रोहिंग्या मुसलमानों का आतंकी कनेक्शन कई बार उजागर हो चुका है. हिंदुस्तान में रह रहे रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं. घुसपैठ करके भारतीय जमीन पर बस चुके रोहिंग्या आतंकियों के मोहरे के तौर पर बड़ी साजिश का हिस्सा बन रहे हैं. अब यूएन की जो रिपोर्ट सामने आई है. उसने तमाम सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार में तख्तापलट के बाद से अब तक 15000 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान भारतीय सीमा में घुस चुके हैं. ये रिपोर्ट 15 अगस्त, 2020 से 14 अगस्त, 2021 तक की बताई जा रही है.
भारत में कुल 40000 रोहिंग्या हैं
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि म्यांमार के सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य टकराव के चलते थाईलैंड, चीन और भारत पर असर पड़ा है. सीमावर्ती इलाकों में जातीय संघर्ष शुरू हो गया है, जो चिंता बढ़ाने वाली बात है. UNHCR से रजिस्टर्ड भारत में रहने वाले रोहिंग्या की कुल संख्या 14000 है. लेकिन एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में कुल 40000 रोहिंग्या हैं, जो जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में अलग अलग जगहों पर रहते हैं.
रोहिंग्या सुरक्षा के लिए खतरा
चिंता की बात तो ये कि इनके पास आधार कार्ड होने की खबरें आती रही हैं और इनके टेरर लिंक भी सामने आते रहे हैं. सितंबर 2017 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है. तब सरकार ने आशंका जताई थी कि कुछ रोहिंग्या पाकिस्तान के आंतकवादी समूहों से जुड़े हैं जो जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात इलाके में ज्यादा सक्रिय हैं.
15 हजार रोहिंग्या का भारत में घुसना चिंता की बात
म्यांमार भारत के साथ करीब 1600 किलोमीटर की बिना किसी तार या बाड़े वाली सीमा साझा करता है, जहां पर किसी भी प्रकार की सुरक्षा का इंतजाम नहीं है. इसके अलावा बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा म्यांमार से जुड़ती है. उत्तर-पूर्व में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम की सीमा भी म्यांमार के साथ मिलती हैं. ऐसे में एक साल में 15 हजार रोहिंग्या का भारत में घुसना चिंता की बात है.
Source : Peenaz Tyagi