देश के कई हिस्सों में हफ्तों से चल रही लू (Heatwave) से भी कोई राहत के आसार नहीं है. पूर्वानुमान के मुताबिक, इस हफ्ते के आखिर में स्थिति और भी खराब हो सकती है. हालांकि, 2 मई से एक और पश्चिमी विक्षोभ विकसित होने की संभावना है, जिससे गरज के साथ बारिश हो सकती है. इसके साथ ही 2 मई के बाद आगे बढ़ते पश्चिमी विक्षोभ के साथ तापमान में गिरावट की संभावना है. इस दौरान गरज के साथ बारिश होने का अनुमान है. आईएमडी (IMD) के रिकॉर्ड के मुताबिक मार्च 2022 देश में एक सदी से भी अधिक समय में सबसे गर्म था, जबकि दिल्ली में शुक्रवार को औसत मासिक अधिकतम तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस के साथ 72 वर्षों में दूसरा सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया गया. गौरतलब है कि चिलचिलाती गर्मी ने कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है. इसके साथ ही भीषण गर्मी से फसलों को भी खतरा पैदा हो गया है.
72 वर्षों में दूसरा सबसे गर्म अप्रैल
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में 72 साल में दूसरा सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया गया है. 2010 में, दिल्ली में औसत मासिक अधिकतम तापमान 40.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. राष्ट्रीय राजधानी ने इस महीने तीन लंबी गर्मी का अनुभव किया, जो सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की कमी के कारण उत्पन्न हुई है. दरअसल, भारत के कई हिस्सों में पारा 46-डिग्री सेल्सियस के निशान को पार कर गया है. देश के बड़े इलाकों में शुक्रवार को तापमान में इजाफे से भीषण गर्मी के प्रकोप को बढ़ा दिया है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में बांदा में 47.4 डिग्री सेल्सियस का रिकॉर्ड उच्च स्तर दर्ज किया गया. उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद (46.8 डिग्री सेल्सियस) और झांसी (46.2 डिग्री सेल्सियस) जैसे कई स्थानों पर पारा 46 डिग्री सेल्सियस के निशान को पार कर गया. वहीं, देश की राजधानी दिल्ली के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में 46.4 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया. राजस्थान के गंगानगर में 46.4 डिग्री सेल्सियस, मध्य प्रदेश में नौगोंग में 46.2 डिग्री सेल्सियस और महाराष्ट्र के चंद्रपुर 46.4 डिग्री सेल्सियस. वहीं, एनसीआर के प्रमुख औधोगिक टाइम्स के मुताबिक गुरुग्राम में अब तक का उच्चतम तापमान 45.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. राष्ट्रीय राजधानी के बस स्टेशन दिल्ली के सफदरजंग वेधशाला ने लगातार दूसरे दिन अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया. इस बीच आईएमडी ने गुरुवार को राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिशा सहित उत्तर पश्चिमी भारत के पांच राज्यों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया था.
ऐसे तय की जाती है हीटवेव अलर्ट
गौरतलब है कि मैदानी इलाकों में लू की स्थिति तब घोषित की जाती है, जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक हो. अधिकतम तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री अधिक होने पर 'गंभीर' हीटवेव घोषित की जाती है.
ये राज्य हैं लू के चपेट में
पाकिस्तान से आने वाली पछुआ हवाएं पश्चिम, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत से निकल कर ओडिशा की ओर चली गई है, जिसके परिणामस्वरूप भारी लू के कारण कई स्थानों पर तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है. इस वक्त राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और यहां तक कि पश्चिम बंगाल में भी मध्यम से भीषण गर्मी पड़ रही है. वहीं, लू की स्थिति को देखते हुए पूर्वी भारतीय राज्य ओडिशा में स्कूलों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया
भीषण गर्मी से विक्राल हुई बिजली संकट
भीषण गर्मी के बीच बिजली की मांग में वृद्धि ने छह वर्षों में सबसे खराब बिजली संकट पैदा कर दिया है. हालात ये है कि कई जगहों पर लंबे समय तक बिजली गुल हो रही है. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक इस वक्त देशभर में 10 हजार मेगावॉट, यानी 15 करोड़ यूनिट बिजली की प्रतिदिन कटौती हो रही है. दरअसल, इस वक्त देश में बिजली की पूर्ति से मांग बहुत ही ज्यादा है. ऊपर से कोल संकट की वजह से भी कई प्लांट में उत्पादन प्रभावित हो रहा है.
आईएमडी ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट
आईएमडी ने देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में कई राज्यों के लिए गुरुवार को 'ऑरेंज' अलर्ट जारी किया. इसके साथ ही शनिवार से कई और केंद्रीय और पश्चिमी राज्यों के लिए भी अलर्ट जारी कर दिया गया है. गौरतलब है कि मौसम विभाग की चेतावनियों के लिए चार मौसम को लेकर रंग कोड का उपयोग किया जाता है. "हरा" अलर्ट का मतलब होता है कि कोई कार्रवाई की आवश्यकता नहीं, "पीला" अलर्ट का मतलब होता है कि देखें और अपडेट रहें. वहीं, "नारंगी" अलर्ट का मतलब होता है कि (तैयार रहें), और "लाल" अलर्ट खतरनाक माना जाता है, इसका मतलब होता कि कार्रवाई करें.
अगले पांच दिनों तक राहत के आसार नहीं
एजेंसी ने आगे बताया कि अगले 5 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में और अगले 3 दिनों के दौरान पूर्वी भारत में हीटवेव की स्थिति बनी रहेगी. हालांकि इसके बाद हीटवेव से राहत मिलने के आसार हैं. 30 अप्रैल को, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर धूल भरी आंधी चलने की संभावना है. हीटवेव की चपेट में राजस्थान मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि पहले से ही लू की चपेट में रहे राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में अधिकतम तापमान अगले तीन से चार दिनों तक और बढ़ने की संभावना है. विभाग के अनुसार, जोधपुर और बीकानेर जिलों में 1 मई को अधिकतम तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज होने की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से पता चलता है कि इलाहाबाद में उत्तर प्रदेश में उच्चतम अधिकतम तापमान दर्ज किया गया उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद में अधिकतम तापमान 45.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और कम से कम तीन दर्जन स्थानों पर अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया.
2 मई के बाद बारिश के आसार, मिल सकती है राहत
हालांकि, दरअसल, 2 मई से राज्य में एक और पश्चिमी विक्षोभ विकसित होने की संभावना है, जिससे गरज के साथ बारिश हो सकती है. इसके हिस्से. इसके साथ ही 2 मई के बाद आगे बढ़ते पश्चिमी विक्षोभ के साथ तापमान में गिरावट की संभावना है. इस दौरान गरज के साथ बारिश होने का अनुमान है.
हीटवेव से फसलों को हो रहा नुकसान
हीटवेव ने गेहूं की फसल को झुलसा दिया है. भारत में एक असामान्य रूप से शुरुआती रिकॉर्ड-टूटने वाली हीटवेव ने गेहूं की पैदावार को कम कर दिया है. ऐसे में अभी से यह सवाल उठने लगे हैं कि यह सवाल उठा रहा है कि कैसे देश यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण कमी को पूरा करने के लिए निर्यात बढ़ाने की महत्वाकांक्षाओं के साथ ही अपनी घरेलू जरूरतों के साथ संतुलित करेगा. दरअसल, गेहूं गर्मी के प्रति बहुत संवेदनशील होता है. खासकर अंतिम चरण के दौरान जब इसकी गुठली परिपक्व और पक जाती है. यही वजह है कि भारतीय किसान अपने रोपण का समय इस तरह से तय करते हैं कि यह चरण भारत के आमतौर पर ठंडे बसंत के साथ मेल खाता है.
ये भी पढ़ें- भीषण गर्मी में बिजली कटौती ने छुड़ाया पसीना, अभी राहत के आसार नहीं
बढ़ती गर्मी से स्वास्थ्य और साजो-सामान की चुनौतियाँ
हीटवे ने शारीरिक मजदूरों, किसानों, अग्निशामकों, बिजली इंजीनियरों, सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों की चुनौतियां बढ़ा दी है. इसके साथ ही लू की वजह से देश को स्वास्थ्य और रसद संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां एयर-कंडीशनिंग की पहुंच नहीं है. विशेषज्ञों के मुताबिक हीटवेव कमजोर लोगों के लिए मध्यम स्वास्थ्य चिंता का कारण बन सकती है. शिशुओं, बुजुर्गों, पुरानी बीमारियों वाले लोगों में गर्मी की बीमारी के लक्षणों की संभावना बढ़ सकती है. खासकर ऐसे लोगों के लिए जो या तो लंबे समय तक धूप में रहते हैं या भारी काम करते हैं. विशेषज्ञों ने लोगों को गर्मी के जोखिम से बचने, ठंडा रहने और निर्जलीकरण से बचने की सलाह दी. इसके साथ ही उन्होंने पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करने की सलाह दी है, भले ही प्यास न हो. गर्मी के जोखिम से पचने के लिए हल्के वजन और हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहनने और सिर को कपड़े, टोपी या छतरी आदि से ढकने की सलाह दी है.
HIGHLIGHTS
- सदी का सबसे गर्म रहा मार्च का महीना
- देश के कई राज्य भीषण लू की चपेट में
- 2 मई में बारिश के बाद राहत के आसार