How Modi fought for democracy during Emergency: 'भाईयों और बहनों राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है. इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है.' 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन शब्दों के साथ देश में इमरजेंसी का ऐलान किया था. आज उस इमरजेंसी को 49 वर्ष पूरे हुए हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने इमरजेंसी को लोकतंत्र पर लगाए काले धब्बे के रूप में याद किया. सोमवार को लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने से पहले पीएम मोदी ने 'आपातकाल के ऐसे काले दिनों' को फिर कभी न होने देने की कसम खाई.
इस मौके पर Modi Archive (@modiarchive) ने 'एक्स' पर नरेंद्र मोदी के इमरजेंसी के दौरान के कुछ डॉक्यूमेंट्स पोस्ट किए गए हैं. आइए उनके जरिए ये जानते हैं कि मोदी ने उस वक्त कैसे लोकतंत्र की लड़ाई लड़ी. ये अनदेखे डॉक्यूमेंट्स उनके संघर्ष की पूरी कहानी बयां कर रहे हैं.
In his own words, @narendramodi has described the Emergency as an unexpected opportunity (Aapda Mein Avsar) that allowed him to work with leaders and organizations across the political spectrum, exposing him to diverse ideologies and viewpoints.
The story of the Emergency,… pic.twitter.com/dQrCiW7Fvn
— Modi Archive (@modiarchive) June 25, 2024
ABVP में किया गया नियुक्त
इमरजेंसी की कहानी 25 जून, 1975 को शुरू नहीं हुई थी. इससे पहले कांग्रेस पार्टी के भ्रष्टाचार के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में आंदोलन पूरे देश में फैल रहे थे और गुजरात कोई अपवाद नहीं था. गुजरात में 1974 के नवनिर्माण आंदोलन के दौरान पीएम मोदी ने बदलाव लाने में छात्रों की आवाज की शक्ति देखी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के युवा प्रचारक के रूप में उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने युवा आंदोलन का जोश से समर्थन किया.
इमरजेंसी के खिलाफ प्रदर्शनों में हुए शामिल
इमरजेंसी लागू होने के बाद नरेंद्र मोदी सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए. सेंसरशिप के बावजूद, उन्होंने और अन्य स्वयंसेवकों ने बैठकें आयोजित कीं और अंडर ग्राउंड लिटरेचर का प्रसार किया. नाथ जागड़ा (Nath Zagda) और वसंत गजेंद्रगडकर (Vasant Gajendragadkar) जैसे वरिष्ठ आरएसएस नेताओं के साथ सहयोग करते हुए, उन्होंने सूचना फैलाने के लिए नए-नए तरीके खोजे. मोदी ने संविधान, कानून और कांग्रेस सरकार की ज्यादतियों से संबंधित कंटेंट गुजराज से अन्य राज्यों में जाने वाले ट्रेनों में लोड किया. इससे दूरदराज के इलाकों में सरकार की ज्यादतियों के बारे में बताया गया.
After the Emergency was lifted in 1977, @narendramodi's activism and leadership during that tumultuous period started to gain recognition.
In the same year, Modi was invited to Mumbai to participate in a discussion about the youth's resistance efforts during the… pic.twitter.com/P7jZ36YauK
— Modi Archive (@modiarchive) June 25, 2024
इमरजेंसी के दौरान आरएसएस भी सरकार के निशाने पर रही. उसे अंडरग्राउंड होने के लिए मजबूर किया गया. गुजरात लोक संघर्ष समिति की स्थापना की गई. 25 साल की उम्र में मोदी तीन साल के भीतर इसके जनरल सेक्रेटरी के पद पर पहुंच गए. मोदी ने सरकार के खिलाफ विद्रोह को बनाए रखने में बड़ा रोल निभाया. ये वो दौर था जब प्रमुख आंदोलनकारी नेताओं को मीसा एक्ट के तहत अरेस्ट किया गया था.
नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल लेवल पर भी पहुंच बनाई. वैश्विक प्रतिरोध (Global resistance) को बढ़ाने के लिए अंडरग्राउंड पब्लिशकेशन भेजे. विदेश में नरेंद्र मोदी के सहयोगियों ने 'सत्यवाणी' और इंटरनेशनल लेवल पर पब्लिश अन्य न्यूज पेपर्स की फोटोकॉपी भेजीं, जिनमें इमरजेंसी का विरोध करने वाले लेख थे. उन्होंने सुनिश्चित किया कि ये प्रतियां जेलों तक पहुंचाई जाएं.
सिख के रूप में बदला भेष
पहचान से बचने के लिए, मोदी ने कई तरह के भेष धारण किए, कभी स्वामीजी तो कभी सिख बनकर, ताकि पहचान से बच सकें. 1977 में इमरजेंसी हटाए जाने के बाद, नरेंद्र मोदी की सक्रियता को मान्यता मिली. उन्हें दक्षिण और मध्य गुजरात का 'संभाग प्रचारक' नियुक्त किया गया, जहां वे आधिकारिक RSS लेख तैयार करते थे.
Narendra Modi's colleagues abroad sent photocopies of 'Satyavani' and other newspapers published internationally that featured articles opposing the #DarkDaysOfEmergency. He would ensure copies of those materials were prepared and then deliver them to the jails. Additionally,… pic.twitter.com/vz1aSblFCj
— Modi Archive (@modiarchive) June 25, 2024
इमरजेंसी पर लिखी किताब
1978 में 27 वर्ष की आयु में नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली बुक 'संघर्ष मा गुजरात' लिखी, जिसमें उन्होंने आपातकाल के दौरान अपने अनुभवों और सामूहिक प्रतिरोध का वर्णन किया. इस बुक का लोकापर्ण गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूभाई जशभाई पटेल ने किया था.
In recognition of his fighting spirit and organizational work during the #DarkDaysOfEmergency, Narendra Modi was appointed the 'Sambhag Pracharak' of South and Central Gujarat. He was also entrusted with the important task of preparing the official articles of the RSS during the… pic.twitter.com/skDgGAHdjo
— Modi Archive (@modiarchive) June 25, 2024
इस बुक की समीक्षा आकाशवाणी, गुजराती दैनिक फूलछाब, हिंदुस्तान टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस जैसे न्यूजपेपर में पब्लिश हुई थी.
Source : News Nation Bureau