चीन (China) इन दिनों अभूतपूर्व बिजली संकट से जूझ रहा है. आलम यह है कि बीजिंग प्रशासन को कारखानों और उद्योगों के लिए रोटेशन में बिजली की आपूर्ति की जा रही है. चीन के बिजली संकट से वैश्विक अर्थव्यवस्था (World Economy) पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. अब भारत (India) में भी चीन जैसा बिजली संकट पैदा हो सकता है. इसकी वजह मॉनसून और कोयले (Coal) की कमी बताई जा रही है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर यह चेतावनी विशेषज्ञों ने दी है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश के कुल 135 थर्मल पावर प्लांट में से 72 पावर प्लांट के पास महज 3 दिनों का ही कोयला बचा है. यानी सिर्फ 3 दिन ही बिजली बनाई जा सकती है.
बिजली की मांग बढ़ी और आपूर्ति हुई कम
बिजली उत्पादन को लेकर पावर प्लांट की मॉनीटरिंग के मुताबिक 50 पावर प्लांट में 4 से 10 दिन का कोयला बचा है. बिजली उत्पादन के लिए और 13 प्लांट में 10 दिन से ज़्यादा का कोयला बचा है. इसके साथ मे कोरोना काल में जितनी बिजली की ज़रूरत थी उससे अब कहीं ज़्यादा ज़रूरत बढ़ गई है. इसके अलावा कोयले के निर्यात में भी समस्या आ रही है. फिलवक्त 4 बिलियन यूनिट प्रति दिन की मांग है. इस समय देश में कोयला से बिजली उत्पादन 65 से 70 फ़ीसदी हो रहा है. प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कोविड के समय 106 बिलियन यूनिट प्रति माह मांग थी, जो अब बढ़कर 124 बिलियन यूनिट प्रति माह हो चुकी है.
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अगस्त में ही जता दिया गया था अंदेशा
विशेषज्ञों के अनुसार इन सभी 135 पावर प्लांट में बिजली की कुल खपत की 66.35 फीसदी बिजली बनाई जाती है. अगर 72 पावर प्लांट कोयले की कमी से बंद होते हैं, तो करीब 33 फीसदी बिजली का उत्पादन घट जाएगा. इससे देश में बिजली संकट उत्पन्न हो सकता है. यही नहीं, दो साल में कोयले की खपत भी 18 फीसदी बढ़ चुकी है. केंद्र सरकार ने कोयले के भंडारण की समीक्षा के लिए कोयला मंत्रालय के नेतृत्व में समिति बनाई है. यह टीमें इसकी निगरानी कर रही हैं. बताते हैं कि कोयला संकट का आकलन अगस्त में ही किया जा चुका था. एक अगस्त को भी महज 13 दिन का कोयला भंडारण बचा था. तब थर्मल पावर प्लांट इस कमी के चलते प्रभावित हुए थे. इसके कारण अगस्त के आखिरी हफ्ते में बिजली उत्पादन 13 हजार मेगावाट घट गया था.
HIGHLIGHTS
- 135 थर्मल पावर प्लांट में से 72 के पास महज 3 दिनों का कोयला बचा
- इन सभी प्लांट में कुल खपत की 66.35 फीसदी बिजली बनाई जाती है
- निर्यात में कमी से कोयला संकट का आकलन अगस्त में किया जा चुका था