जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में सेना और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में कर्नल आशुतोष शर्मा सहित पांच जाबांज शहीद हो गई. इन बहादुरों ने आखिरी सांस तक ऐसा साहस दिखाया जिसे देश कभी नहीं भूल पाएगा. आतंकियों के चंगुल में फंसे निर्दोष लोगों को सकुशल बचाने के बाद ये पांच जवान शहीद हो गए. कायर आतंकियों ने घर में घुसकर गोलीबारी की. सेना ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया.
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हंदवाड़ा के चांजमुल्ला इलाके में आतंकियों की मौजूदगी का खुफिया इनपुट मिला था. इसके बाद सुरक्षा बलों ने जॉइंट ऑपरेशन चलाया. इस एनकाउंटर में सेना की राष्ट्रीय रायफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान शामिल थे. आतंकियों ने निर्दोष लोगों को बंधक बना लिया. इन नागरिकों को आतंकियों से आजाद करने के लिए सेना के कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश और लांस नायक दिनेश घर में घुसे. पांच लोगों की इस टीम में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर शकील काजी भी शामिल थे.
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आतंकियों से किया सीधा मुकाबला
कर्नल आशुतोष ने घर में छुपे आतंकियों से सीधा मुकाबला किया. उनकी प्राथमिकता घर में आतंकियों के बंधक बनाए गए नागरिकों को सुरक्षित निकालना था. दोनों ओर से भारी गोलीबारी हो रही थी. नागरिकों को बाहर निकालने के दौरान इन जवानों को कई गोलियां लगी थी लेकिन आखिरी समय तक इन जाबांजों ने हिम्मत नहीं हारी. सभी नागरिकों को सकुशल निकालने में सभी शहीद हो गए. हालांकि भारतीय सेना ने कार्रवाई करते हुए दो आतंकियों को ढेर कर दिया.
आशुतोष पहले ऐसे कमांडिंग ऑफिसर और आर्मी रैंक के अधिकारी हैं जिनकी पिछले पांच साल में किसी आतंकी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए हैं. इससे पहले कर्नल एमएन राय की जनवरी 2015 में एक ऑपरेशन के दौरान शहीद हो गए. वहीं कर्नल संतोष महादिक की भी उसी साल मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए. कर्नल आशुतोष शर्मा को उनकी बहादुरी के लिए दो बार सेना मेडल से नवाजा जा चुका है.
Source : Kuldeep Singh