इमरान खान की सरकार कब तक चलेगी? प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच पनप रहे गतिरोध के सुर्खियों में आने के बाद पाकिस्तान में यह सवाल इन दिनों हर कोई एक-दूसरे से पूछ रहा है. हालांकि खान के कैबिनेट सहयोगियों का कहना है कि पीएम और सेना प्रमुख के बीच मतभेदों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है, क्योंकि दोनों ने सोमवार रात को 3 घंटे की आमने-सामने की मैराथन बैठक की थी. हालांकि पाकिस्तानी सूत्र ऐसा नहीं मानते हैं. खान ने नए आईएसआई डीजी की नियुक्ति को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और वह पीछे नहीं हटने वाले हैं. वहीं बाजवा इस बात पर अड़े हुए हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद आईएसआई के महानिदेशक के रूप में और आगे पद पर नहीं रह सकते हैं.
सूत्रों का दावा है कि प्लान-बी पर भी काम चल रहा है. नए आईएसआई डीजी की नियुक्ति से संबंधित एक नया सारांश रक्षा मंत्रालय और सेना द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाएगा, जिसमें आईएसआई डीजी के लिए तीन नए नाम खान और बाजवा को प्रस्तुत किए जाएंगे. हालांकि बताया जा रहा है कि इन नामों की सूची में न तो लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद और न ही लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम का नाम होगा. इससे पहले बाजवा ने हमीद की जगह नदीम को आईएसआई का प्रमुख नियुक्त किया था और हमीद को कोर कमांडर के तौर पर पेशावर भेजा गया था.
जहां हमीद का स्थानांतरण सेना प्रमुख का विशेषाधिकार है, वहीं कागज पर आईएसआई के प्रमुख की नियुक्ति पीएम द्वारा सेना प्रमुख के परामर्श से की जाती है. खान ने बाजवा को बताया कि नदीम को आईएसआई प्रमुख के रूप में नियुक्त करने के लिए उनसे सलाह नहीं ली गई थी. सूत्रों का दावा है कि बाजवा ने खान से कहा कि यह एक रणनीतिक सैन्य निर्णय है और नागरिक सरकार को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए, लेकिन खान ने जोर देकर कहा है कि हमीद को ही आईएसआई प्रमुख के रूप में बने रहना चाहिए. उस पर खान को स्पष्ट रूप से कहा गया कि जिसे वह पसंद करते हैं वह अपने पद पर हमेशा के लिए नहीं बने रह सकते हैं.
पाकिस्तानी पत्रकार रऊफ क्लासरा ने कहा, 'नए महानिदेशक (डीजी) की नियुक्ति की जाएगी और इस पद के लिए न तो जनरल फैज और न ही जनरल नदीम अंजुम पर विचार किया जाएगा, लेकिन नागरिक प्रमुख और सैन्य प्रमुख के बीच संबंध को ठीक करना मुश्किल है.' पाकिस्तानी विश्लेषकों का कहना है कि पीएम खान ने सेना के 'आंतरिक' मामले में दखल देकर शायद लाल रेखा को पार किया हो. वे यह भी सोच रहे हैं कि खान फैज हमीद को आईएसआई प्रमुख के रूप में रखने पर जोर क्यों दे रहे है?
पाकिस्तान में एक धारणा है कि इमरान खान ने बाजवा को हमीद को दिसंबर तक बने रहने के लिए कहा था, लेकिन बाजवा ने इनकार कर दिया. इससे पहले उन्होंने पहले आईएसआई प्रमुख के रैंक को कोर कमांडर के बराबर बनाने का प्रस्ताव रखा और फिर हमीद को पेशावर के कोर कमांडर की भूमिका को एक अतिरिक्त प्रभार के रूप में लेने का प्रस्ताव दिया. हालांकि बाजवा इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे, क्योंकि इससे उनके शीर्ष सैन्य नेतृत्व में नाराजगी पैदा हो जाती. पाकिस्तानी पर्यवेक्षकों का कहना है कि महत्वपूर्ण विदेशी और सुरक्षा मामलों को संभालने में खान और बाजवा एकमत नहीं रहे हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से कैसे निपटा जाए, यह एक प्रमुख तनाव पैदा करने वाला बिंदु बन गया है, क्योंकि पीएम खान को आतंकवादी संगठन के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए बहुत उत्सुक के रूप में देखा जा रहा है, जो हजारों पाकिस्तानी सैनिकों और नागरिकों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार है.
लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति में, न तो सेना प्रमुख बाजवा और न ही इमरान खान पूर्ण प्रदर्शन के लिए जाने की स्थिति में हैं और दोनों ही इसे समझते हैं. इसलिए शैडो बॉक्सिंग ही एकमात्र उपलब्ध विकल्प है. फिर भी, खान खुद अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्हें 'चयनित' या 'कठपुतली' प्रधानमंत्री के तौर पर पद मिला है, क्योंकि वह सेना ही थी, जिसने उन्हें विजेता बनाने के लिए चुनावों में धांधली की थी. पाकिस्तान में दिन के उजाले के रूप में यह स्पष्ट है कि जब कभी भी ऐसी तनाव वाली स्थिति आती है तो अंत में नागरिक या राजनीतिक शक्ति के बजाय सैन्य शक्ति की ही जीत होती है.
HIGHLIGHTS
- सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा से बेहद तल्ख हो रहे रिश्ते
- फैज हमीद पर ठनी है वजीर-ए-आजम और सैन्य प्रमुख में
- तहरीक-ए-तालिबान से निपटने का तरीका भी विवाद की जड़