इस देश के लिए राजनेताओं और आध्यात्मिक गुरुओं के बीच संबंध नया नहीं है. दशकों से संन्यासियों का देश के राजनीतिक विमर्श पर वर्चस्व रहा है. वे सभी प्रकार के राजनेताओं के सलाहकार रहे हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्रियों और संसद सदस्यों के रूप में जनप्रतिनिधि भी बने हैं. इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections 2022) में भी चार साधु और संत दिखाई दे रहे हैं, जिनके राजनीतिक भाग्य का फैसला मतदाता करेंगे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दो साधुओं को मैदान में उतारा है, तो एक नई पार्टी गुजरात नवनिर्माण सेना ने दो को चुनावी टिकट दिया है. रोचक बात यह है कि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस (Congress) द्वारा जीती गई दो सीटों पर एक साधु और एक महंत को मैदान में उतारा है. कह सकते हैं कि आशीर्वाद देने वाले इस चुनाव में चुनावी जीत के लिए मतदाताओं से आशीर्वाद मांग रहे हैं.
बीजेपी ने दो साधुओं को दिया है टिकट
भाजपा ने शंभुप्रसाद टुंडिया को गढ़डा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. वह अहमदाबाद जिले के ज़ंजरका गांव के संत श्री सवैयानाथ समाधि स्थान के 'महंत' हैं. इस सीट पर टुंडिया को जगदीश चावड़ा के खिलाफ खड़ा किया गया है. टुंडिया ने भाजपा के टिकट पर 2007 से 2012 तक दासदा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया . बाद में वे 2014 से 2020 तक भाजपा की ओर से राज्यसभा में भेजे गए. गौरतलब यह है कि भगवा पार्टी ने इस सीट से मौजूदा उम्मीदवार आत्माराम परमार के बजाय टुंडिया को चुना. परमार 2017 में इसी सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे. हालांकि 2020 में गढ़डा से कांग्रेस विधायक प्रवीण मारू के पद छोड़ने के बाद हुए उपचुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी. भरूच जिले की जम्बूसर सीट पर भी भाजपा ने एक साधु को मैदान में उतारा है. 50 साल के देवकिशोरदासजी स्वामी 'डी के स्वामी'' के नाम से भी लोकप्रिय हैं. वह भरूच जिले के आमोद में नाहिर स्वामीनारायण गुरुकुल में रहते हैं. स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े यह साधु इस सीट से अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने इस सीट से मौजूदा विधायक संजय सोलंकी को फिर से उतारा है.
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गुजरात नवनिर्माण सेना सीएम बतौर साधु को देखना चाहती है
हाल ही में अस्तित्व में आई नई राजनीतिक पार्टी गुजरात नवनिर्माण सेना ने उत्तरी गुजरात के चनास्मा और राधनपुर विधानसभा क्षेत्रों के लिए साधुओं को अपने उम्मीदवारों के रूप में चुना है. चनास्मा सीट भाजपा के पास है, जबकि कांग्रेस के रघु देसाई राधनपुर के मौजूदा विधायक हैं, जिन्होंने 2019 के उपचुनाव में भाजपा नेता अल्पेश ठाकोर को हराया था. गुजरात नवनिर्माण सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल दवे का कहना है कि पार्टी का प्राथमिक लक्ष्य एक साधु को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाना है. उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए.' चनास्मा सीट से जीएनएस के उम्मीदवार शिवानंद सरस्वती कहते हैं, 'मैं 13 साल से साधु हूं. सांप्रदायिक और जाति आधारित राजनीति से मेरा मोहभंग हो चुका है. मैं एक नई तरह की राजनीति की शुरुआत करने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं, क्योंकि मुझे पैसे या सत्ता का कोई लालच नहीं है.' राधनपुर सीट से मैदान में उतरे दूसरे साधु देवेंद्र कुमार 'गौ रक्षा' के इच्छुक हैं. उनका कहना है, 'मैं एक गौशाला चलाता हूं और उम्मीद करता हूं कि राधनपुर और आसपास के इलाकों में गायों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए लोग मुझे चुनेंगे.'
HIGHLIGHTS
- गुजरात विधानसभा चुनाव 202 में चार साधु-संत भी मैदान में
- बीजेपी और गुजरात नवनिर्माण सेना ने दो-दो को दिया टिकट