पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील समेत बड़े जलाशयों की निगरानी के लिए सेना ने 12 उच्च क्षमता वाली गश्ती नौकाएं खरीदने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है. इन पेट्रोलिंग बोट्स को लद्दाख में पैंगोंग झील में तैनात किया जाएगा. जहां से चीन की हर गतिविधि पर भारत के जवान नजदीक से जाकर नजर रख पाएंगे. इस क्षेत्र में पिछले वर्ष मई से भारत और चीन आमने-सामने हैं.
आत्मनिर्भर भारत की पहल
सेना ने कहा है कि उसने सरकारी क्षेत्र के उपक्रम गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के साथ करार पर हस्ताक्षर किए हैं. यह करार 12 गश्ती नौकाओं के लिए किया गया है. बड़े जलाशयों में इन नौकाओं का इस्तेमाल गश्ती और निगरानी में किया जाएगा. सेना ने ट्वीट कर कहा है कि मई 2021 से नौका की आपूर्ति शुरू हो जाएगी. यानी कि इंडियन आर्मी रक्षा सौदों में आत्मनिर्भर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर काम कर रही है.
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गर्मियों में करेंगी पेट्रोलिंग
सरकारी सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग झील के साथ ही पहाड़ी क्षेत्र में स्थित अन्य जलाशयों की निगरानी के लिए भी नौकाएं खरीदी जा रही हैं. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने कहा है कि गुरुवार को उसने सेना के साथ विशेष गश्ती नौका की आपूर्ति के लिए करार किया है. इन नौकाओं में बल की जरूरतें पूरी करने के लिए विशेष उपकरण लगे होंगे. इस वक्त कड़ाके की सर्दियों की वजह से पैंगोंग झील अभी जमी हुई है. यहां पर 3-4 महीने ऐसी ही स्थिति रहेगी. गर्मियों में जब झील पिघलेगी तो नई नौकाओं को गश्ती के लिए तैनात कर दिया जाएगा.
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विशेष उपकरणों से लैस
वहीं गोवा शिपयार्ड ने एक बयान जारी कर कहा है कि देश की सेना को अत्याधुनिक गश्ती नौका की आपूर्ति के लिए गुरुवार को भारतीय सेना के साथ एक समझौता किया है. इन नौकाओं में सुरक्षा बलों की जरूरत के अनुरूप विशेष उपकरण लगाए जाएंगे. गोवा शिपयार्ड ने कहा कि इन गश्ती नौकाओं को गोवा में ही बनाया जाएगा, इसके अलावा ये नौकाएं विशेष ऑपरेशन के लिए बनाई गई दुनिया की चुनिंदा नौकाओं में से होगी.
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शून्य से नीचे के तापमान में तैनात हैं 50 हजार जांबाज
पूर्व लद्दाख में इस समय भारतीय सेना के 50 हजार से ज्यादा जवान तैनात है. पूर्वी लद्दाख में इस समय तापमान शून्य से लगभग 20 डिग्री नीचे तक चला गया है. पूर्वी लद्दाख में सेनाओं की तैनाती कॉम्बैट मोड यानी की युद्ध के लिए कभी तैयार की स्थिति में है. इस बीच भारत और चीन के बीच आठ दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सेनाओं की वापसी पर अबतक कोई ठोस नतीजा नहीं आ पाया है. चीन की फितरत से परिचित भारत पड़ोसी देश के कोरे वादे पर अपनी तैयारी में किसी तरह की कोताही नहीं बरतना चाहता है. चीन ने भी अपनी ओर से लगभग 50 हजार सैनिकों को तैनात कर रखा है.