बेतुके बयान पर हंगामा: फिर दिखी OIC और मुस्लिम देशों की दोहरी मानसिकता

प्रवक्ताओं पर बीजेपी के एक्शन, विदेश मंत्रालय के बयान, प्रवक्ताओं की माफी और तमाम सुधारात्मक उपायों के बाद यह मामला पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए था. मगर इस पर मुस्लिम देशों और उनके संगठनों की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आईं.

author-image
Keshav Kumar
एडिट
New Update
countries

मुस्लिम देशों- संगठनों की दोहरी मानसिकता फिर उजागर( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

एक टीवी डिबेट शो में हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ( BJP) के प्रवक्ता ने पैगंबर मोहम्मद ( Prophet Mohammad) को लेकर विवादित बयान दे दिया था. इसके बाद देश के अंदर और बाहर खासकर इस्लामिक देशों में हंगामा मच गया. समुदाय विशेष के किताबों के हवाले से दिए बयान के लिए नूपुर शर्मा और ट्वीट्स के लिए नवीन जिंदल को बीजेपी ने पार्टी से निकाल दिया. उनके बयानों से भी किनारा कर लिया. BJP ने अपने पैनलिस्टों के लिए धार्मिक मामलों से जुड़े दिशानिर्देश भी जारी किए. दोनों प्रवक्ताओं ने बिना शर्त बयान वापस ले लिया और अपने परिवार पर आतंकी हमले की आशंका जताई. इस मामले में कई शहरों की पुलिस ने भी केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

बीजेपी के एक्शन, विदेश मंत्रालय के बयान, प्रवक्ताओं के बिना शर्त माफी मांगने और तमाम सुधारात्मक उपायों के बाद यह मामला पूरी तरह खत्म हो जाना चाहिए था. मगर इस पर मुस्लिम देशों और उनके संगठनों की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आईं. मुस्लिम देश खास कर कतर, कुवैत और ईरान ने भारतीय राजदूतों को तलब कर विरोध जताया. कतर-कुवैत ने भारत सरकार से माफी तक की मांग की. सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और दूसरे अरब देशों में दुकानदारों ने सुपर स्टोर्स में इंडियन प्रोडक्ट्स को हटाने शुरू कर दिया. 

मुस्लिम देशों- संगठनों की दोहरी मानसिकता

मिस्र और कतर ने भारत के भेजे गेहूं को लौटा दिया. कुछ मुस्लिम देशों ने ज्यादा कीटनाशक का बहाना बनाकर भारत की चायपत्ती को लौटा दिया. लगभग 57 मुस्लिम देशों के समूह इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़ने का आरोप लगाया. इसके पीछे पाकिस्तान की साजिश की बात भी सामने आई. भारत सरकार ने इन सबको उचित और पर्याप्त जरूरी जवाब दिया. इस पूरे मामले के दौरान मुस्लिम देशों और इस्लामिक समूहों-संगठनों की निहायत दोहरी मानसिकता भी सामने आई.

भारत पर लंबे समय से नहीं बोल पाने की कुंठा

आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि इन मुस्लिम देशों और उनके संगठनों की इस्लाम, आतंकवाद, लोकतंत्र, महिलाओं, मजदूरों, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार वगैरह को लेकर क्या नीति रही है. मुस्लिमों से जुड़े वैश्विक मुद्दों पर वह क्या सोचते और करते रहे हैं. इससे अलग उन इस्लामिक देशों का भारत के अंदरूनी मामले को लेकर मौजूदा रवैया क्या गंभीर कदम है या महज फौरी दिखावा है, प्रचार के लिए मौकापरस्ती है और भारत को लेकर लंबे समय से कई मुद्दों पर न बोल पाने की कुंठा का प्रदर्शन है.

जिहाद के बहाने आतंकवाद पर लंबी चुप्पी

भारत के अंदरुनी मामले में घुसपैठ करने वाले इन इस्लामिक देशों ने कभी आंतकवाद के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया है. कतर जैसे मुस्लिम देशों ने तो तालिबान और ISIS जैसे आतंकवादी संगठन को एक अंतरराष्ट्रीय मंच तक प्रदान किया. पाकिस्तान में जब-तब होने वाले सैन्य तख्तापलट, तुर्की में हागिया सोफिया चर्च का मामला, अफगानिस्तान में हथियारबंद तालिबान का संघर्षपूर्ण कब्जा, बेहद बुरे हालात में भागते अफगानी शरणार्थी, कुख्यात इस्लामिक आतंकवादी संगठन ISIS का यजीदी लोगों और खासकर महिलाओं पर अत्याचार, सेक्स स्लेव और गुलामों की प्रथा, पाकिस्तान में इस्लाम को ही मानने वाले शिया और अहमदिया समुदाय के लोगों पर होने वाले आंतकवादी हमले वगैरह कई ऐसी वैश्विक घटनाएं हैं जहां इन सभी इस्लामिक देशों और संगठनों के जुबान सिली हुई है. 

अल्पसंख्यकों पर बढ़ता बेइंतहा अत्याचार

इस्लामिक सहयोग संगठन ( OIC) से जुड़े लगभग सभी देशों में कभी भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों को मान्यता ही नहीं दी गई है. दोहरी मानसिकता की इंतहा है कि ये दुनिया भर में अल्पसंख्यक होने के नाम पर विभिन्न सुविधाओं की मांग में सबसे आगे रहते हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर कितने भयानक अत्याचार होते हैं और संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी के बाद भी कम नहीं होते. अरब देशों में अल्पसंख्यकों पर इस्लामिक कानून यानी शरिया थोपा जाता है. 

दूसरे धार्मिक समुदायों पर थोपा जाता रिवाज

ईरान में किसी भी धर्म को मानने वाला हो कोई बिना हिजाब के कोई नहीं रह सकता. साल 2016 में भारतीय शूटर हिना सिंधु को हिजाब की अनिवार्यता के चलते ईरान में होने वाली शूटिंग इवेंट से अपना नाम वापस लेना पड़ा था. अरब देशों में आज भी रमजान में किसी भी अल्पसंख्यक के सार्वजनिक स्थान पर कुछ भी खाने-पीने को लेकर प्रतिबंध है. ये किसी दूसरे धार्मिक समुदाय की रीति का हिस्सा नहीं है.

प्रवासी मजदूरों पर अमानवीय अत्याचार

धार्मिक स्तर पर नहीं, बल्कि मानवीय स्तर पर भी ये देश अत्याचार के अड्डे बने हुए हैं. खाड़ी मुल्कों में दूसरे देशों से रोजगार और नौकरी के लिए गए लोगों के साथ कैसे-कैसे अत्याचार होते हैं ये भी जगजाहिर है. भारत-पाकिस्तान से गए मजदूरों को वहां नारकीय परिस्थितियों में काम करना पड़ता है. समय-समय पर इसके वीडियो लोगों तक पहुंचते रहते हैं. अरब देशों में भारतीय कामगारों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार का मुद्दा भारत ने कई बार उठाया है. 

चीन और उइगर मुस्लिमों पर बोलती बंद

इस्लाम और मुसलमानों को लेकर दुनिया भर में तमाम दावे करने वाले इन देशों और संगठनों की चीन में उइगर मुस्लिमों के अत्याचार पर बोलने में घिग्घी बंध जाती है. चीन में डिटेंशन कैंपों में बंद लाखों उइगर मुस्लिमों के साथ अमानवीय अत्याचार होता है. इस्लामिक मुल्कों में किसी की हिम्मत नहीं है कि चीन के शिनजियांग क्षेत्र पर सवाल कर सकें. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वहां के मुस्लिम नमाज तक अदा नहीं कर सकते. दाढ़ी नहीं रख सकते और कब्र नहीं बना सकते हैं. वे कोई इस्लामिक त्योहार तक नहीं मना सकते. 

publive-image

टॉर्चर और ऑर्गन ट्रांसप्लांट पर खामोश

रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन के शिनजियांग में बने डिटेंशन या टॉर्चर कैंप में उइगर मुस्लिमों के अंग निकालकर चीनियों में ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं, लेकिन इस पर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज खामोश है. इसकी सबसे बड़ी वजह ज्यादातर इस्लामिक देशों का चीन के साथ कारोबार और आर्थिक मदद लेने से जुड़ा रिश्ता है. इन वजहों से ही दोहरी नीति वाले कई इस्लामिक देश चीन से दुश्मनी लेने का जोखिम नहीं उठा सकते. क्योंकि यहां नुकसान ज्यादा होगा और प्रचार कम मिलेगा.

ये भी पढ़ें - नूपुर शर्मा के समर्थन में उतरीं साध्वी प्रज्ञा, बोलीं- मैं सच बोलने के लिए बदनाम

इस्लाम के नाम पर महज मौकापरस्ती

ऐसे सैकड़ों उदाहरणों से साफ है कि इन मुस्लिम देशों की नीति इस्लामिक हित पर नहीं, बल्कि मौकापरस्ती वाली हैं. यह कई देशों और उनसे मिलने वाले आर्थिक और सामरिक हितों पर निर्भर करती है. इनमें से कई देशों ने हमेशा मजहब के नाम पर मुस्लिम युवाओं को भड़काकर अपना उल्लू सीधा किया है. इन सबमें हमेशा ही मुस्लिम जगत का अगुवा बनने की होड़ मची रहती है. इन वजहों से भी मुस्लिम जगत में हमेशा अस्थिरता बनी रहती है. अमीर इस्लामिक देश गरीब मुस्लिम देशों को महज सस्ता मजदूर मुहैया करवाने वाले की नजर से देखते हैं. वहीं, इन देशों के बीच खुद को मुस्लिमों या इस्लाम का सबसे बड़ा मसीहा दिखाने के लिए वक्त-बेवक्त भारत के खिलाफ जहर उगलने की प्रतिस्पर्धा मची रहती है.

HIGHLIGHTS

  • मुस्लिम देशों और उनके संगठनों की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आईं
  • इस्लामिक देशों ने कभी आंतकवाद के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाया है
  • OIC से जुड़े देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को मान्यता ही नहीं दी गई
Naveen Jindal OIC Double Standards nupur sharma नूपुर शर्मा BJP spokesperson पैगंबर मोहम्मद Muslim Countries hypocrisy Statement over prophet mohammad Islamic Organizations मुस्लिम देश इस्लामिक संगठन नवीन जिंदल बीजेपी प्रवक्ता
Advertisment
Advertisment
Advertisment