किसान संगठनों के आपसी शक्ति प्रदर्शन का भी अखाड़ा बना किसान आंदोलन

किसान आंदोलन का अब तक हल न निकल पाने के पीछे कई किसान संगठनों की आपसी नूराकुश्ती भी एक वजह बताई जा रही है. तीन कानूनों के खात्मे को लेकर सभी संगठनों के नेता एकमत हैं, लेकिन मांगों में अंतर है.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
Farmers Protest LIVE Updates

Farmers Protest LIVE Updates( Photo Credit : IANS )

Advertisment

Farmers Protest LIVE Updates: नए कृषि कानूनों के खात्मे सहित कई मांगों को लेकर चल रहा आंदोलन, किसान संगठनों के आपसी शक्ति प्रदर्शन का भी अखाड़ा बना है. कई गुटों में बंटे किसानों के संगठन आंदोलन को अपने लिए एक सीढ़ी भी समझ रहे हैं। वह एक दूसरे से कहीं ज्याद मुखर होकर किसानों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें कर रहे हैं. किसान आंदोलन का अब तक हल न निकल पाने के पीछे कई किसान संगठनों की आपसी नूराकुश्ती भी एक वजह बताई जा रही है. 

यह भी पढ़ें: भारत बंद का समर्थन कर अब RLP ने दी NDA से अलगाव की 'धमकी'

पांच प्रमुख गुटों में बंटी है भारतीय किसान यूनियन 
तीन कानूनों के खात्मे को लेकर सभी संगठनों के नेता एकमत हैं, लेकिन मांगों में अंतर है. कोई पराली पर केस खत्म करने की बात कर रहा है तो कोई मुफ्त बिजली देने और बैंक से कर्ज की दिक्कतों पर भी कोई आवाज बुलंद कर रहा है. पंजाब और हरियाणा के किसानों का जहां सिंघु बार्डर पर 32 प्रमुख संगठनों के जरिए आंदोलन चल रहा है, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का आंदोलन प्रमुख तौर पर भारतीय किसान यूनियन(भाकियू) के जरिए चल रहा है, लेकिन, भारतीय किसान यूनियन भी इस वक्त पांच प्रमुख गुटों में बंटी है. दिल्ली-गाजीपुर बार्डर पर पिछले दस दिनों से चल रहे आंदोलन के दौरान भारतीय किसान यूनियन के अलग-अलग गुटों का मंच नजर आता है.

यह भी पढ़ें: भारत बंद की तैयारी में जुटे किसान, आंदोलन के 'हाईजैक' होने से भी सहमे

यहां एक तरफ महेंद्र सिंह टिकैत की विरासत वाले भारतीय किसान यूनियन का मंच है. जहां राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसान जमे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन(अराजनैतिक) के बैनर तले भी किसान जुटे हैं. इस गुट का नेतृत्व सुनील चौधरी कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील चौधरी ने कहा, जब तक महेंद्र सिंह टिकैत जीवित थे तो एक ही भारतीय किसान यूनियन था. उनके निधन के बाद तोमर गुट, सुनील गुट, भानु गुट, हरपाल आदि गुटों में किसान यूनियन बंट गया. विचारधाराओं को लेकर अलग-अलग गुट बने। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि कई गुटों में भारतीय किसान यूनियन के बंटने से हमारी ताकत पहले के कमजोर हुई है.

कई गुटों की वजह से मांगों पर आपसी सहमति कैसे बनती होगी? इस सवाल पर सुनील चौधरी ने कहा, यहां गाजीपुर-दिल्ली बार्डर पर चल रहे आंदोलन का नेतृत्व राकेश टिकैत कर रहे हैं. हम भी उनका नेतृत्व स्वीकार्य कर रहे हैं। लेकिन किसानों के मुद्दे पर अगर कहीं से धोखाधड़ी होती नजर आई तो फिर हम फैसला मानने से भी इन्कार कर सकते हैं। चूंकि आंदोलन बड़ा है, इस नाते सारे गिले-शिकवे भुलाकर हम साथ खड़े हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान यूनियन की नींव रखने वाले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को उनके अनुयायी आज भी सम्मान से बाबा टिकैत बुलाते हैं.

यह भी पढ़ें: किसान संगठनों के भारत बंद को इन विपक्षी दलों ने दिया समर्थन

वर्ष 2011 में हुआ था महेंद्र सिंह टिकैत का निधन 
चौधरी चरण सिंह के बाद दूसरे सबसे बड़े किसान नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत का वर्ष 2011 में निधन हो गया था. यह महेंद्र सिंह टिकैत ही थे, जिनकी एक अपील पर 25 अक्टूबर 1988 को दिल्ली के वोट क्लब पर लाखों की संख्या में सात दिनों तक किसान एकत्र हो गए थे. तब गन्ना के समर्थन मूल्य, बिजली-पानी की दर को कम करने के 35-सूत्री मांगों पर टिकैत ने केंद्र सरकार को झुकने को मजबूर कर दिया था. महेंद्र सिंह टिकैत के जीवित रहने तक भारतीय किसान यूनियन एक विशुद्ध किसान संगठन के रूप मे ही जाना जाता था, हालांकि उनके निधन के बाद संगठन से जुड़े नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने इसकी छवि पर काफी असर डाला। किसान यूनियन के कई गुटों में बंटने के पीछे सियासी महत्वाकांक्षाएं वजह बताई जाती हैं.

farmers-protest farmers-protest-live-updates farmers-protest-live latest-farmers-protest-news punjab-farmers-protest farmers-protest-2020 किसान आंदोलन पंजाब किसान आंदोलन किसान विरोध प्रदर्शन
Advertisment
Advertisment
Advertisment