चीन (China) की करतूत से उसके खिलाफ दुनिया के कई मुल्क हो गए हैं. यहां तक की ड्रैगन के दोस्त भी उसके खिलाफ बोलने लगे हैं. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी से अब चीन पीछे हटने को मजबूर हो गया है. उसकी हेकड़ी निकल गई है. खुद को ताकतवर मुल्क बताने वाला चीन भारत के सामने घुटने टेक दिया है. वो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सैनिकों के तेजी से पीछे हटने पर सहमत हो गया है.
चीन जो पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) को लेकर भारत के सामने आंख दिखा रहा था वो पीछे हटने को कैसे मजबूर हुआ उसके पांच मुख्य कारण है. पहला पाकिस्तान ने चीन से अपना हाथ खींच लिया है. दूसरा अमेरिका ने अपने युद्धक बेड़े समुद्र में छोड़. तीसरा जापान ने चीन का साथ छोड़ भारत का साथ देने का दमभरा. चौथा, भारतीय सेना का पराक्रम और पांचवां मोदी सरकार का स्टैंड जिसपर वो तब तक कायम रही जब तक की चीन वापस लौटने को राजी नहीं हुआ.
पाकिस्तान ने अपने दोस्त चीन का छोड़ा साथ
चीन का साथ देने वाला पाकिस्तान अब वापस लौट गया है. भारत से तनातनी और कोरोना संकट के कारण ड्रैगन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरी दुनिया की नजर में खटक रहा है. वो चौतरफा आलोचना झेल रहा है. ऐसे में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने पीएम इमरान खान को चेतावनी दी कि अगर वो चीन का समर्थन करना नहीं छोड़ता है तो उसे वैश्विक अलगाव का सामना करना पड़ सकता है. जिसके बाद पाकिस्तान ने चीन का साथ छोड़ दिया है.
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अमेरिका ने चीन को दी चेतावनी
अमेरिका और चीन के बीच लंबे वक्त से ट्रेड वार चल रहा था. इस बीच कोरोना वायरस का चीन से निकला. अमेरिका को ड्रैगन का दुश्मन बना दिया. अमेरिका ने साफ कह दिया है कि चीन को परिणाम भुगतना होगा. अमेरिका ने ना सिर्फ एशिया के कई देशों में अपनी सेना उतारने की बात कही है. वहीं दक्षिण चीन सागर में अमेरिका युद्धाभ्यास कर रहा है. यूएस नेवी जोरदार प्रदर्शन कर रही है.अमेरिका के 11 फाइटर जेट ने एक साथ साउथ चाइना सी के विवादित इलाके में उड़ान भरी. तो चीन देखता रह गया. दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के आगे चीन की अभी चल नहीं रही है.
वहीं अमेरिका ने भारत का साथ देने का ऐलान कर दिया है. भारत को अमेरिका का साथ मिलने से चीन कहीं ना कहीं कमजोर पड़ गया है.
जापान का भारत को मिला पूरजोर समर्थन
जापान का साथ भारत को मिला. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर गतिरोध पर जापान ने भारत का पुरजोर समर्थन किया है. जापान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने के लिए एकपक्षीय प्रयास का विरोध करेगा. दुनिया के ताकतवर मुल्क का समर्थन भारत को मिलता देख चीन घबरा गया है.
भारत को अब तक अमेरिका, जापान, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, आसियान, ब्रिटेन का साथ चीन के खिलाफ मिला है. ऐसे में चीन का पीछे हटना तो तय हो गया था.
भारतीय सेना के पराक्रम के आगे हारा चीन
गलवान हिंसा में चीन ने भारत की सेना का पराक्रम भी देख लिया था. हमारे एक एक सैनिक उनके 10 सैनिकों पर भारी पड़े. भारतीय सेना ने उनके 43 सैनिक को मार गिराया. हालांकि चीन इसे लेकर अभी भी खुल कर नहीं बोल रहा है. उसने यह माना कि उसका भी नुकसान हुआ है. लेकिन सैनिकों की मारे जाने की संख्या पर कुछ नहीं कहा है.
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मोदी सरकार का स्टैंड जिसने चीन को झुकने पर मजबूर किया
मोदी सरकार चीन को एलएसी से पीछे हटने को मजबूर कर दिया. इसके पीछे सरकार का वो स्टैंड है जिसपर वो लगातार कायम है. मोदी सरकार ने चीन को साफ कह दिया था कि अगर वो गलवान से पीछे नहीं हटते तब तक कोई बातचीत नहीं होगी. इतना ही नहीं चीन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए भी सरकार ने कदम उठाए. चीन के टिक टॉक समेत 59 ऐप भारत में बैन कर दिए. जिसकी वजह से चीन को जबरदस्त आर्थिक नुकसान हुआ.
भारत सरकार ने दो टूक में चीन को कह दिया था कि एलएसी से अपनी सेना को हटाए. जिसके बाद चीन के सैनिक दो किलोमीटर गलवान घाटी से पीछे हटे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस बाबत बातचीत की और सुलह का रास्ता निकला.
इन तमाम कारणों की वजह से ड्रैगन अपने घुटनों पर आ गया है. वो एलएसी से कदम वापस खींचने को तैयार हुआ है. अगर चीन ऐसा नहीं करता तो उसे अमेरिका समेत कई मुल्क का गुस्सा झेलना पड़ता. रहि सही कसर हमारी सेना पूरी कर देती .
Source : News Nation Bureau