भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्र सरकार में मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की राज्यसभा सदस्यता की मियाद खत्म होने वाली है. जुलाई में उनकी सदस्यता की अवधि पूरी हो जाएगी. अब तक उम्मीद जताई जा रही थी कि पार्टी उन्हें रामपुर लोकसभा सीट पर होने जा रहे उप-चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाएगी, जिसमें जीत दर्ज करने के बाद उनकी मंत्री वाली कुर्सी बची रहेगी. उससे पहले उम्मीदें ये थी कि यूपी से 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने वाले (अब हो चुके) हैं, उन 11 में से 8 सीटों पर बीजेपी जीतेगी, जिसमें से एक सीट पर मुख्तार अब्बास नकवी आसीन हो जाएंगे. लेकिन ये दोनों ही रास्ते बंद हो चुके हैं. यूपी से राज्यसभा में टिके रहने की जगह नहीं मिली, तो पार्टी ने लोकसभा उप-चुनाव में भी उनपर दांव नहीं लगाया. ऐसे में उनके भविष्य को लेकर कयास लगने लगे हैं. जो अब भी जारी हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो मुख्तार अब्बास नकवी अपनी प्रोफाइल के हिसाब से मोदी सरकार का हिस्सा बने रहेंगे और उनका मंत्रालय भी सुरक्षित रहेगा. ये कैसे होगा, यही हम बता रहे हैं...
मुख्तार अब्बास नकवी के पास अभी 7 माह का समय
मुख्तार अब्बास नकवी मोदी सरकार में इकलौटे मुस्लिम मंत्री हैं. वो तीन राज्यसभा सदस्यों में से एक हैं, जो मुस्लिमों का बीजेपी में प्रतिनिधित्व करते हैं. लेकिन एक साथ तीनों का ही कार्यकाल खत्म हो रहा है. उनमें से किसी को भी राज्यसभा फिर से नहीं भेजा जा रहा है. ऐसे में मोदी सरकार मुख्तार अब्बास नकवी को राज्यसभा में बनाए रखना चाहेगी. राजनीतिक जानकारों की मानें तो त्रिपुरा की राज्यसभा सीट मुख्तार अब्बास नकवी के लिए एकदम मुफीद हो सकती है. ये सीट हाल ही में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बनाए गए माणिक साहा ने खाली की है. वो अप्रैल महीने में ही राज्यसभा के सांसद बने थे. इसका मतलब है कि उनके कार्यकाल का पूरा समय ही बाकी है. वहीं, त्रिपुरा के लिए राज्यसभा चुनाव की घोषणा अभी हुई नहीं है.
जुलाई तक मुख्तार अब्बास नकवी खुद राज्यसभा सांसद हैं ही. इसके बाद भी वो अगले 6 महीनों तक बिना किसी सदन के सदस्य बने बगैर भी केंद्रीय मंत्री रह सकते हैं. इसका मतलब है कि अगले 7 महीने तक उनके पास केंद्रीय मंत्री का पद है. इस बीच वो त्रिपुरा के रास्ते फिर से राज्यसभा पहुंच सकते हैं. या फिर बीजेपी अपनी रणनीतिक सोच-समझ के आधार पर उन्हें कोई और भी जिम्मेदारी सौंप सकती है.
नकवी को रामपुर से क्यों नहीं मिला टिकट?
रामपुर में आजम खान का दबदबा रहता है. आजम खान समाजवादी पार्टी के नेता हैं. वो अभी तक जेल में बंद थे और जेल में रहते हुए ही वो विधायकी का भी चुनाव जीते हैं. यही नहीं, रामपुर में मुख्तार अब्बास नकवी का परिवार हमेशा आजम खान के सामने खड़ा रहता है, लेकिन वो टिक नहीं पाता. ऐसे में बीजेपी के रणनीति कारों ने रामपुर सीट से ऐसा प्रत्याशी खड़ा किया है, जो रामपुर के चुनावी गणित पर फिट बैठता है.
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जी हां, धनश्याम लोधी उस ओबीसी समाज से आते हैं, जो संख्याबल में रामपुर में सबसे बड़ा है. वो समाजवादी पार्टी से हाल ही में बीजेपी में आए हैं और आजम खान के बहुत करीबी रहे हैं. ऐसे में उन्हें आजम के दोस्तों-दुश्मनों की भी खूब खबर है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वादा किया था कि वो स्थानीय नेताओं को आगे बढ़ाएंगे. लोधी एमएलसी रहे हैं. राजनीति दांवपेंच भी उन्हें खूब पता है. ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी को आजम खान की पारंपरिक सीट पर न उतारते हुए बीजेपी ने रणनीतिक दांव भी खेला है. बाकी ये दांव कितने सफल रहते हैं, ये तो आने वाले समय में पता चल ही जाएगा.
HIGHLIGHTS
जुलाई में खत्म हो रही मुख्तार अब्बास नकवी की राज्यसभा सदस्यता
केंद्र सरकार में कम से कम 7 महीने मंत्री बने रह सकते हैं नकवी
नॉर्थ-ईस्ट के रास्ते राज्यसभा सांसद बन सकते हैं मुख्तार अब्बास नकवी