनकर तैयार होंगे. गौरतलब है कि जुलाई की शुरुआत में ख़बरें आई थीं कि चीन गांसु प्रांत में युमेन के पास 120 मिसाइल साइलो का निर्माण कर रहा है.

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अमेरिका और भारत के परमाणु विस्‍तार पर चीन की नजर
सैन्य रणनीतिकारों के मुताबिक इस नए विस्‍तार की तीन वजहें हो सकती हैं. पहला चीन अब अपनी बढ़ी हुई आर्थिक, तकनीकी और सैन्‍य ताकत के मुताबिक परमाणु बमों का जखीरा बनाना चाहता है. दूसरी वजह यह है कि चीन अमेरिका के मिसाइल डिफेंस और भारत के बढ़ते परमाणु हथियारों से तनाव में है. गौरतलब है कि भारत इन दिनों बहुत तेजी से अपनी परमाणु ताकत को बढ़ा रहा है. रूस ने हाइपरसोनिक और ऑटोनॉमस हथियारों को बना लेने का ऐलान किया है. ऐसी संभावना है कि चीन इन सबके खिलाफ प्रभावी ताकत हासिल करना चाहता है. तीसरी वजह यह है कि चीन को डर है कि उसकी मिसाइलें दुश्‍मन के हमले में तबाह हो सकती हैं. ऐसे में वह 200 से ज्‍यादा मिसाइल साइलो बना रहा है. दो जगहों पर ठिकाना बनाने से भारत समेत अमेरिका को यह पता नहीं चल पाएगा कि कहां पर ज्‍यादा परमाणु मिसाइले हैं.

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800 वर्ग किलोमीटर में सड़कों का जाल 
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा कि इस विस्‍तार से चीन की परमाणु हमला करने की ताकत काफी बढ़ जाएगी. चीन में हामी और यूमेन दोनों ही ऐसी जगहें हैं जहां पर अमेरिका अपनी परंपरागत क्रूज मिसाइलों के जरिए हमला नहीं कर सकता है. ऐसे में अमेरिका को इन्‍हें तबाह करने के लिए खासतौर पर अपनी परमाणु मिसाइलों का इस्‍तेमाल करना होगा. भारत के लिए भी यह कम चिंता की बात नहीं है. हामी के पास साइलों के निर्माण से पूरा भारत ड्रैगन की मिसाइलों की रेंज में आ जाता है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के नवीनतम शोध के अनुसार रूस के पास 6,255, अमेरिका के पास 5,550, ब्रिटेन के पास 225, भारत के पास 156 और पाकिस्तान के पास 165 परमाणु हथियारों की तुलना में चीन के पास आज 350 परमाणु हथियारों का भंडार है.

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भारत को रखना होगा दोहरा फोकस
अगर सामरिक रणनीति के तहत चीन के साइलों क्षेत्र को देखें तो परमाणु क्षमताओं को विकसित करके चीन का लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र, खासकर दक्षिण चीन सागर, हिंद महासागर और ताइवान स्ट्रेट्स में दबदबा बढ़ाना है. चीन की वर्तमान परमाणु क्षमताएं अमेरिका या रूस की तुलना में बहुत कम हैं और ऐसे किसी नए प्रयास से उसकी क्षमता में केवल एक मामूली वृद्धि होगी. फिर भी इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की भू-रणनीतिक भूमिका को भी बढ़ावा मिलेगा. ऐसे में भारत को दोहरे फ़ोकस की जरूरत है. सामरिक विशेषज्ञों के मुताबिक भारत को अपनी नौसैनिक निगरानी को और उन्नत करके नौसेना के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. साथ ही भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में अमेरिका पर अपनी रणनीतिक निर्भरता के बारे में सतर्क रहना होगा. चीन के आक्रामक विस्तार को रोकने के लिए अमेरिका का अपना रणनीतिक हित है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक शक्ति के रूप में अमेरिका को विस्थापित करने की चीन की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं. ऐसे में भारत के लिए जरूरी हो जाता है कि हिंद महासागर में बिना किसी का पक्ष लिए ख़ुद के भू-सामरिक हितों पर ध्यान केंद्रित कर ताकत को बढ़ाया जाए.

HIGHLIGHTS

  • साइलो में रखी जाती है लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल
  • शिनजियांग में एक नई परमाणु मिसाइल फील्ड बना रहा ड्रैगन
  • भारत समेत अमेरिका और रूस से संभावित युद्ध की है तैयारी
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