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एकनाथ शिंदे : बगावत और मुख्यमंत्री बनने के बीच गुवाहाटी के वो 8 दिन?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह माना जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे और एकनाथ शिंदे उप-मुख्यमंत्री होंगे. लेकिन सारी खबरों को झूठा साबित करते हुए एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

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Pradeep Singh
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एकनाथ शिंदे( Photo Credit : News Nation)

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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री हो गए. बुधवार शाम को उन्होंने मुख्यमंत्री पद के साथ विधान परिषद सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था. शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे. आज यानि बृहस्पतिवार शाम 7.30 बजे वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. महाराष्ट्र से गुजरात के सूरत, फिर वहां से असम के गुवाहाटी और अब गोवा से मुंबई पहुंचकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की खबर के बीच शिंदे बड़े धैर्य औऱ संयम का परिचय दिया है. इस क्रम में उनका पार्टी से बगावत और भाजपा की रणनीति को भी मात देने की कला से राजनीति लोग अचंभित हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह माना जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे और एकनाथ शिंदे उप-मुख्यमंत्री होंगे. लेकिन सारी खबरों को झूठा साबित करते हुए एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

शिवसेना से बगावत, भाजपा से मिलीभगत को हर कोई जान रहा है. लेकिन एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र से निकल कर गुवाहाटी  में शिवसेना के विधायकों को अपने साथ कैसे जोड़ा, और भारी दबाव के बीच भी उनका मनोबल बचाए रखा. गुवाहाटी में लिखी जाने वाली महाराष्ट्र के राजनीति की पटकथा महज संयोग नहीं थी, बल्कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के बागी विधायकों की सोची-समझी योजना थी. आइये जानते हैं कि शिंदे और उनके साथियों ने 'गुवाहाटी के 8 दिन' और पूरे ऑपरेशन को कैसे तैयार किया था.  इस आपरेशन की तैयारी अचानक नहीं हुई, बल्कि लंबे समय से गुजरात और असम सरकार से बातचीत चल रही थी. बातचीत में विधायकों की सुरक्षा से लेकर उनके रहने के स्थान तक का प्रबंधन था.  

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गुवाहाटी में इस योजना की पहली सूचना 14 जून को आई और विधायकों ने "एक उपयुक्त जगह की तलाश करने के लिए कहा जहां वे रह सकें". अंत में, 20 जून को, विद्रोही विधायकों ने मांग की कि वे काजीरंगा में रहना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि 'शिवसैनिक' गुवाहाटी पहुंच सकते हैं.

विद्रोहियों को यह आश्वासन दिया गया था कि गुवाहाटी एक "सुरक्षित स्थान" है और उन्हें "कुछ नहीं होगा". 21 जून को, यह बताया गया कि एकनाथ शिंदे 30 से अधिक विधायकों के साथ गुवाहाटी जा रहे थे.

हालांकि उस समय गुवाहाटी में कोई बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल नहीं  थी, लेकिन बाढ़ की गंभीर स्थिति में राज्य फंसा था.असम को इसलिए चुना गया ताकि कोई 'शिवसैनिक' वहां न पहुंच सके.

असम का गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा केंद्र बिंदु बन गया जहां विधायकों को लेकर कई चार्टर उड़ानें उतरीं. सूत्रों का कहना है कि एक चार्टर फ्लाइट हमेशा स्टैंडबाय पर थी. हवाईअड्डा के एक अधिकारी ने बताया, "22 जून से विद्रोही शिविर के लिए हर दिन एक या दो चार्टर उड़ान आम हो गई थी. हमने ऐसी गतिविधि कभी नहीं देखी."

इतना ही नहीं बागी विधायकों को वीवीआईपी सुरक्षा गेट से बाहर निकाला गया, जिसका इस्तेमाल सिर्फ मुख्यमंत्री करते हैं. जैसे ही बागी विधायक गुवाहाटी पहुंचे, उन्हें पुलिस की विशेष गाड़ियां मुहैया कराई गईं. 22 जून को विधायक रैडिसन ब्लू में रहे, जहां राज्य में आने वाला कोई भी मुख्यमंत्री आमतौर पर रहता है या बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

हवाई अड्डे से बागी विधायकों को होटल तक लाने में साजो-सामान का सहयोग असम भाजपा ने अप्रत्यक्ष रूप से प्रदान किया था. दिलचस्प बात यह है कि सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को बागियों के आने से कुछ देर पहले होटल से निकलते देखा गया. पुलिसकर्मियों के साथ होटल की किलेबंदी की गई थी, और आम आदमी के लिए बुकिंग उपलब्ध नहीं थी. लगभग 100 लोगों के ठहरने के लिए 70 से अधिक कमरे बुक किए गए थे. एयरलाइन के कर्मचारियों के अलावा, अन्य मेहमानों को होटल में चेक-इन करने की अनुमति नहीं थी.

होटल के एक स्टाफ का कहना है कि, “ऐसा पहली बार हुआ है जब इस तरह की घटना हुई है. हमने पहले कभी इस तरह का सामना नहीं किया है. अब, हमारे लिए चुनौती यह देखना है कि रैडिसन में कौन प्रवेश करता है, और जिन लोगों ने पूर्व बुकिंग की है, उन्हें अनुमति दी जाती है.”

शिंदे खेमे का पहला वीडियो 21 जून को होटल से ताकत दिखाने के लिए जारी किया गया था. दिलचस्प बात यह है कि असम कैबिनेट के दो मंत्री होटल के अंदर ड्यूटी पर थे. राज्य के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री अशोक सिंघल दिन में होटल में ठहरते थे और संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका रात की पाली में रहते थे. राज्य के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी होटल के अंदर थे.

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गुवाहाटी में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने 'शिंदे विरोधी' पोस्टर लगाकर होटल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. जब मंत्री हजारिका से पूछा गया कि वह उस होटल में क्या कर रहे हैं, जहां शिवसेना के बागी विधायक ठहरे हुए थे, तो उन्होंने कहा, "मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता. मुझे कामाख्या (मंदिर) जाने में उनकी मदद करने के लिए कहा गया था और मैंने वह किया.

ऐसा नहीं है कि यह सब बड़ी आसानी से हो गया. शिंदे खेमे के विधायक गुवाहाटी पहुंचने के पहले दो दिनों में 'थोड़े नर्वस' थे, लेकिन जब उनकी संख्या 37 को पार कर गई, और वे आश्वस्त हो गए और जश्न मनाने लगे. शिंदे ने पिछले आठ दिनों में पूरे ऑपरेशन का संचालन करते हुए " ऊर्जा" और "शांत स्वभाव" दिखाया.

बागी विधायकों में से एक ने कहा, 'वह (शिंदे) हमेशा हमारे साथ थे. अब हम उनके साथ हैं जिन्हेंने हमें जो ताकत दी है. सभी विधायकों ने कामाख्या मंदिर के दर्शन किए और बाढ़ राहत के लिए दान दिया.बागी विधायकों ने कहा था कि अब वे छुट्टियों में भी असम आएंगे.

HIGHLIGHTS

  • असम का गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा केंद्र बिंदु बन गया
  • 14 जून को विधायकों ने असम में एक उपयुक्त जगह की तलाश करने को कहा
  • 22 जून से विद्रोही शिविर के लिए हर दिन एक या दो चार्टर उड़ान आम हो गई
Eknath Shinde Shiv Sena Rebels Maharashtra political saga ex cm uddhav thackeray maharastra chief minister
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