राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता लगभग हरेक राजनीतिक दल जाहिर करता है. साथ ही इस पर अंकुश लगाने की भी बात करता है. हालांकि बात जब चुनाव में टिकट देने की आती है, तो सब किनारे छूट जाता है. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (Gujarat Assembly Elections 2022) के पहले चरण में भी 89 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 788 उम्मीदवारों में से कुल 167 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले (Criminal Cases) दर्ज हैं. इनमें से 100 पर हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर आरोप भी हैं. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस तरह पहले चरण के 21 फीसदी प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जबकि 13 फीसदी गंभीर आरोपों से जूझ रहे हैं.
दागियों को टिकट देने में आप सबसे आगे
पहली बार गुजरात में विधानसभा चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी (आप) पहले चरण में कुल 89 में से 88 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दागियों को टिकट देने के क्रम में आप प्रमुख राजनीतिक दलों की सूची में सबसे ऊपर है, जिसके 36 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आप के 30 प्रतिशत उम्मीदवार हत्या, बलात्कार, हमला, अपहरण जैसे गंभीर मामलों का सामना कर रहे हैं. आप द्वारा मैदान में उतारे गए आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या 32 है.
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फिर कांग्रेस रही
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के बाद कांग्रेस का नंबर आता है. उसने अपने 35 प्रतिशत उम्मीदवारों को आपराधिक मामलों के साथ मैदान में उतारा है. ऐसे 20 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर मामले चल रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी पहले चरण में सभी 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसके आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या 31 है.
भाजपा भी पीछे नहीं
पहले चरण की सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही सत्तारूढ़ भाजपा ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि प्रतिशत के लिहाज से ऐसे उम्मीदवारों की कुल संख्या का 16 प्रतिशत है और 12 प्रतिशत गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं.
बीटीपी के 29 प्रतिशत उम्मीदवार दागी
पहले चरण में 14 सीटों पर चुनाव लड़ रही भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के चार उम्मीदवार (29 प्रतिशत) घोषित आपराधिक मामलों वाले हैं. उसके कुल सात फीसदी उम्मीदवारों पर इस बार गंभीर आपराधिक मामले हैं.
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167 दागियों में 100 पर गंभीर मामले
पहले चरण के 167 उम्मीदवारों में से 100 ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में अपने खिलाफ गंभीर मामले बताए हैं. इनमें महिलाओं के खिलाफ अपराध के नौ मामले, हत्या के तीन मामले और हत्या के प्रयास के 12 मामले शामिल हैं. गंभीर आपराधिक मामलों वाले कुछ उम्मीदवार जनक तलविया (भाजपा), वसंत पटेल (कांग्रेस), अमरदास देसानी (निर्दलीय) हैं. आपराधिक रिकॉर्ड वाले अन्य उम्मीदवारों में भाजपा के पुरुषोत्तम सोलंकी, कांग्रेस के गनीबेन ठाकोर और जिग्नेश मेवानी, आप के गोपाल इटालिया और अल्पेश कठेरिया शामिल हैं. एडीआर ने पहले चरण के कुल 89 निर्वाचन क्षेत्रों में से 25 को रेड अलर्ट सीटों के रूप में घोषित किया है. यानी इन सीटों पर तीन या अधिक उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
2017 के पहले चरण में 15 फीसदी थे दागी
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2017 के विधानसभा चुनावों के पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले 15 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले थे, जबकि आठ प्रतिशत उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले थे. 2017 चुनाव के पहले चरण में कांग्रेस, बीजेपी औऱ बीटीपी ने क्रमशः 36, 25 और 67 फीसदी ऐसे उम्मीदवार घोषित किए थे, जिन पर आपराधिक मामले चल रहे थे. 2017 में पहले चरण में 78 उम्मीदवार मैदान में थे, जिन पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे थे.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निर्वाचन आयोग ने की यह व्यवस्था
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के 25 सितंबर 2018 के आदेश के अनुपालन में चुनाव आयोग के निर्देशों पर सभी राजनीतिक दलों के लिए उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों और ऐसे उम्मीदवारों के चयन के कारणों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करना जरूरी है. इसके अलावा इस सूचना को एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय दैनिक में भी प्रकाशित करना है. यह जानकारी उम्मीदवार को आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना भी आवश्यक है.
HIGHLIGHTS
- पहले चरण के चुनाव में आप के 36 फीसदी उम्मीदवार दागी
- 14 सीटों पर लड़ रही बीटीपी के 29 फीसद उम्मीदवार दागी
- कांग्रेस और बीजेपी सभी ने दागियों को उतारा है मैदान में