दुनिया भर में टाटा ग्रुप का डंका है. इस ग्रुप ने वैश्विक स्तर पर निवेश करके भारत का नाम रोशन किया है. इसके जनक रहे टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा का आज जन्मदिन है. उनका जन्म तीन मार्च 1839 में गुजरात के नवसारी में हुआ था. वही नवसारी जो आज दांडी के नाम से काफी चर्चित है. उनका पारसी परिवार लंबे समय से पुजारी के पेश में रहा था. मगर जमशेदजी का सपना कुछ और कर गुजरने का था. वे 14 साल की उम्र में मुंबई पहुंचे. दरअसल उनके पिता नुसेरवानजी टाटा अपने परिवार के पहले सदस्य थे, जिन्होंने कारोबार में अपनी किस्मत आजमाई थी. इसे देखकर जमशेदजी टाटा ने भी कम उम्र में ठान लिया था कि वे भी कारोबार में ही उतरेंगे. उन्होंने पिता का हाथ बंटाना आरंभ किया. यहीं से उन्होंने ग्रेजुएशन की. इसके दस साल बाद 1868 में अपना पहला वेंचर निकाला.
इस तरह से कारोबारी दुनिया में मारी एंट्री
जमशेदजी टाटा ने जब कारोबारी दुनिया में एंट्री मारी थी, तब उनके पास निवेश के लिए 21 हजार रुपये ही थे. उन्होंने सबसे पहले ट्रेडिंड कंपनी की शुरुआत की. इसके बाद वह इंग्लैंड चले गए. यहां पर उन्होंने कपड़ा व्यापार की समझ ली और वापस भारत लौट आए. ब्रिटेन से कारोबारी ज्ञान प्राप्त करने के बाद 1869 में कपड़े के व्यापार में हाथ आजमाया. सबसे पहले उन्होंने एक दिवालिया तेल मिल को खरीदा. इसका नाम एलेक्जेंड्रा मिल तय किया गया. इस मिल को उन्होंने एक कॉटन मिल में तब्दील कर दिया. यह इंडस्ट्रियल हब चिंचपोकली में थी. इसके बाद उन्होंने मिल को एक स्थानीय कारोबारी को बेच दिया.
ये भी पढ़ें: Rahul At Cambridge: अनुराग ठाकुर का राहुल गांधी पर पलटवार, बोले- 'वो देश को बदनाम करने का मौका नहीं छोड़ते'
एक बार वे फिर इंग्लैंड गए और लंकाशायर के कपड़ा व्यापार को बहुत गहराई से जाना. बड़ा लाभ कमाने के लिए उन्होंने दूरदर्शी सोच अपनाई. उन्होंने तीन पहलुओं पर काम किया. इसमें डेढ़ लाख रुपये के निवेश से 1874 में महाराष्ट्र के नागपुर में सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग, वीविंग और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को आरंभ किया. नागपुर को इसलिए चुना, क्योंकि यहां से ट्रांसपोर्टेशन आसान था. यहां से उत्पादों को स्टेशन तक पहुंचाना, इसके साथ पानी और ईंधन की आपूर्ति सरल थी.
अन्य सेक्टर्स में आजमाया हाथ
जमशेदजी टाटा ने कपड़ा व्यापार को जानने का प्रयास किया. कपड़े का सस्ता एक्सपोर्ट करने लिए उन्होंने 1873 में शिपिंग कंपनी की शुरूआत की. इस दौरान लंदन से Annie Barrow नाम के एक जहाज को 1,050 पाउंड प्रति माह के किराए पर लिया गया. जापान की कंपनी के साथ मिलकर उन्होंने Tata Line की शुरुआत की. इसके साथ उन्होंने देश में सिल्क उद्योग को आगे बढ़ाया. रेशम के कीट का पालन आरंभ किया. उन्होंने कपड़े के साथ अन्य सेक्टर्स पर भी हाथ डाला. इस तरह से टाटा का कारोबार बढ़ता चला गया.
इच्छाशक्ति का परिचय दिया
टाटा ने भारत को हर मामले में मदद करने के लिए इच्छाशक्ति का परिचय दिया है. जमशेद टाटा ने टाटा स्टील, ताज होटल और आईआईएससी बेंगलुरु जैसे संस्थान की स्थापना कर दी. यह सभी संस्थान उस समय से काफी आगे थे. उन्होंने भारत को दुनिया में नई पहचान दिलाई. देश का पहला लक्जरी होटल, बड़ी स्टील कंपनी के साथ देसी समानों के भी टाटा जनक रहा है. इसके साथ पहली एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस की शुरुआत भी उन्होंने की. यह अब एयर इंडिया के नाम से जाना जाता है. टाटा मोटर्स पहले रेलवे इंजन भी तैयार करता था. अब उसकी कारों ने दुनिया भर में धूम मचा रखी है.
157 साल पुराने समूह की 17 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं
इस समय टाटा सौ से ज्यादा देशों में कारोबार कर रहा है. आज देश में 157 साल पुराने समूह की 17 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं. यह विशाल साम्राज छह माहद्वीपों के करीब सौ से अधिक देशों में सक्रिय है. इसके मार्केट कैप 240 अरब डॉलर के करीब हैं. इस समय सभी कर्मचारियों को मिलाकर देखा जाए तो टाटा में नौ लाख से ज्यादा कर्मी काम करते हैं.
HIGHLIGHTS
- 1869 में कपड़े के व्यापार में हाथ आजमाया
- बड़ा लाभ कमाने के लिए उन्होंने दूरदर्शी सोच अपनाई
- टाटा स्टील, ताज होटल और IISC बेंगलुरु जैसे संस्थान की स्थापना की