बांग्लादेश (Bangladesh) में हाल ही में हिंदुओं पर हिंसा और अत्याचार की घटनाओं को लेकर दिल्ली के वकील ने बांग्लादेश के चीफ जस्टिस (Chief Justice) को पत्र याचिका भेजी है. वकील विनीत जिंदल ने बांग्लादेश के चीफ जस्टिस सैयद महमूद हुसैन को भेजी पत्र याचिका में हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार को निर्देश देने की मांग की है. वकील विनीत जिंदल ने याचिका में हिंदू समुदाय और मंदिरों पर हमले की हालिया घटनाओं की बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की है. संविधान के जानकार ज्ञानंत सिंह का कहना है कि नागरिकों के जीने का अधिकार ऐसा मूल अधिकार है, जिसको लेकर कोई ग़ैर नागरिक भी बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है.
याचिका में हिंदुओं के मानवाधिकार हनन का मसला उठाया
याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदू आबादी सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय लगभग 8 फीसदी है. इनकी साक्षरता दर अच्छी रहने की वजह से बांग्लादेश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इनका अहम योगदान रहा है, लेकिन इसके बावजूद देश में लगातार हिंदू समुदाय के मूल अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. उनके साथ लूट, हिंसा उनकी ज़मीनों पर कब्जे के साथ साथ हिंदू महिलाओं पर यौन हमले हो रहे हैं. हाल ही में दुर्गापूजा के दौरान कई मंदिरों पर हमले हुए. पंडालों में पूजा के लिए स्थापित की गई मंदिरों को खंडित किया गया. यूं तो बांग्लादेश का संविधान सभी धर्मों के मानने वाले वालों के मानवाधिकार और संस्कृति के संरक्षण की बात करता है. संविधान के मुताबिक हिंदुओं को भी अपनी धार्मिक परंपराओं के निर्वहन का पूरा अधिकार हासिल है, लेकिन इसके बावजूद हिंदू समुदाय को इससे रोका जा रहा है. उनके धार्मिक संस्थाओं को टारगेट करने के साथ साथ धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है. बांग्लादेश की सरकार अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के हितों की रक्षा करने में विफल रही है.
याचिका में मांग
वकील विनीत जिंदल ने याचिका में हिंदू समुदाय और मंदिरों पर हमले की हालिया घटनाओं की बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट वहां की सरकार को हिंदुओं और मंदिरों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित का निर्देश दे. इसके अलावा मारे गए लोगो के परिजनों को 1 करोड़ टका का मुआवजा दिया जाए.
क़ानूनी जानकारों की राय
संविधान के जानकार ज्ञानंत सिंह का कहना है कि नागरिकों के जीने का अधिकार ऐसा मूल अधिकार है, जिसको लेकर कोई ग़ैर नागरिक भी बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है. हालांकि दिल्ली के वकील विनीत जिंदल इस मामले में प्रभावित पक्ष नहीं है, उन्होंने पत्र याचिका में बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओ के मूलाधिकारों के हनन का मसला उठाया है लेकिन बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट चाहे तो उनके पत्र या फिर विदेशी समाचार पत्रों की ख़बर पर भी स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर सकता है.
HIGHLIGHTS
- बांग्लादेश में 13 अक्टूबर से हिंदुओं पर जारी है हिंसा
- दुर्गा पंडाल में तोड़-फोड़ कर घरों में लगाई गई आग
- भारतीय वकील ने बांग्लादेश के CJI को लिखी पत्र याचिका