3 सितंबर 1905 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मे कमलापति त्रिपाठी एक भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे. इसके साथ वह कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता भी थे. कमलापति त्रिपाठी संविधान सभा के सदस्य रहे. उनके 70 साल के राजनीतिक जीवन के 50 साल संसदीय कार्यों में बीते. इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र में कैबिनेट मंत्री तक की जिम्मेदारी निभाई. कमलापति त्रिपाठी ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिनके कार्यों की आज भी चर्चा होती है. उन्होंने कई राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लिया था और अनेक बार जेल गए. वह हिंदी और संस्कृत के विद्वान के साथ ग्रंथकार भी थे. पत्रकार के तौर पर उन्होंने दैनिक हिंदी अखबार 'आज' और बाद में 'संसार' के लिए काम किया.
जीवन परिचय
कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितंबर 1905 को वाराणसी के रहने वाले नारायणपति त्रिपाठी के घर हुआ. वह मूल रूप से पंडी के त्रिपाठी परिवार में जन्मे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से पंडी तिवारी भी कहा जाता था. बताया जाता है कि औरंगजेब के समय के दौरान उनके पूर्वज वाराणसी में बस गए थे. काशी विद्यापीठ से उन्होंने शास्त्री की उपाधि हासिल की और फिर डी. लिट. किया. उन्होंने दैनिक हिंदी अखबार 'आज' एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया. बाद में वह 'संसार' में आए और अपनी सेवाएं दीं. 19 साल की उम्र में कमलापति की शादी हो गई. उनके 5 बच्चे हैं, जिनमें उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं.
स्वतंत्रता सेनानी रहे कमलापति
वह एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे. 1921 के दौरान कमलापति असहयोग आंदोलन से जुड़े तो सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी सक्रिय भागीदार रहे, जिसके लिए उनको जेल भी जाना पड़ा था. 1942 में आंदोलन में भाग लेने के लिए कमलापति त्रिपाठी मुंबई पहुंचे थे, उन्हें तब भी गिरफ्तार कर लिया गया. वह तीन साल तक जेल में रहे.
राजनीतिक सफर
त्रिपाठी एक वरिष्ठ और अनुभवी कांग्रेसी नेता थे. कमलापति 1937 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे. 1973 तक वह विधानसभा में चंदौली का प्रतिनिधित्व वह करते रहे थे. इस दौरान उन्होंने कई विभागों की जिम्मेदारी संभाली. 1952 में वह सूचना और सिंचाई मंत्री बने, 1957 में गृह, शिक्षा तथा सूचना मंत्रालय संभाला. 1962 में वित्त मंत्री और 1969 में उपमुख्यमंत्री बने. 1970 में वह उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल चुने गए थे. जबकि 4 अप्रैल 1971 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और से लगभग दो साल यानी 12 जून, 1973 तक सीएम रहे.
इसके बाद वह राज्य की राजनीति से उठकर केंद्र की राजनीति में पहुंचे. 1973 से लेकर 1986 में वह राज्यसभा के सदस्य रहे. इस दौरान उन्हें केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला. उन्हें 1973 से 1977 तक जहाजरानी, परिवहन एवं रेल मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. कमलापति त्रिपाठी काशी नगरी के रहने वाले थे, मगर वाराणसी शहर से उन्होंने एक बार ही चुनाव लड़ा. 1980 में वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से वह सांसद चुने गए थे.