अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन पर सीएम योगी का खुला पत्र, लिखा- 500 साल बाद...

यह भक्तों के लिए एक श्रद्धा का क्षण होगा, जो लंबे समय से अयोध्या के अपने जन्म स्थान पर भगवान राम का एक भव्य मंदिर देखने के लिए इंतजार कर रहे थे.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Ram Mandir

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए देश भर में चला आंदोलन.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra Modi) जी द्वारा पांच अगस्त 2020 को मध्याह्न् बाद 12.30 से 12.40 के बीच शुभ मुहूर्त में श्री रामलला के चिरअभिलाषित भव्य-दिव्य मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) की आधारशिला रखी जाएगी. यह भक्तों के लिए एक श्रद्धा का क्षण होगा, जो लंबे समय से अयोध्या के अपने जन्म स्थान पर भगवान राम का एक भव्य मंदिर देखने के लिए इंतजार कर रहे थे. वास्तव में यह सनातन हिंदुओं और लाखों लोगों के लिए खुशी, उत्साह और आध्यात्मिकता का विषय है, जो पांच अगस्त 2020 को इस तरह के एक पल का गवाह होंगे.

बलिदान को भी रखें याद
यह खुशी की बात है कि भगवान राम ने हमारी पीढ़ी को अपने जीवनकाल में इसे संजोने का अवसर दिया है. यह उन हजारों भक्तों के बलिदान को याद करने की भी घटना होगी, जो इस स्मारकीय घटना के गवाह बनने के लिए हमारे साथ नहीं हैं. हम कामना करते हैं और जानते हैं कि कृपालु श्री राम उन्हें हमेशा अपने चरणों में स्थान देंगे. कोई आश्चर्य नहीं कि जो पहले कहा गया है कि ईश्वर में विश्वास आपको वह शक्ति प्रदान करता है, जिसे ग्रह (प्लेनट) पर किसी भी बल द्वारा नकारा नहीं जा सकता.

भावुक हुए सीएम
श्री राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण हेतु भूमिपूजन के बहुप्रतीक्षित अवसर पर आज सहज ही दादागुरू ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज और पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री अवैद्यनाथ जी महाराज का पुण्य स्मरण हो रहा है. मैं अत्यंत भावुक हूं कि हुतात्माद्वय भौतिक शरीर से इस अलौकिक सुख देने वाले अवसर के साक्षी नहीं बन पा रहे, किंतु आत्मिक दृष्टि से आज उन्हें असीम संतोष और हर्षातिरेक की अनुभूति अवश्य हो रही होगी.

यह भी पढ़ेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बकरीद पर लॉकडाउन में छूट देने से किया इनकार, कहा- प्रतिबंध न तो...

संघर्षों बाद मिली मंजिल
श्रीराम मंदिर के मुद्दे को स्वर देने का कार्य महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने किया था. वर्ष 1934 से 1949 के दौरान उन्होंने राम मंदिर निर्माण हेतु सतत संघर्ष किया. 22-23 दिसम्बर 1949 को जब कथित विवादित ढांचे में श्रीरामलला का प्रकटीकरण हुआ, उस दौरान वहां तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर, गोरक्षपीठ महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज कुछ साधु-संतों के साथ संकीर्तन कर रहे थे. 28 सितंबर 1969 को उनके ब्रह्मलीन होने के उपरांत अपने गुरुदेव के संकल्प को महंत श्री अवैद्यनाथ जी महाराज ने अपना बना लिया, जिसके बाद श्री राम मंदिर निर्माण आंदोलन के निर्णायक संघर्ष की नवयात्रा का सूत्रपात हुआ.

बदल दी राजनीतिक धारा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मार्गदर्शन, पूज्य संतों का नेतृत्व एवं विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में आजादी के बाद चले सबसे बड़े सांस्कृतिक आंदोलन ने न केवल प्रत्येक भारतीय के मन में संस्कृति एवं सभ्यता के प्रति आस्था का भाव जागृत किया, अपितु भारत की राजनीति की धारा को भी परिवर्तित किया. 21 जुलाई, 1984 को जब अयोध्या के वाल्मीकि भवन में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन हुआ था तो सर्वसम्मति से पूज्य गुरुदेव गोरक्षपीठाधीश्वर महंत श्री अवैद्यनाथ जी महाराज को अध्यक्ष चुना गया. तब से आजीवन श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के महंत श्री अवैद्यनाथ जी महाराज अध्यक्ष रहे. पूज्य संतों की तपस्या के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय वैचारिक चेतना में विकृत, पक्षपाती एवं छद्म धर्मनिरपेक्षता तथा साम्प्रदायिक तुष्टीकरण की विभाजक राजनीति का काला चेहरा बेनकाब हो गया.

यह भी पढ़ेंः UNLOCK-3.0 आज से पूरे देश भर में लागू, जानें क्या खुलेगा और क्या रहेगा बंद

नवप्रेरणा का क्षण
वर्ष 1989 में जब मंदिर निर्माण हेतु प्रतीकात्मक भूमिपूजन हुआ तो भूमि की खुदाई के लिए पहला फावड़ा स्वयं अवैद्यनाथ महाराज एवं पूज्य संत परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज ने चलाया था. इन पूज्य संतों की पहल, श्रद्धेय अशोक सिंघल जी के कारण पहली शिला रखने का अवसर श्री कामेश्वर चौपाल जी को मिला. आज श्री कामेश्वर जी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य होने का सौभाग्य धारण कर रहे हैं. जन्मभूमि की मुक्ति के लिए बड़ा और कड़ा संघर्ष हुआ है. न्याय और सत्य के संयुक्त विजय का यह उल्लास अतीत की कटु स्मृतियों को विस्मृत कर, नए कथानक रचने और समाज में समरसता की सुधा सरिता के प्रवाह की नवप्रेरणा दे रहा है.

अयोध्या को होगा चतुर्दिक विकास
सनातन संस्कृति के प्राण प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली हमारे शास्त्रों में मोक्षदायिनी कही गई है. आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश प्रदेश सरकार इस पावन नगरी को पुन: इसी गौरव से आभूषित करने हेतु संकल्पबद्ध हैं. श्री अयोध्या जी वैश्विक मानचित्र पर महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में अंकित हो और इस धर्मधरा में राम राज्य की संकल्पना मूर्त भाव से अवतरित हो, इस हेतु हम नियोजित नीति के साथ निरंतर कार्य कर रहे हैं. वर्षों तक राजनीतिक उपेक्षा के भंवर जाल में उलझी रही अवधपुरी, आध्यात्मिक और आधुनिक संस्कृति का नया प्रमिमान बनकर उभरेगी. यहां रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं. विगत तीन वर्षो में विश्व ने अयोध्या की भव्य दीपावली देखी है. अब यहां धर्म और विकास के समन्वय से हर्ष की सरिता और समृद्धि की बयार बहेगी.

यह भी पढ़ेंः राष्ट्रीय खेल पुरस्कार-2020 की समिति में शामिल किए गए वीरेंद्र सहवाग, सरदार सिंह और दीपा मलिक

500 साल बाद आया शुभ मुहूर्त
निश्चित रूप से पांच अगस्त को श्री अयोध्या जी में आयोजित भूमिपूजन/शिलान्यास कार्यक्रम में सहभागिता हेतु प्रभु श्रीराम के असंख्य अनन्य भक्तगण परम इच्छुक होंगे. किंतु वर्तमान वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा. इसे प्रभु इच्छा मानकर सहर्ष स्वीकार करना चाहिए. आदरणीय प्रधानमंत्री जी 125 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं के प्रतिबिंब हैं, वह स्वयं भूमिपूजन/शिलान्यास करेंगे. यह प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का क्षण होगा. आदरणीय प्रधानमंत्री जी के कारण ही देश और दुनिया लगभग पांच शताब्दी बाद इस शुभ मुहूर्त का अहसास कर पा रहा है.

नए युग का सूत्रपात
पांच अगस्त 2020 को भूमिपूजन/शिलान्यास न केवल मंदिर का है, बल्कि एक नए युग का भी है. यह नया युग प्रभु श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप नए भारत के निर्माण का है. यह युग मानव कल्याण का है. यह युग लोक कल्याण हेतु तपोमयी सेवा का है. यह युग रामराज्य का है. भाव-विभोर करने वाले इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रत्येक देशवासी का मन प्रफुल्लित होगा, हर्षित-मुदित होगा. किंतु स्मरण रहे, प्रभु श्रीराम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है. इस उत्साह के बीच भी हमें संयम रखते हुए वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत शारीरिक दूरी बनाये रखना है, क्योंकि यह भी हमारे लिए परीक्षा का क्षण है.

यह भी पढ़ेंः पीएम मोदी की राह चले डोनाल्ड ट्रंप, चीनी ऐप टिकटॉक पर लगाएंगे बैन!

घर-घर दीप जलाने की अपील
मेरी अपील है कि विश्व के किसी भी भाग में मौजूद समस्त श्रद्धालुजन चार एवं पांच अगस्त 2020 को अपने-अपने निवास स्थान पर दीपक जलाएं, पूज्य संत एवं धमार्चार्यगण देवमंदिरों में अखंड रामायण का पाठ एवं दीप जलाएं. निर्माण का स्वप्न पालकर पवित्र तप करने वाले तथा ऐसे ऐतिहासिक क्षण का प्रत्यक्ष किए बिना गोलोक पधार चुके अपने पूर्वजों का स्मरण करें और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें. पूर्ण श्रद्धाभाव से प्रभु श्रीराम का स्तवन करें. प्रभु श्रीराम का आशीष हम सभी पर बना रहेगा.

UP CM Yogi Adityanath Ayodhya Ayodhya Ram Mandir bhoomi-pujan Open Letter Auspicious Occasion
Advertisment
Advertisment
Advertisment