गलवान घाटी में हिंसक झड़प के सालभर बीत जाने के बाद भी LAC पर हालात नहीं सुधरे

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को सालभर बीत जाने के बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात नहीं सुधरे हैं.

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
Galwan Valley Clash

गलवान घाटी में हिंसक झड़प के सालभर बाद भी LAC पर नहीं सुधरे हालात( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को सालभर बीत जाने के बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात नहीं सुधरे हैं. दोनों तरफ से सेनाएं मिरर डिप्लॉयमेंट में तैनात हैं और लाख से ज्यादा सैन्य बल एक दूसरे के आमने सामने हैं, जो कभी भी नए टकराव और युद्ध के हालात पैदा कर सकते हैं. अब तक दोनों देशो के बीच 11 राउंड की कमांडर स्तर की बातचीत तो वहीं 21 राउंड की राजनयिक स्तर पर WMCC की बातचीत हो चुकी है. 10 फरवरी को हुए लिखित समझौते के मुताबिक दोनों देश की सेनाओं को यथास्थिति बहाल करने के लिये पीछे हटना था, लेकिन चीन ने सिर्फ पेंगोंग और फिंगर एरिया से अपनी सेना को पीछे हटाया. जबकि गोग्रा, हॉट स्प्रिंग और देपसांग में सेनाएं जस की तस आमने सामने खड़ी है.

यह भी पढ़ें : गलवान का एक साल : जानें कैसे बिगड़े थे हालात और अब क्या है LAC पर हाल

समझौते के मुताबिक, भारत ने भी स्ट्रेटेजिक रूप से महत्वपूर्ण कैलाश हाइट से अपनी सैन्य टुकड़ी उतारी. लेकिन धोखबाजी में माहिर चीन ने गोग्रा, होटप्रिंग और देपसांग में अपनी सेना को पीछे हटने नहीं दिया. जिसके चलते भारतीय सेना ने चीन की नीयत में खोट को देखते हुये डीएसकैलेशन पर जोर नहीं दिया यानी सेना न तैनाती से हटी और ना ही अपने बैरक में लौटी और इस तरह अपने मोर्चे सेना तैनात है. चीन को दगाबाजी और धोखे के इतिहास को देखते हुये भारत ने डीएसकैलेशन न करने का जो फैसला लिया, वह समय के साथ सही साबित होता दिख रहा है.

चीन LAC के उस पार पक्के निर्माण, फील्ड गन, टैंक, एयर डिफेंस सिस्टम, हॉस्पिटल और हाई एल्टिट्यूड वॉर फेयर एक्सरसाइज के साथ साथ अपनी एयरफोर्स की तैयारी में जुटा है, जिससे साफ पता चलता है कि ड्रैगन इस संघर्ष को और आगे की तरफ बढ़ाना चाहता है. चीन की यह तैयारी सिर्फ लद्दाख के इलाके में ही नहीं, बल्कि अरुणाचल के उस पार और अक्साई चीन में भी जारी है. चीन की तैनाती में उसके वेस्टर्न कमांड से 76th और 77th ग्रुप आर्मी को बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है. साथ ही चीन ने माउंटेन वारफेयर के लिए अपनी आधुनिक ट्रेन आधारित काइनेटिक सिस्टम को भी तैनात किया है, जिसमें हेवी टैंकस, हॉवित्जर और मल्टीप्ल रॉकेट लॉन्चर शामिल है.

यह भी पढ़ें : बेंजामिन नेतन्याहू के 12 साल के शासन का अंत, बेनेट बने इजराइल के नए प्रधानमंत्री 

चीन के एयरफोर्स की बात करें तो उसे अपने J11,  j20 फाइटर एयरक्राफ्ट और Z-9 और 20 जैसे हेलीकॉप्टर पर भरोसा है. इसके अलावा इलेक्ट्रोनिक वारफेयर और हाइब्रिड वारफेयर की भी तैयारी है. यही वजह है कि भारत ने भी अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी है. चाहे ऑल वेदर कनेक्टिविटी के लिए सड़क का निर्माण हो या फिर सैन्य बल के रहने के लिए हाई एल्टिट्यूड और माइनस 40 डिग्री में आवास और कैम्प की उचित व्यवस्था हो. ऑल वेदर कनेक्टिविटी के लिये भारत ने जोजिला पास जैसे दुर्गम और दुरूह इलाके में सड़क निर्माण किया. वही उमलिंग ला, मारस्मिक ला और खारदुंग ला जैसे रुट भी सैन्य मूवमेंट के लिए साल भर खोले गये. इसके कारण फारवर्ड एरिया में सैन्य साजो सामान की सप्लाई, हाड़ कंपा देने वाली सर्दी और जमा देने वाली बर्फ में भी जारी रही.

हाई एल्टिट्यूड और माइनस 40 डिग्री में जहां चीन के सैनिक लगातार बीमार हो रहे थे. वहीं भारतीय सेना का शौर्य देखकर बीजिंग की परेशानी पर लगातार बल पड़ते रहे. भारत ने भी चीन के खिलाफ सीमा पर बोफोर्स, रॉकेट लॉन्चर, T90, BMP, पिनाका सहित अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती की है. भारत की तैयारी आर्मी और एयरफोर्स दोनों ही स्तर पर चीन के मुकाबले लगातार जारी है और इसी क्रम में ये देखा गया कि फ्रांस से राफेल की डिलीवरी के साथ ही उसकी ट्रेनिंग और तैनाती चीन की सीमा पर की गई. इसके अलावा अपाचे और चिनूक जैसे योद्धा भी चीन पर भारी पड़ने के लिये तैयार है, जिन्हें रण में गेमचेंजर माना जाता है.

यह भी पढ़ें : G-7 देशों ने कोरोना और मानवाधिकार समेत इन मुद्दों पर चीन को घेरा

चीन की त्योरिया भारत के खिलाफ तब चढ़ीं, जब भारत ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को समाप्त किया और लद्दाख को अलग यूनियन टेरिटरी बनाया गया. उसके बाद चीन की परेशानी पर बल इसलिए भी पड़ा, क्योंकि दारबुक श्योक दौलत बेग ओल्डी जिसे DSDBO रोड भी कहते हैं, जो लेह को सीधे काराकोरम से जोड़ती है, उस सड़क का निर्माण कार्य पूरा होने वाला था. इसी सड़क से भारतीय सेना अक्साई चीन में घुसने और चीन को चुनौती देने का माद्दा रखती है. सामरिक और राजनैतिक रूप से बदलती इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए चीन ने LAC पर स्टेटस को बदलने की साजिश रची और फिंगर 4 से 8 के बफर जोन को कब्जा करने की नीयत से आगे बढ़ आया.

कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल का जश्न मना रहे जिंगपिंग के लिए गलवान की हिंसा किसी झटके से कम नहीं था. इस हिंसा में 20 भारतीय सेना के रणबांकुरों ने शहादत दी, लेकिन चीन अभी तक अपने शहीदों की गिनती दुनिया के सामने पूरी नहीं कर पाया है. लाख छुपाने के बाद भी चीनी सैनिकों की शहादत से जब पर्दा उठा था, तब से अबत क चीन की यह गिनती अधूरी ही रही. अब जिनपिंग के लिए आगे कुंआ और पीछे खाई जैसी स्थिति है. अगर चीन भारत से टकराता है तो हाई एल्टिट्यूड वॉर फेयर में भारतीय सेना उसे बुरी तरह से पराजित करने का दमखम रखती है और अगर चीनी सेना पूर्ण डिसेंग्जमेंट पर पीछे हटती है तो जिंगपिंग की पूरे चीन में थू थू होगी और सत्ता के खिलाफ विद्रोह के सुर को भी बल मिलेगा.

HIGHLIGHTS

  • गलवान घाटी में हिंसक झड़प को एक साल
  • अभी तक भारत-चीन में बरकरार है टकराव
  • दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के सामने
India China Border Galwan Valley Clash Galwan clash anniversary Galwan Valley Clash Anniversary
Advertisment
Advertisment
Advertisment