कांग्रेस (Congress) आलाकमान ने शनिवार को दिग्गज नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का नया मुख्यमंत्री बनाने की मंजूरी दे दी. नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों ने हिमाचल प्रदेश का 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री' को लेकर शनिवार शाम को 24 घंटे में दूसरी बार मुलाकात की. जिस वक्त कांग्रेस विधायक दल की बैठक चल रही थी, बाहर सांसद प्रतिभा वीरभद्र सिंह (Pratibha Singh) के समर्थक उग्र नारेबाजी कर रहे थे. हालांकि प्रतिभा सिंह सीएम पद की रेस से बाहर हो बेटे विक्रमादित्य को डिप्टी सीएम बनाने के लिए लॉबिंग कर रही हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू, प्रतिभा सिंह के अलावा निवर्तमान कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) का नाम भी सीएम पद के दावेदारों में था. अब मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम के पद से संतोष करना पड़ेगा. हिमाचल प्रदेश से पांच बार विधायक, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस चुनाव समिति के प्रमुख रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू रविवार को सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
वीरभद्र सिंह के परिवार से मिलेगी चुनौती
तमाम अन्य नेताओं की तरह सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सरकारी कॉलेज संजौली से छात्र राजनीति में अपना करियर शुरू किया और कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख के पद तक पहुंचे. नादौन में अपनी आसान जीत के बाद सुक्खू का नाम सीएम पद की रेस में सबसे आगे चल रहा था. अधिकांश विधायक भी सुक्खू को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्षधर थे. कांग्रेस आलाकमान के नाम तय कर लेने के बाद उनके नाम की घोषणा महज औपचारिकता रह गई थी. हालांकि प्रतिभा वीरभद्र सिंह आलाकमान के आगे झुक खुद तो सीएम पद की रेस से बाहर हो गई, लेकिन डिप्टी सीएम के लिए अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए लॉबिंग करने लगीं. अब कांग्रेस आलाकमान ने मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बतौर हरी झंडी दी है. जाहिर है अगर प्रतिभा सिंह के बेटे को दूसरा डीप्टी सीएम नहीं बनाया जाएगा, तो वे और उनके समर्थक चुप नही बैठेंगे. यहीं से सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए बड़ी चुनौती शुरू होगी. वैसे भी वीरभद्र सिंह से उनकी राजनीतिक अदावत की जड़ें काफी गहरी हैं. कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनते ही उन्होंने वीरभद्र सिंह के करीबियों को अहम जिम्मेदारियों से हटा दिया था. रार इस हद तक बढ़ी थी कि वीरभद्र सिंह ने चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा तक कर दी थी.
यह भी पढ़ेंः Gujarat CM भूपेंद्र पटेल के बारे में जानने लायक 5 बातें, जिनके नेतृत्व में गुजरात बीजेपी ने तोड़ा रिकॉर्ड
ऐसा रहा राजनीतिक सफर
मूल रूप से राज्य के हमीरपुर जिले के नादौन के रहने वाले सुक्खू के पास कानून की डिग्री है. वह कॉलेज के दिनों में कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) से जुड़े थे. वह 1989 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए. 1998-2008 के बीच सुखविंदर ने राज्य युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. 1992 और 2002 के बीच की अवधि में शिमला नगर निगम के दो बार पार्षद चुने जाने के बाद सुक्खू ने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया. युवा कांग्रेस में अपने कार्यकाल के बाद वह 2008 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव बने. बाद में उन्हें 2013 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई. पार्टी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपने पार्टी प्रबंधन कौशल से और लोकप्रियता बटोरी.अब बतौर सीएम वह राजनीति में एक नई पारी का श्रीगणेश करने जा रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः गुजरात में करारी हार पर बोले ओवैसी, BJP हिंदुओं में भय पैदा कर रही
राहुल गांधी के करीबी
कांग्रेस पार्टी में सुक्खू का कद ऐसे समझा जा सकता है कि वह चुनाव अभियान समिति के प्रमुख थे. समय के साथ-साथ इस दिग्गज नेता ने स्थानीय लोगों और पार्टी कैडर के बीच अपना एक आधार विकसित कर अपना समर्थन बढ़ाया. राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे रहे. प्रतिभा वीरभद्र सिंह के सामने आने के बावजूद उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि अगला सीएम कांग्रेस के चुनकर आए विधायकों में से ही होना चाहिए. सीएम पद के लिए नाम की घोषणा होते ही भावुक सुक्खू ने राज्य के विकास के लिए अन्यविधायकों के साथ सामूहिक भागीदारी से काम करने का वादा किया है.
HIGHLIGHTS
- राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं नए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
- शिमला के संजौली के सरकारी कॉलेज से शुरू की छात्र राजनीति
- प्रदेश अध्यक्ष बनते ही वीरभद्र परिवार से हो गई थी गहरी अदावत