स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है और आरोग्य के आदि चिकित्सक धन्वंतरि का आज अवतरण दिवस है. पुराणों के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान देवता और दानवों को आज ही के दिन भगवान धन्वंतरि मिले थे. दिवाली के ठीक पहले त्रयोदशी का यह दिन प्राकृतिक चिकित्सक भगवान धन्वंतरि को समर्पित है जिन्हें प्राचीन ग्रन्थों में भगवान विष्णु का अवतार भी कहा गया. प्राचीन परम्पराओं में स्वास्थय के लिये स्वच्छता को कितना अनमोल समझा गया है इसका सहज अंदाजा दिवाली के इस पावन मौके पर होने वाली साफ-सफाई से लगा सकते है.
यानी स्वस्थ रहने के लिये स्वच्छ रहने की परंपरा हमारे यहां सदियों से चली आ रही है. परम्पराओं में युगों-युगों से आमजन आज की संध्या काल में यम को दीप दान करते है और इसके लिये भगवान धन्वंतरि को याद किया जाता है, कहते हैं कि ऐसा करने से बीमारियों से होने वाली आकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है. कर्मकांड की विडम्बना देखिये आज बहुत ही कम लोग जानते हैं कि धनतेरस स्वास्थ्य का त्योहार है जिसके पीछे आयुर्वेद के रहस्य छुपे हैं.
आज धनतेरस मनाने की जरूरत पहले से ज्यादा है, क्योंकि समुद्र मंथन के बाद उस वक्त अमृत कलश निकला था और आज महामारी के साए में देश को अमृत यानी संजीवनी रूपी वैक्सीन के जरिए टीकाकरण को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की जरूरत है. यही वजह है कि आधुनिक विज्ञान यहां तक कि कोविड-19 रूप के चेयरमैन भी धनतेरस के महत्व को पौराणिक रूप से लेकर नूतन वैज्ञानिक रूप तक समझते हैं और जरूरी मानते हैं.
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हर त्योहार के पीछे बाजारवाद नजर आता है और पौराणिक परंपराओं पर भी भौतिकता हावी है. यही वजह है कि आज धनतेरस को धन यानी रुपए पैसे से जोड़ दिया गया है. सेहत की जगह संपत्ति प्रधान हैं, जबकि व्यक्ति का असली आभूषण निरोग होना है ज्वेलरी खरीदना नहीं.
दरअसल कमी ज्ञान की है, क्योंकि जब दिवाली के अधिकांश त्योहार लक्ष्मी से जुड़े हैं. लिहाजा, अधिकांश लोगों ने मान लिया कि धनतेरस के पीछे स्वास्थ्य की संकल्पना नहीं बल्कि खरीदारी का महत्व है.
HIGHLIGHTS
- धनतेरस को संध्या काल में यम को दीप दान करते हैं
- यह दिन प्राकृतिक चिकित्सक भगवान धन्वंतरि को समर्पित है
- धनतेरस को लक्ष्मी से जोड़ते हैं, यह स्वास्थ्य का त्योहार है