तमिलनाडु में भाजपा और AIDMK के रिश्तों में पड़ रही दरार

वजह कि सत्ताधारी एआईएडीएमके ने भाजपा के सामने ऐसी शर्तें रखनी शुरू की हैं, जिसे भाजपा मानने को तैयार नहीं है.

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Nihar Saxena
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अकाली दल और आरएलपी के बाद क्या अन्नाद्रमुक भी अलग हो जाएगा एनडीए से.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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दक्षिण भारत के प्रमुख राज्यों में गिने जाने वाले तमिलनाडु में भाजपा (BJP) और उसकी सहयोगी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) के रिश्तों में दरार पड़ती दिख रही है. वजह कि सत्ताधारी एआईएडीएमके ने भाजपा के सामने ऐसी शर्तें रखनी शुरू की हैं, जिसे भाजपा मानने को तैयार नहीं है. रिश्तों के असहज होने के पीछे राज्य की भाजपा इकाई की ओर से बीते नवंबर में निकाली गई उस यात्रा को भी जिम्मेदार माना जा रहा है, जिसे भी एआईएडीएमक की सरकार ने अनुमति नहीं दी थी. सहयोगी एआईएडीएमके ने भाजपा की इस यात्रा को बांटने वाली करार दिया था. बावजूद इसके भाजपा के यात्रा निकालने पर सरकार ने नेताओं को गिरफ्तार करा दिया था.

ताजा मामला क्या है?
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता और डिप्टी कोआर्डिनेटर के.पी. मुनुसामी ने रविवार को सहयोगी दल भाजपा को लेकर आक्रामक बयानबाजी कर दी. उन्होंने कहा है कि एआईएडीएमके की शर्तें पूरी न करने पर भाजपा को 2021 के विधानसभा चुनाव को लेकर नए विकल्पों पर विचार करना होगा. दरअसल रविवार को हुई एआईएडीएमके की पहली चुनावी रैली में मुनुसामी ने भाजपा के सामने दो शर्तें रखीं. उन्होंने कहा कि भाजपा को एआईएडीएमके की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के पलानीस्वामी का समर्थन करना होगा और दूसरी शर्त है कि जीत होने पर राज्य सरकार में कोई भागादारी भी नहीं मिलेगी. हालांकि अभी भाजपा ने आधिकारिक रूप से एआईएडीएमके नेता मुनुसामी के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि उनका यह बयान विधानसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के रिश्तों की खाई को और चौड़ा करने वाला है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'चुनाव पूर्व अगर कोई गठबंधन बनता है और फिर जीत दर्ज कर सत्ता मिलती है 
तो फिर उसमें से एक दल को सत्ता की भागीदारी से दूर रहने की शर्त समझ से परे है. जहां तक एआईएडीएमके की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पलानीस्वामी के समर्थन की बात है तो इस पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व विचार-विमर्श कर फैसला करेगा. हालांकि रिश्तों में दरार जैसी कोई बात नहीं है. राजनीति में बयान होते रहते हैं. तमिलनाडु में फिलहाल हमारा गठबंधन कायम है.'

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भाजपा ने सीएम फेस पर नहीं खोले पत्ते
बीते दिनों तमिलनाडु के दौरे पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर पहुंचे थे. उनकी मौजूदगी में कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम के संस्थापक महासचिव ए. अरुणाचलम भाजपा में शामिल हुए थे. इस दौरान स्थानीय मीडिया ने एनडीए की तरफ से मुख्यमंत्री पद से जुड़े सवाल पूछे तो उन्होंने इस सवाल को टाल दिया था. इससे पूर्व भी भाजपा तमिलनाडु में मुख्यमंत्री के चेहरे पर जवाब देने से बचती रही है, जबकि एआईएडीएमके की तरफ से के पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री का 
चेहरा घोषित किया जा चुका है. भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. माहौल देखकर मुख्यमंत्री के चेहरे पर बात करना चाहती है. हालांकि फिलहाल पार्टी ने एआईएडीएमके की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार पलानीस्वामी का समर्थन न करने का फैसला किया है.

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अमित शाह के दौरे के बाद बदली स्थितियां
काबिलेगौर है कि गृहमंत्री अमित शाह के बीते 21 नवंबर को हुए तमिलनाडु दौरे के दौरान एआईएडीएमके ने भाजपा के साथ गठबंधन जारी रखने का बयान दिया था. बता दें कि मई 2016 में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी एआईएडीएमके को 134 सीटें मिलीं थीं, जबकि 89 सीटों के साथ डीएमके दूसरे स्थान पर रही थी. 232 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ आठ सीटें मिलीं थीं.

Source : News Nation Bureau

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