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Ethanol car: क्या इथेनॉल पर्यावरण के लिए है अनुकूल? जानें देश को कितना फायदा

केंद्रीय यातायात और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने लॉच की इस ईंधन से चलने वाली कार, दुनिया की पहली BS-VI (स्टेज-II) इलेक्ट्रीफाइड फ्लेक्स-फ्यूल कार बताई जा रही है.

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Mohit Saxena
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Ethanol car: क्या इथेनॉल पर्यावरण के लिए है अनुकूल? जानें देश को कितना फायदा

Ethanol fuel( Photo Credit : social media )

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देश में पहली एथेनॉल-ईंधन से चलने वाली कार सड़क पर उतर चुकी है. इस ईंधन से चलने वाली टोयोटा की इनोवा कार को केंद्रीय यातायात और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने लॉच किया है. ये कार दुनिया की पहली BS-VI (स्टेज-II) इलेक्ट्रीफाइड फ्लेक्स-फ्यूल कार बताई जा रही है. आइए बताते हैं ​कि इस ईंधन की कार को लांच करने का उद्देश्य क्या है. इससे क्या लाभ होने की उम्मीद है. ऐसे कई सवाल हैं जो लोगों के जेहन में उठ रहे हैं. आइए इन सवालों के उत्तर जानने की कोशिश करते है.

क्या ये ईंधन हमें आत्मनिर्भर बनाएगा 

ऐसा कहा जा रहा है कि ये ईंधन चमत्कार करने में सक्षम है. पेट्रोलियम के आयात पर होने वाले खर्च में बड़ी बचत होगी. इथेनॉल ईंधन ऐसा ईंधन होगा, जो हमें इस मामले में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करेगा. दरअसल, देश में तेल निर्यात का खर्च करीब 16 लाख करोड़ रुपये आता है. यह अर्थव्यवस्था पर बोझ की तरह है. देश इसके विकल्प की तलाश थी. यह वैकल्पिक ईंधन की ओर जाने का रास्ता है. 

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यह ईंधन पर्यावरण के अनुकूल होगा 

कहा जा रहा है कि यह ईंधन पर्यावरण के अनुकूल होगा. इससे देश में प्रदूषण पर नियंत्रण लगेगा. बताया जा रहा है कि इथेनॉल आधारित ईंधन का उपयोग जितना अधिक होगा, उतना ही प्रदूषण पर लगाम लगेगी. इससे ग्राम्य आधारित इकोनॉमी को बल मिलने वाला है. इस ईंधन से चलने वाली गाड़ियां जब ज्यादा तादात में होंगी तो किसानों की आय में इजाफा होगा. 

ईंधन गेम चेंजर साबित होगा 

केंद्रीय यातायात और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के अनुसार, इन वाहनों से रोजगार के अवसर बढ़ने वाले हैं. ग्रामीण इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी. लोग शहर से गांव नहीं आएंगे. देश पर वर्तमान में तेल आयात का बोझ ज्यादा है. यह कम होगा. बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा बचेगी. 

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इथेनॉल उत्पादन में सक्षम है भारत

देश में इथेनॉल उत्पादन की क्षमता 1244 करोड़ लीटर सबसे उच्च स्तर पर है. देश 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य किया है. इस कार्यक्रम में मक्के फसल अहम भूमिका निभाएगी. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने इथेनॉल की आपूर्ति 2013-14 में 38 करोड़ लीटर की थी, ये बढ़कर 2021-22 में 408 करोड़ लीटर तक पहुंच चुकी है. इस आंकड़े के अनुसार, इथेनॉल आधारित ईंधन की खपत कई गुना बढ़ती जा रही है. इथेनॉल के उत्पादन की बात करें तो अमेरिका, ब्राजील, यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बाद भारत का नंबर चौथे स्थान पर सामने आता है. भारत को उत्पादन में किसी तरह की कोई समस्या नहीं आने वाली है. चीनी उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश काफी मात्रा में गन्ना उगाते हैं. 

इथेनॉल का स्रोत क्या है 

इथेनॉल एक तरह का जैव ईंधन है. इसका उत्पादन गेहूं, आलू, गन्ना आदि कृषि उत्पादों से होता है. देश में इथेनॉल का उत्पादन गन्ने के शीरे से तैयार होता है. हालांकि इसका उत्पादन कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण के रूप में होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है. ऐसे में यहां पर इथेनॉल की भरपूर मात्रा तैयार हो सकती है. 

इथेनॉल से चलने वाले वाहन कम प्रदूषण करते हैं

इथेनॉल से चलने वाले वाहन कम प्रदूषण करते हैं. यह एक तरह की हरित ऊर्जा है. पेट्रोल डीजल के मुकाबले यह 20% कम हाइड्रोकार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करता है. आपको बता दें कि देश के होने वाले प्रदूषण में 40 फीसदी हिस्सेदारी फॉसिल फ्यूल यानी पेट्रोल डीजल के कारण होती है. ऐसा कहा जा रहा है ​कि इथेनॉल से चलने वाले वाहनों से प्रदूषण नियंत्रित होगा.

 

HIGHLIGHTS

  • देश में तेल निर्यात का खर्च करीब 16 लाख करोड़ रुपये आता है
  • इससे ग्राम्य आधारित इकोनॉमी को बल मिलने वाला है
  • इथेनॉल से चलने वाले वाहनों से प्रदूषण नियंत्रित होगा
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