न घर के... न घाट के, बगैर मुकदमें जेलों में बंद ISIS में शामिल हुए 40 प्रवासी भारतीय

कई अन्य देशों की तरह भारत ने भी इस्लामिक स्टेट के जिहादियों के लिए कोई राजनयिक मदद नहीं देने का रास्ता चुना है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
ISIS

आगे कुंआ पीछे खाई वाली स्थिति हो गई आईएसआईएस जिहादियों की.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

सीरिया में सक्रिय आतंकी संगठन आईएसआईएस (ISIS) की विचारधार से प्रभावित होकर जिहादी बने प्रवासी भारतीयों की जिंदगी नर्क से बद्तर हो चुकी है. कट्टर इस्लाम के नाम पर दीन-ईमान के रास्ते से विमुख होने की उन्हें त्रासद सजा भुगतनी पड़ रही है. टेक्सास के कॉलिन कॉलेज से कंप्यूटर डिग्रीधारी तलमीज्जुर रहमान कुर्द-सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस (SDF) के नियंत्रण वाली हसाकाह के पास अल-शदादी जेल शिविर में बगैर किसी मुकदमें के सालों से बंद हैं. उसके पिता एक सिविल इंजीनियर हैं, जो अर्सा पहले कुवैत जा बसे थे. रहमान 2014 में मुंबई से इस्तांबूल जाने वाली फ्लाइट में सवार हुआ था, उसके बाद वह आईएसआईएस में शामिल हो गया. अल-शदादी जेल शिविर में 600 आईएसआईएस आतंकियों को रखा गया है. बताते हैं कि तुर्की व लीबिया की जेलों समेत अल-शदादी और अन्य एसडीएफ द्वारा संचालित घेवरान और अल-हवाल जैसे जेल शिविरों में कम से कम 40 प्रवासी भारतीय (Indians) बंद हैं, जिनके अभिभावक मध्य-पूर्व (Middle East) में जा बसे थे.  

भारत भी नहीं लौट सकते
इनके लिए आगे कुंआ पीछे खाई वाली स्थिति है. यानी एक तरफ तो वे अमेरिका समर्थित कुर्द-सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेस की कैद में हैं. दूसरे, वह अब भारत भी नहीं लौट सकते हैं, क्योंकि कई अन्य देशों की तरह भारत ने भी इस्लामिक स्टेट के जिहादियों के लिए कोई राजनयिक मदद नहीं देने का रास्ता चुना है. इनके लिए त्रासद स्थिति यह भी है कि इन पर आईएसआईएस के लिए काम करने का आरोप सिद्ध करना कठिन है. ऐसे में इन्हें जेल शिविरों में रख छोड़ा गया है. भारत सरकार की नीति की वजह से इन्हें कोई राजनयिक मदद भी नहीं मिल सकती है. 

यह भी पढ़ेंः चीन की चालाकी से भारत ने पड़ोसियों को किया आगाह, कर्ज के दलदल में नहीं फंसने की दी सलाह

ज्यादातर प्रवासी भारतीय उच्च शिक्षित
जेल शिविरों में बंद प्रवासी भारतीयों की जो जानकारी मीडिया रिपोर्टों में सामने आई है, उससे पता चलता है कि ज्यादातर प्रवासी भारतीय बेहद उच्च शिक्षित हैं. अपनी इसी योग्यता के बलबूते उन्होंने आईएसआईएस को तकनीकी और प्रबंधकीय कौशल प्रदान किया है. रांची में पैदा हुए इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर मोहम्मद अर्शियां हैदर का उदाहरण लें. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाला हैदर फिलवक्त तुर्की की जेल में बंद है. माना जाता है कि हैदर ने आईएसआईएस को आत्मघाती ड्रोन प्रणाली और कम दूरी के रॉकेट बनाने की तकनीक प्रदान की है. तुर्की जेल में बंद हैदर के चेचेन पत्नी और दो छोटे बच्चों की भी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है. हैदर को बांग्लादेश और पाकिस्तान के जरिये आईएसआईएस से जुड़ने की दिशा दिखाई गई.

श्रीनगर के कांट्रेक्टर का टेक्नोक्रेट बेटा आईएस जिहादी बना, फिलवक्त जेल में
हैदर की ही तरह आईएस के लिए काम करने वाले टेक्नोक्रेट आदिल फयाज वाडा की कहानी है. श्रीनगर के प्रतिष्ठित कांट्रेक्टर और सुपरमार्केट चेन के मालिक का बेटा आदिल ब्रिस्बेन से एमबीए पूरा करते ही आईएसआईएस से जुड़ गया था. आदिल को ऑस्ट्रेलियाई मूल के जिहादी हमदी अल-कुद्दसी ने आईएस की विचारधारा से अवगत कराया था. आज वाडा एसडीएफ के जेल शिविर में बंद है. गौर करने वाली बात यह है कि कश्मीर में रहते हुए वाडा की सोच जिहादी नहीं हुई थी. 2010 में उसने सैयद अली शाह गिलानी को एक पत्र लिखकर बेफिजूल की हड़तालों को बंद करने को कहा था. इस पत्र में आदिल ने गिलानी से कहा था कि यह सब कश्मीर में शुरू होता है और यहीं खत्म हो जाता है. दुनिया में किसी को इसकी कोई परवाह नहीं है. 

यह भी पढ़ेंः  सिंधु आयोग बैठक के लिए पाकिस्तान जाएगा भारतीय प्रतिनिधि मंडल

भारत में जिहाद का है पुराना इरादा
हैदर और आदिल जैसी कहानियां एसडीएफ के जेल शिविरों में बंद प्रवासी भारतीयों की हैं. थैय्यब शेख मीरान कनाडा की नागरिकता लेने से पहले तमिलनाडु के वेल्लोर में रहता था. वह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए काम कर रहा था, जब 2015 के एक दिन वह परिवार समेत आईएसआईएस में शामिल हो गया. सऊदी अरब के एक विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग पढ़ाने वाला शोएब शफीक अनवर भी पत्नी सौफिया मुकीत समेत आईएसआईएस में शामिल हो गया था. माना जा रहा है कि वह भी किसी जेल शिविर में बाकी बची-खुची जिंदगी गुजार रहा है. एक खतरनाक बात यह है कि अगर यह किसी तरह जेल शिविर से बाहर भी आ जाएं, तो भी जिहादी मानसिकता से इनका पीछा छूटने वाला नहीं है. 2016 में आईएस के वीडियो में तलमीज्जुर रहमान समेत कई प्रवासी भारतीय आईएस आतंकी कहते पाए गए थे कि वे जिहाद के लिए भारत वापस जरूर आएंगे.

HIGHLIGHTS

  • तुर्की-लीबिया और एसडीएफ के जेल शिविरों में बंद हैं 40 प्रवासी भारतीय
  • भारतीय मूल के सभी जिहादी उच्च शिक्षित हैं, जो आईएस से जा मिले
  • भारत सरकार नीतियों के चलते इन्हें राजनयिक मदद भी नहीं मिल सकती
Middle East ISIS syria सीरिया Indians भारतीय आईएसआईएस जेल SDF एसडीएफ Jails Prison Camps
Advertisment
Advertisment
Advertisment